योग अभ्यास से पहले विटामिन बी १२ ( Vitamin B 12 ) की शारीरिक जाँच ।

योग अभ्यास से पहले विटामिन बी १२(vitamin B 12) की शारीरिक जाँच। आज की भाग दौड़ और व्यस्तता से भरे हुए समय में हम अपने भोजन और भोजन से मिलने वाले पोषण पर ध्यान नही दे पाते है ,जिस कारण हमारे शरीर के लिए जो आवश्यक पोषक तत्व होते है वो शरीर को सही मात्रा में नहीं मिल पाते है।

इस कारण से हमारे शरीर में पोषण तत्वो की कमी हो जाती है जिस कारण से कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो जाती है जो हमारे स्वास्थ्य और जीवन के दैनिक कार्यो को बहुत प्रभावित करती है।

योगअभ्यास कैसे शुरु करें ? How to start Yoga practice ?

इसलिए हमको इनके लक्षण और उपचार के विषय में सही जानकारी होना अति आवश्यक है। अगर हमारे शरीर में विटामिन बी १२ की कमी है तो इस अवस्था में योगाभ्यास शुरू नहीं करना चाहिए।

विटामिन। Vitamins

हमारे भोजन का सवसे महत्त्व पूर्ण भाग विटामिन होते है जो हमारे शरीर के सभी कार्यो में सबसे महत्तव पूर्ण योगदान करते है, ये हमारे शारीरिक और मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को सीधे प्रभावित करते है , इनकी कमी होना हमारे लिए बहुत घातक सिद्ध होता है। इसलिए समय समय पर हमको इनकी जाँच कराते रहना चाहिए। आवश्यक विटामिनो में विटामिन बी १२(vitamins B 12) भी इसीप्रकार का महत्तव पूर्ण विटामिन है।योग अभ्यास से पहले Vitamin D की शारीरिक जाँच ।

विटामिन बी १२ (vitamin B 12)

विटामिन बी १२ विटामिन बी की श्रेणी का ही विटामिन है मगर ये काफी महत्तव पूर्ण विटामिन है। इसकी कमी अधिकतर ३० वर्ष से अधिकआयु के व्यक्ति में पाया जाता है ,मगर आज कल आधुनिक खान पान और भोजन की गुणबत्ता में कमी के कारण इसकी कमी किशोर और बच्चो में भी पाया जा रहा है। क्यूंकि ये हमको भोजन से ही प्राप्त होता है शरीर इसका निर्माण खुद नहीं करता है इसलिए हमको विटामिन बी १२ (Vitamin B 12) से युक्त भोजन को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।

अधिकतर विटामिन बी १२(Vitamin B 12) की कमी शाकाहारी भोजन लेने वाले व्यक्ति में मिलती है। शाकाहारी भोजन में विटामिन बी १२(Vitamin B 12) काफी कम मात्रा में होता है ,जिसके कारण शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी १२(Vitamin B 12) नहीं मिल पता है और धीरे धीरे बढ़ती उम्र के साथ शरीर में इसकी कमी हो जाती है और कई तरह के शारीरिक और व्यवाहिरक बदलाव हमारे भीतर आने लगते है। विटामिन बी १२ (Vitamin B 12)की कमी के कारण और उसके लक्षण इस प्रकार है ।पार्किंसन रोग में योग।

विटामिन बी १२(Vitamin B 12) की कमी होने के मुख्य कारण।

  • लगातार लम्बे समय तक असंतुलित भोजन आहार में होना।
  • लगातार पेट सम्बन्धी रोग का बने रहना।
  • आँत के उस हिस्से का सही से काम नहीं करना जो वीटामिन बी १२ को अवशोषित करता है।
  • लगातार कब्ज की शिकायत बने रहना।
  • भोजन में सिर्फ शाकाहारी खाद्य पदार्थों का सेवन करना।
  • दूध ,दही, आदि का आहार में न होना या कम होना।
  • हार्मोन्स से सम्बंधित कोई समस्या का होना।

शरीर में विटामिन बी १२(Vitamin B 12) के कार्य

  • इसका सबसे मुख्य कार्य हमारे डी.एन.ए के स्वास्थ को बनाये रखना है ,जिससे हम अपने शरीर के सारे कार्य सही से कर सके।
  • विटामिन बी १२(Vitamin B 12) हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन बनाने में सहायक होता है।
  • विटामिन बी १२(Vitamin B 12) हमारे केन्द्रीय नर्वस सिस्टम के सुचारू रूप से संचालन के लिए बहुत आवश्यक है।
  • मस्तिष्क द्वारा संचालित कार्यो का सही से संचालन करने के लिए बहुत महत्व पूर्ण सहयोग प्रदान करता है ।
  • ये हमारे शरीर की अस्थियो और दाँत की मजबूती के लिए भी सहायक होता है।
  • इसकी अनुपस्थिति में विटामिन डी भी अपने कार्यो को सही से सम्पादित नहीं कर पाता है।

विटामिन बी १२ (Vitamin B 12)की कमी से होने वाले शारीरिक प्रभाव।

  • हाथ पैरों में झनझनाहट या चीटियो के चलने की अनुभूति होना है।
  • हाथ और पैर में जलन महसूस होना।
  • होठ के किनारो पर कट लग जाना , मुँह में छाले होना।
  • सर में दर्द और भारीपन बने रहना,चककर आना।
  • चलते हुए संतुलन बिगड़ता हुया महसूस होना।
  • मांसपेसियों में दर्द और कमज़ोरी महसूस होना।
  • मांसपेसियों के जोड़ पर अकड़न का महसूस होना।
  • लगातार थकान का बने रहना।
  • हर समय नींद और आलस्य का बने रहना
  • बालो का असमय झड़ना और सफ़ेद होना

यह सभी विटामिन बी १२ (Vitamin B 12)की कमी से होने वाले शारीरिक प्रभाव और प्रमुख लक्षण है , अगर इनमे से कोई भी लक्षण हमको दिखाई दे ठीक उसी समय हमको इसकी कमी के प्रति सजग हो जाना चाहिए और डाक्टर से मिल कर उचित उपचार लेना चाहिए।प्रोबायोटिक्स क्या होते है ?

विटामिन बी १२(Vitamin B 12) की कमी से होने वाले मानसिक और व्यावहारिक प्रभाव ।

  • जिस व्यक्ति के अंदर विटामिन बी १२ (Vitamin B 12)की कमी होती है वह चिड़चिड़ा हो जाता है।
  • विटामिन बी १२(Vitamin B 12) की कमी के कारण अवसाद की भावना उत्पन्न होती है।
  • विटामिन बी १२(Vitamin B 12) के कारण निराशा और आलस मन में बना रहता है।
  • व्यक्ति के अंदर उत्साह की कमी हो जाती है।
  • हमेशा दुखी और ऊर्जा विहीन महसूस होता है।
  • जीवन अर्थ हीन और अस्तित्व हीन महसूस होता है।
  • आत्मविस्वास कमजोर हो जाता है।

यह कुछ मानसिक और व्यवहारिक लक्षण हे जो शरीर में विटामिन बी १२(Vitamin B 12) की कमी होने को बताते है ,अगर उपयुक्त में से कोई भी शारीरिक या व्यवहारिक लक्षण हमको महसूस हो ठीक तभी हमको डॉक्टर से साहयता लेना चाहिए। इस प्रकार के लक्षणो की अनदेखी करना अपने स्वास्थ्य को खतरे में डालना होगा। समय पर इन चीजों की जांच करना और सही इलाज लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।प्रोबायोटिक्स और मानसिक स्वास्थ्य।

निष्कर्ष

योगअभ्यास से पहले विटामिन बी १२(Vitamin B 12) की जांच करवाना अति आवश्यक है क्यूंकि ये एक महत्त्वपूर्ण विटामिन है जो हमारे स्वास्थ्य और दैनिक जीवन के कार्यो को बहुत अधिक प्रभावित करता है। इसकी कमी होने पर हमारा सम्पूर्ण स्वास्थ्य और जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है और ऐसी अवस्था में बिना इसका इलाज़ कराए योग अभ्यास शुरु करना उचित नहीं होगा। अगर हमारे शरीर में विटामिन बी १२ (Vitamin B 12)की कमी है तो हमको डॉक्टर से सलाह ले कर ही योग अभ्यास शुरू करना चाहिए। उचित उपचार के उपरान्त ही योग का अभ्यास हमको स्वस्थ्य रखने में सहायक होगा।

योग अभ्यास शुरू करने और सलाह के लिए संपर्क करें 8920735148

14May, 2025
योग तनाव मुक्ति के लिए

आधुनिक समाज की तेज रफ्तार जिंदगी में आज तनाव एक सामान्य समस्या बन चुकी है। काम का दबाव ,परिवार की जिम्मेदारियां ,वित्तीय चिंताएं , पारिवारिक और सामाजिक अपेक्षाएं, ये सब मिलकर व्यक्ति के मानसिक ,शारीरिक स्वास्थ्य को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं। योग एक ऐसा प्राचीन उपाय है जो ना केवल शरीर को स्वस्थ्य रखता है ,बल्कि मन को शांति भी प्रदान करता है। योग के माध्यम से व्यक्ति अपने भीतर शांति और संतुलन को बनाता है। जिससे जीवन में आने वाले तनाव के साथ वो आसानी से संतुलन बना पाता है। मानसिक तनाव

तनाव

तनाव एक मानसिक ,भावनात्मक ,व्यावहारिक और शारीरिक प्रतिक्रिया है। जो किसी बाहरी या भीतरी उलझन या दबाव की स्थिति में उत्पन्न हो जाती है। ये प्रतिक्रिया शरीर के नर्वस सिस्टम को सक्रिय कर देती है। जिसके कारण कई अन्य समस्याएं भी उत्पन्न हो जाती है ,जैसे हृदय का तेज गति से चलना ,रक्तचाप का बढ़ जाना, शरीर में दर्द या तनाव का अनुभव होना आदि। यह स्थिति अगर लंबे समय तक बनी रहती है, तो ये व्यक्ति के स्वास्थ्य पर बहुत अधिक नकारात्मक प्रभाव डालती है। इसके कारण कई अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न हो जाती है ,जैसे अनिद्रा ,चिंता ,अवसाद ,रक्तचाप ,मधुमेह और हृदय संबंधी अन्य समस्याएं। तनाव Stress

योग क्या है ?

योग प्राचीन भारतीय पद्धति है, जिसका उद्देश्य शरीर मन पर आत्मा के बीच संतुलन को स्थापित करनाहै। ये शारीरिक व्यायाम ही नहीं ,बल्कि एक संपूर्ण जीवन शैली है। जो अनुशासन, नियम और आंतरिक शुद्धता पर आधारित होती है। योग के मुख्य अंगों में यम ,नियम , आसन , प्राणायाम ,प्रत्याहार ,धारणा ,ध्यान ,समाधी है। योग आसन का अभ्यास कैसे करे ?

योग तनाव को कैसे कम करता है ?

तनाव मुक्ति के लिए योग सर्वश्रेष्ठ उपचार और जीवन पद्धति है। अगर हम इसको जीवन का हिस्सा बना लेते हैं तो तनाव का प्रभाव हमारे जीवन पर नहीं हो पाता है। आइए इसको विस्तार में जानते हैं। पार्किंसन रोग में योग।

प्राणायाम

प्राणायाम अर्थात श्वास की नियंत्रित प्रक्रिया। गहरी और नियंत्रित सांस लेने से हमारे मस्तिष्क के भीतर ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। जिससे धीरे धीरे हमारे विचार शांत होते हैं। शरीर में फाइट या फ्लाइट रिस्पॉन्स कम होता है। ये है नर्वस सिस्टम को संतुलित करता है।तनाव को तुरंत ही घटाता है। इसलिए तनाव की स्थिति में नाड़ी शोधन प्राणायाम ,अनुलोम विलोम प्राणायाम बहुत लाभकारी होते हैं। यम “आष्टांग योग” और व्यक्तित्व विकास।

ध्यान

तनाव की स्थिति में ध्यान का अभ्यास बहुत ही लाभदायक होता है। ध्यान के अभ्यास से व्यक्ति भविष्य और भूतकाल की समस्याओं से निकलकर वर्तमान समय में खुद को महसूस करता है। ये भूतकाल की चिंताओं और भविष्यकाल की अपेक्षाओं से मुक्ति दिलाता है। ध्यान करने से मस्तिष्क में विचारों का प्रवाह कम होता है. जिससे अल्फा वेव्स बढ़ती है। जो शांति और आनंद की अनुभूति कराती है। मंत्र जप योग साधना।

योग आसन

योगासनों का अभ्यास शरीर की मांसपेशियों को लचीला और मजबूत बनाता है। तनाव मात्र मानसिक रूप से ही हमको प्रभावित नहीं करता है, बल्कि तनाव की स्थिति में तनाव हमारी मांसपेशियों में भी आ जाता है। योगासनों का अभ्यास करने से मांसपेशियों के अंदर छिपा हुआ तनाव निकल जाता है। मांसपेशियां लचीली और मजबूत होती है। नियमित अभ्यास से रक्तसंचार सुधरता है। शरीर के भीतर की सभी आवश्यक क्रियाएं सहज और सुगमता से होती है। इसलिए योगासनों का अभ्यास तनाव मुक्ति के लिए बहुत आवश्यक है। आष्टांग योग “नियम” और व्यक्तित्व विकास।

नकारात्मक विचारों का दमन

योग केवल शरीर और स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं होता है। ये शारीरिक गतिविधि और नियंत्रित सांसों के माध्यम से धीरे धीरे हमारे विचारों को भी नियंत्रित करता है। नियमित अभ्यास से व्यक्ति आत्म निरीक्षण करता है। जिससे वे अपने भीतर चल रहे नकारात्मक विचारों और उलझनों को पहचानकर उनसे दूर हो जाता है। और वह अनावश्यक तनाव को उत्पन्न होने से रोक पाता है। मंत्र जप योग साधना और विद्यार्थी जीवन।

योगासन तनाव कम करने के लिए

वैसे तो योग के सभी आसन किसी न किसी रूप में तनाव को कम करने में सहायक होते हैं। मगर कुछ मुख्य आसन जो सबसे अधिक प्रभावशाली है वह निम्न प्रकार है।योगअभ्यास कैसे शुरु करें ? How to start Yoga practice ?

शव आसन

शव आसन पूर्ण विश्रांति का आसन हैं। इसमें शरीर को पूर्ण रूप से ढीला छोड़ दिए जाता है। जमीन पर लेटकर इस आसन का अभ्यास किया जाता है। ये आसन शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की थकान को दूर करके हमारे भीतर शांति आनंद ऊर्जा और उत्साह का संचार करता है। निम्न रक्तचाप

बालासन

तनाव मुक्ति के लिए ये एक आसान योग अभ्यास है। ये आसन तनाव को तुरंत ही घटाता है। ये आसन पीठ कंधों और गर्दन के तनाव को तुरंत कम करता है। ये धीरे धीरे अनिद्रा की समस्या को भी समाप्त करने में सहायक होता है।

सुख आसन

मुख्यतः यह एक ध्यान का आसन हैं। इसमें व्यक्ति शरीर में बिना किसी तनाव या दबाव के सुख अवस्था में बैठता है। और अपने स्वांस और अपने भीतर ध्यान को केन्द्रित करता है। इस आसन के अभ्यास से शरीर और मन दोनों शारीरिक मानसिक और वैचारिक तनाव को कम महसूस करते हैं। एक माह में 7 किलो वजन घटाने का डाइट प्लान।

भुजंगासन

योग अभ्यास का ये आसन बहुत ही लाभदायक है। ये जमीन पर पेट के बल लेटकर किया जाता है। ये पीठ और रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है। साथ ही हमारे नर्वस सिस्टम के भीतर तनाव को कम करता है। शरीर के भीतर हल्कापन लाता है। मुख्य रूप से कमर गर्दन और कंधों की जकड़न को दूर करता है। कैंसर के लक्षण

उपयुक्त आसनों का अभ्यास करने से अत्यधिक तनाव की अवस्था में शीघ्र लाभ प्राप्त होता है। अगर तनाव की स्थिति अत्यधिक घातक है, उस अवस्था में किसी योग्य योग प्रशिक्षक की सहायता लेकर क्रमबद्ध तरीके से योग अभ्यास तनाव मुक्ति में श्रेष्ठ सिद्ध होता है। उच्च रक्तचाप।

निष्कर्ष

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में शांति की खोज हर व्यक्ति कर रहा है। योग अभ्यास हमें आंतरिक शक्ति और शांति प्रदान करता है। जिससे हम किसी भी तनाव की स्थिति में स्थिर और संतुलित रह सकते है। ये मात्र व्यायाम पद्धति ही नहीं बल्कि एक आंतरिक यात्रा है। जो व्यक्ति को तनाव से मुक्ति दिलाकर सुख शान्ति आनंद और असीमित ऊर्जा की ओर ले जाती है। इसलिए योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाना तनाव ,चिंता ,अवसाद जैसे मानसिक रोगों से आसानी से बचने का मात्र उपाय है।

13May, 2025
तनाव Stress

तनाव वो मानसिक या शारीरिक दबाव है। जो मनुष्य को तब महसूस होता है। जब व्यक्ति किसी कठिन परिस्थिति चुनौती या मुसीबत का सामना करता है। साधारण शब्दों में कहा जाए तो तनाव वह स्थिति है ,जो किसी चीज़ को लेकर व्यक्ति के भीतर चिंता ,घबराहट, दबाव और उलझन महसूस कराती है। जैसे विद्यार्थी परीक्षा के समय ,नौकरी के लिए ,पैसे की तंगी के कारण या रिश्तों की परेशानी के कारण। मानसिक तनाव

तनाव के प्रकार

तनाव मुख्य रूप से निम्न प्रकार के होते हैं। जिसमें मानसिक तनाव ,शारीरिक तनाव, व्यावहारिक तनाव और भावनात्मक तनाव आते हैं।पार्किंसन रोग में योग।

1 . मानसिक तनाव

तनाव जव इस स्तर तक बढ़ जाता है की व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर असर डालने लगे तो उस अवस्था को मानसिक तनाव कहते है इसके लक्षण निम्न प्रकार होते है।

  • हर समय चिंता का बनी रहना।
  • चिड़चिड़ापन।
  • बहुत जल्दी से गुस्सा आना।
  • किसी भी कार्य या वस्तु में ध्यान न लगना।
  • छोटी छोटी चीजों को भूलने की आदत का।
  • किसी भी चीज़ में निर्णय लेने में बहुत मुश्किल होना।
  • निराशा और उदासी का लगातार अनुभव होते रहना।
  • दर्द और अजीब सी बेचैनी महसूस होते रहना।
  • घबराहट बनी रहना।

2 .शारीरिक तनाव

मानसिक तनाव जव बहुत अधिक बढ़ जाता है, तब उसका प्रभाव शारीरिक लक्षणों पर भी दिखाई देने लगता है। जो कि निम्न प्रकार हो सकते हैं। मंत्र जप योग साधना।

  • नींद न आना।
  • या सामान्य से अधिक नींद आना।
  • थकावट हमेशा महसूस होते रहना।
  • शरीर में ऊर्जा की कमी अनुभव होना।
  • मांसपेशियों में खिंचाव का अनुभव ।
  • शरीर के भीतर हल्का हल्का दर्द लगातार अनुभव होना।
  • पीठ में दर्द।
  • पेट में दर्द कबज या दस्त होना।
  • हृदय की धड़कन का बहुत तेज चलना।
  • बार बार बीमार पड़ना।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता का बहुत अधिक कमजोर होना।

3 . व्यावहारिक तनाव

तनाव का प्रभाव हमारे मानसिक और शारीरिक स्तर पर ही नहीं बल्कि हमारे व्यावहारिक स्तर पर भी बहुत अधिक पड़ता है। व्यावहारिक स्तर पर पड़ने वाले तनाव के प्रभाव निम्न प्रकार होते हैं। कैंसर और उपचार।

  • अकेले रहने की इच्छा का होना।
  • भूख अचानक से कम होना यह बहुत अधिक खाने की इच्छा का होन।
  • नशे या धूम्रपान की ओर झुकाव।
  • बहुत अधिक जिम्मेदारियों से दूर भाग।
  • काम में मन न लगना।
  • बार बार झगड़ा करना या लोगों से दूरी बना लेना।
  • कई बार खुद को काम में बहुत अधिक व्यस्त कर लेना।

4 .भावनात्मक तनाव

तनाव का प्रभाव हमारे शारीरिक ,व्यावहारिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ साथ भावनात्मक स्तर पर भी बहुत अधिक पड़ता हैं आइये इस को संक्षेप में जानते हैं। एक माह में 7 किलो वजन घटाने का डाइट प्लान।

  • भावनात्मक तनाव के प्रभाव के कारण व्यक्ति अच्छे या बुरे भ्रम में रहता है।
  • व्यक्ति बार बार छोटी बड़ी बातों पर रोता है।
  • व्यक्ति अपने भीतर अवसाद को अनुभव करता है।
  • स्वयं को लेकर बहुत अधिक बेपरवाह महसूस करता है।
  • समाज में मान सम्मान की कमी का अनुभव करता है।
  • शत्रुता और लड़ाकूपन उसके व्यवहार का हिस्सा बन जाता है।
  • छोटी बड़ी सभी चीजों को शक की दृष्टि से देखता है।
  • चिंता और बेचैनी लगातार बनी रहती है।
  • चिड़चिड़ापन और संयम न रखने की आदत हो जाती है।

तनाव प्रबंधन ( स्ट्रेस मैनेजमेंट )

मनुष्य के जीवन में तनाव हमेशा किसी न किसी रूप में बना रहता है। कितने भी प्रयास किए जाएं लेकिन तनाव से पूर्ण रूप से मुक्ति प्राप्त नहीं हो सकती है। और देखा जाए तो संयमित रूप में तनाव व्यक्ति के विकास के लिए आवश्यक भी होता है। इसलिए तनाव प्रबंधन या स्ट्रेस मैनेजमेंट का अर्थ तनाव को समाप्त करना नहीं है, बल्कि तनाव को सही तरीके से पहचानकर उसे कम करना ओर जीवन के साथ संतुलन बनाना है। तनाव प्रबंधन के कुछ असरदार उपाय निम्न प्रकार हैं।

1 . ध्यान

ध्यान का अभ्यास स्ट्रेस मैनेजमेंट में बहुत लाभदायक होता है। व्यक्ति को प्रत्येक दिन 5 ,10, 15 मिनट के लिए ध्यान करना चाहिए। इसके लिए किसी आरामदायकऔर शांत स्थान पर बैठकर आंखो को बंद कर स्वयं को अनुभव करें। इसी अवस्था में अधिक से अधिक देर स्थिर रह कर ध्यान का अभ्यास करने से ,धीरे धीरे व्यक्ति के भीतर मानसिक और शारीरिक स्थिरता उतपन्न होती है। जिस कारण वह अपनी स्थिति और परिस्थिति का सही आकलन कर पाता है ,और तनाव देने वाली स्थितियों से आराम से निबट पाता है। योगअभ्यास से पहले कैल्शियम (calcium) की जांच।

2 . प्राणायाम

स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए प्राणायाम एक बहुत ही लाभकारी अभ्यास है। इसमें शांत बैठकर अपने भीतर आने और जाने वाली स्वांसों का निरीक्षण करे। धीरे धीरे शरीर को ढीला छोड़ते जाए। ऐसा करने से व्यक्ति के भीतर मानसिक तनाव कम होगा। शारीरिक मांसपेशियों में तनाव कम होगा। जिसकारण मस्तिष्क सही से कार्य करेगा और वह अपने आसपास की स्थिति ,परिस्थिति ,वस्तुओं और व्यक्तियों का सही निरीक्षण कर पाएगा। सही निरीक्षण होने से व्यक्ति अत्यधिक तनाव उत्पन्न होने वाली स्थितियों का आराम से सामना कर सकता है। आष्टांग योग “नियम” और व्यक्तित्व विकास।

3 . नियमित व्यायाम

नियमित व्यायाम या योग अभ्यास करने से मांसपेशियों में तनाव कम होता है। साथ ही मानसिक दबाव भी कम होता है। हल्का योगा अभ्यास करना ,हल्की फुलकी एक्सरसाइज करना या कोई खेल खेलना आदि। इस प्रकार की गतिविधि व्यक्ति को शारीरिक रूप से मजबूत और मानसिक रूप से तारो ताजा बनाए रखती है। इस कारण से तनाव का प्रभाव अत्यधिक नहीं होता है। योग अभ्यास से पहले Vitamin D की शारीरिक जाँच ।

4 .अच्छी नींद

आधुनिक जीवनशैली के कारण सबसे ज्यादा व्यक्ति की नींद प्रभावित हुई है। सोशल मीडिया पर अधिक समय देना और काम के कारण अधिक देर तक जागना। ये सब नींद को प्रभावित करते हैं। पर्याप्त मात्रा में नींद न होना तनाव का एक मुख्य कारण है। नींद पूरी न होने की स्थिति में हमारी शारीरिक और मानसिक कार्य क्षमता पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। जिसका परिणाम हमारे भीतर शारीरिक मानसिक और व्यवहारिक तनाव के रूप में हमें दिखाई देता है। इसलिए तनाव प्रबंधन या स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए 7-8 घंटे की अच्छी नींद का होना अति आवश्यक है। वजन घटाने का शाकाहारी डाइट प्लान 2

5 . समय का प्रबंधन

कई बार मौज मस्ती या लापरवाह रवैये के कारण हम अपने जीवन के महत्वपूर्ण कार्यों को सही समय पर संपादित नहीं करते। जिसके कारण हमारे कार्य अधूरे रहते हैं ,और समय आने पर हम उनको पूरा नहीं कर पाते। जिसकी वजह से हमारे भीतर बहुत अधिक तनाव उत्पन्न हो जाता है। इसलिए तनाव से बचने के लिए हमें चाहिए कि हम अपने कार्यों को लेकर समय का सही प्रबंधन करें। जो कार्य जीस समय होना चाहिए कोशिश करें कि वह कार्य उस समय पूरा हो जाए। जिससे कि कार्य अधूरा रहने पर अनावश्यक तनाव उत्पन्नना हो। कैंसर के लक्षण

6 . सामाजिक जीवन जीवन

स्ट्रेस मैनेजमेंट में आपको अपने सामाजिक जीवन पर भी ध्यान देना आवश्यक होता है। आप अपना समय अपने मित्रों अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ बिताये। अपने भीतर की छिपी हुई भावनाओं को और समस्याओं को अपने मित्रों और संबंधियों के साथ बांटे , जिससे कि आप के भीतर अत्यधिक तनाव की स्थिति उत्पन्न न हो पाए। ऐसा करने से आपके जीवन में कलात्मकता रचनात्मक उत्पन्न होती है। इसलिए स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए हमको अपना समय अपने मित्रों और परिवार के साथ अवश्य बिताना चाहिए। मंत्र जप योग साधना और विद्यार्थी जीवन।

7 . रचनात्मक कार्य

स्वयं को किसी न किसी रचनात्मक कार्य में व्यस्त रखें जैसे नृत्य, संगीत, ड्रॉइंग, घूमना, बुक पढ़ना या लिखना ,तस्वीरें बनाना। आपके जो शौक है उनके लिए समय निकालें। जब आपको ऐसा लगे की तनाव आपके ऊपर हावी हो रहा है। तब अपने आप को इस प्रकार के कार्यो में व्यस्त करे जैसे इसमें मिट्टी के बर्तन बनाना है ,पेड़ पौधे लगाना उनकी सेवा करना है। पालतू जानवरों के साथ समय बिताना है। ऐसे बहुत से रचनात्मक कार्य है ,जो आप आसानी से कर सकते हैं और इनका फायदा ये होता है कि आप तनाव से पूर्ण रूप से मुक्त रहते है।

अतिआवश्यक

जब आपको लगे के आपके जीवन में तनाव बहुत लंबे समय से बहुत अधिक स्तर पर है। और तनाव धीरे धीरे आपके शारीरिक मानसिक और व्यावहारिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। उस समय सजग और जागृत हो जाए स्ट्रेस मैनेजमेंट का प्रयास शुरू करें। इसके लिए आवश्यक हो तो आप विशेषज्ञों का सहयोग लें। चिकित्सकों का सहयोग लें क्योंकि ये स्थिति आपके भीतर केवल तनाव तक ही स्थिर नहीं रहती। बल्कि तनाव के कारण कई अन्य शारीरिक बीमारियों को भी उत्पन्न करती है। इसलिए तनाव के प्रति हमेशा सजग और जागरूक रहना आवश्यक है। मंत्र जप योग साधना।

निष्कर्ष

अत्यधिक तनाव आधुनिक समाज के अंदर बहुत तेजी से फैलने वाला एक रोग हो चुका है। इसलिए सभी को इसके प्रति हमेशा सजग और जागरूक रहना चाहिए। आज कल स्थितियां चाहे वह सामाजिक है चाहे वो घरेलू हो चाहे वो आर्थिक है ऐसी है कि वे तुरंत जल्द से जल्द बहुत अधिक तनाव उत्पन्न कर देती है। ऐसे में व्यक्ति को स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए हमेशा प्रयासरत रहना चाहिए और आवश्यकता हो तो विशेषज्ञों का सहयोग भी लेना चाहिए।

22Apr, 2025
2025 अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस थीम।

2025 में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हर साल की तरह 21 जून को आयोजित किया जा रहा है। इस दिन का उद्देश्य योग के महत्त्व को पूरे विश्व में उजागर करना है। साथ ही समस्त मानव जाति को शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक रूप से स्वस्थ्य बनाने के लिये योग को अपने जीवन में अपनाने के लिये प्रेरित करना है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भारत के प्रयास से 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा घोषित किया गया था। 2015 में इसकी पहली बार शुरुआत हुई थी। 2025 में यह दिवस अपनीघीया ११ वी वर्ष गाँठ मना रहा है।

आधुनिक समाज की तेज रफ्तार जिंदगी में आज तनाव एक सामान्य समस्या बन चुकी है। काम का दबाव ,परिवार की जिम्मेदारियां ,वित्तीय चिंताएं , पारिवारिक और सामाजिक अपेक्षाएं, ये सब मिलकर व्यक्ति के मानसिक ,शारीरिक स्वास्थ्य को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं। योग एक ऐसा प्राचीन उपाय है जो ना केवल शरीर को स्वस्थ्य रखता है ,बल्कि मन को शांति भी प्रदान करता है। योग के माध्यम से व्यक्ति अपने भीतर शांति और संतुलन को बनाता है। जिससे जीवन में आने वाले तनाव के साथ वो आसानी से संतुलन बना पाता है

योग आसन का अभ्यास कैसे करे ?

यम “ आष्टांग योग” और व्यक्तित्व विकास।

2025 योग दिवस की थीम।

हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस आयोजित किया जाना है। 2025 में योग दिवस की थीम घोषित की जा चुकी है। 2025 की थीम है,” योग स्वास्थ्य संतुलन और हर व्यक्ति के लिए” । 2025 की अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम का उद्देश्य योग को सिर्फ शरीर के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण जीवन के लिए एक सकारात्मक परिवर्तन प्रदान करने वाला साधन बनाना है। यह विशेष रूप से इस बात पर ज़ोर दे रहा है, के योग किसी धर्म, किसी जाति ,किसी आयु ,किसी लिंग या किसी मान्यता के बंधन से परे है। ये पुरे संसार के लिए शारीरिक मानशिक और आध्यत्मिक स्वस्थ्य को उपलब्ध करने का साधन है। मंत्र योग व्यक्तित्व विकास और सुधार।

मंत्र जप योग साधना और विद्यार्थी जीवन।

2025 अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का वैश्विक आयोजन।

2025 में योग दिवस को लेकर विश्व भर में बहुत बड़े स्तर पर आयोजन किए जा रहे हैं। भारत में केंद्र सरकार और राज्य सरकारे सब मिलकर स्कूल कॉलेजों संस्थानों और सार्वजनिक स्थलों पर योग शिविरों का आयोजन कर रहे हैं। भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी इस बार ऋषिकेश में गंगा किनारे पर एक भव्य कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हैं। जिसमें हजारों लोगों के भाग लेने की व्यवस्था की गई है। योग दिवस 2024 की थीम

योग आसन के अभ्यास से पहले वार्मअप(शरीर गरमाना )

हमको योग आसान के अभ्यास से पहले अपने शरीर को गर्म कर लेना चाहिए। इस प्रकिर्या को वार्मअप कहते है। यह कई तरह से किया जा सकता है। योगआसन के अभ्यास से पहले कुछ देर टहलना एक सरल और अच्छा वार्मअप का तरीका है। इसके अतरिक्त धुप में स्नान करके भी हम खुद को गर्म कर सकते है।गर्म पानी से स्नान करके भी हम खुद को गर्म कर सकते है। इसके अतरिक्त भी कई ऐसे तरिके है,जिससे हम खुद को गर्म कर सकते है।

निष्कर्ष।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस केवल एक बार का आयोजन नहीं बल्कि यह हमें याद दिलाता है. की हमारे पास एक ऐसी सांस्कृतिक धरोहर है। जो संपूर्ण जीवन को स्वास्थ्य से भर सकती है, और मनुष्य के जीवन को सकारात्मकता की ओर लेकर जा सकती है। 2025 में इस दिवस को हम सभी को संकल्प लेना चाहिए योग को केवल 1 दिन नहीं बल्कि हर दिन का हिस्सा बनाएंगे। एक स्वस्थ्य शरीर शांत मन संतुलित जीवन के लिए योग आवश्यक है। हम सबको मिलकर इस अमूल धरोहर को अपनाना चाहिए और पूरे विश्व में शांति स्वास्थ्य पर संतुलन का संदेश फैलाना चाहिए। योग आसन और गैस(Yoga asna for bloating)

16Apr, 2025
मानसिक तनाव

मानसिक तनाव आज कल की आधुनिक भाग दौड़ वाली जीवन शैली में बहुत तेजी से फैल ने वाली समस्या है।मानसिक तनाव हमारे व्यावहारिक और शरीर स्वास्थ्य पर बहुत दुष्प्रभाव डालता है। मानसिक तनाव एक ऐसी अवस्था होती है ,जिसमें व्यक्ति का मस्तिष्क अत्यधिक दबाव, चिंता और असंतुलन महसूस करता है। अत्यधिक मानसिक तनाव की स्थिति में व्यक्ति किसीभी समस्या का सामना सही से नहीं कर पता है। तनाव की स्थिति में व्यक्ति की निर्णय लेने की सक्षमता कम हो जाती है।यम “आष्टांग योग” और व्यक्तित्व विकास।

मानसिक तनाव के मुख्य लक्षण।

1 . भावनात्मक लक्षण

  • मानसिक तनाव के मुख्य लक्षणों में चिंता घबराह्ट और लगातार बेचैनी का बने रहना।
  • जो व्यक्ति मानसिक तनाव से प्रभावित होता है, वह अत्यधिक गुस्सा और चिड़चिड़ापन अपने अंदर महसूस करता है।
  • अत्यधिक मानसिक तनाव से ग्रसित व्यक्ति निराश ओर जीवन में अवसाद का अनुभव करता है।मंत्र जप योग साधना।

2 . शारीरिक लक्षण

  • अत्यधिक मानसिक तनाव से ग्रस्त व्यक्ति सिर दर्द और माइग्रेन महसूस करता है।
  • अत्यधिक मानसिक तनाव की कारण थकान और हर समय कमजोरी का अनुभव करता है।
  • अत्यधिक मानसिक तनाव होने के कारण नींद का अस्त व्यस्त होना या अनिद्रा की शिकायत हो जाना भी हो सकता है।
  • हृदयगति का अनियमित होना या तेज होना बार बार पसीना आना ,यह शारीरिक लक्षण अत्यधिक तनाव के हो सकते है।पार्किंसन रोग में योग।

3 . व्यावहारिक लक्षण

  • मानसिक तनाव की कारण व्यक्ति की एकाग्रता में काफी कमी हो जाती है।
  • मानसिक तनाव के कारण व्यक्ति छोटी छोटी बातों में बहुत अधिक गुस्सा करने व्यक्ति छोटी छोटी बातों में बहुत अधिक गुस्सा करने लगता है। मंत्र योग व्यक्तित्व विकास और सुधार।
  • मानसिक तनाव के कारण व्यक्ति के परिस्थिति के अनुसार सही निर्णय लेने की क्षमता में कमी आती है।
  • मानसिक तनाव से ग्रसित व्यक्ति परिवार और समाज से दूरी बनाना पसंद करता है।

मानसिक तनाव के प्रमुख कारण।

1 . अत्यधिक काम

  • मानसिक तनाव के मुख्य कारणों से व्यक्ति का ऑफिस या उसके काम का उसके ऊपर अत्यधिक दबाव होना होता है। अत्यधिक काम का दबाव मानसिक तनाव के मुख्य कारणों से सबसे पहले नंबर पर आता है।कैंसर की शुरुआत।

2 . आर्थिक समस्याएं

  • आधुनिक समय में लोगो दिखावे और शानो शौकत से रहना एक गहरी आवश्यकता के रूप में जाना जाता है जिसकारण व्यक्ति के जीवन में कई बार वित्तीय अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो जाती है या ऋण की समस्या का होना भी अत्यधिक तनाव को उत्पन्न करता है।

3 . पारिवारिक समस्या

  • परिवार में वैचारिक मतभेद होना,आपसी सहमति का ना होना ,भाई बहन पत्नी बच्चों आदि से रिश्तों में कड़वाहट और विवाद का होना ये सभी मनुष्य के जीवन में बहुत अधिक मानसिक तनाव उत्पन्न करते है।

4 . अनियमित जीवन शैली

  • आज के आधुनिक भागदौड़ भरे जीवन में एक स्वस्थ्य जीवन शैली को अपनाए रखना बहुत मुश्किल काम है। आज की आधुनिक जीवनशैली ने हमारे जीवन को बहुत अधिक अनियमित बना दिया है, जिसकारण हमारे खानपान की खराब आदतें नींद की कमी और अत्यधिक फ़ोन ,लैपटॉप आदि का उपयोग करना भी मानसिक तनाव क कारण हो सकते है।योग आसन का अभ्यास कैसे करे ?

5 . नकारात्मक विचार

  • जीवन में असफलता ,अधिक परिश्रम करने के बाद भी मनचाहा परिणाम न प्राप्त होना आदि इन सब कारणों से हमारे जीवन में नकारात्मकता बढ़ती चली जाती है। जिसकारण से हमारे जीवन में ये नकारात्मकता मानसिक तनाव का स्थान ले लेती है।योगअभ्यास से पहले कैल्शियम (calcium) की जांच।

मानसिक तनाव के प्रभाव।

1 . मानसिक तनाव के शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव

  • अत्यधिक मानसिक तनाव होने के कारण हृदय रोग का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है।
  • अत्यधिक मानसिक तनाव होने के कारण धीरे धीरे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती चली जाती है।
  • धीरे धीरे मधुमेह और ब्लडप्रेशर का खतरा बढ़ जाता है।

2 . मानसिक तनाव के मानसिक स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभाव

  • अत्यधिक मानसिक तनाव के कारण डिप्रेशन, एंजाइटी ,चिड़चिड़ापन आदि समस्या हमारे व्यवहार में होने लगती है।
  • अत्यधिक तनाव के कारण हमारी याद दास्त कमजोर हो जाती है।
  • अत्यधिक मानसिक तनाव होने के कारण हमारी एकाग्रता में भी कमी आती है। व्यक्ति का व्यवहार अस्थिर हो जाता है।

3 . मानसिक तनाव के कारण संबंधों पर गलत असर

  • अत्यधिक तनाव होने के कारण हमारे अपने महत्वपूर्ण रिश्तों से संबंध खराब हो जाते हैं।
  • अत्यधिक तनाव के कारण हमारा व्यापार चिड़चिड़ा और गुस्सैल हो जाता है। जिसका सीधा प्रभाव हमारे पारिवारिक रिश्तों पर पड़ने लगता है।कैंसर रोग में प्रोटीन आहार।
  • मानसिक तनाव से ग्रसित व्यक्ति पारिवारिक और सामाजिक जीवन से दूरी बना लेता है।

मानसिक तनाव को दूर करने के उपाय।

1 . मानसिक तनाव को दूर कम करने के लिए योग और व्यायाम करें।

रोजाना नियमित रूप से योग और व्यायाम करने से शारीरिक शक्ति ,मानसिक स्थिरता, और शांति का अनुभव होता है। साथ ही योग और व्यायाम करने से हमारे भीतर उत्पन्न होने वाले स्ट्रेस हार्मोन का स्तर भी कम हो जाता है। इसलिए नियमित रूप से योग अभ्यास करने या व्यायाम करने से मानसिक तनाव की ऊपर नियंत्रण पाया जा सकता है।

2 . नियमित रूप से ध्यान का अभ्यास।

नियमित रूप से ध्यान का अभ्यास करने से हमारे भीतर मानसिक,भावनात्मक और वैचारिक स्थिरता का उदय होता है।जिससे हमारा मन शांत होता है। भीतर एकाग्रता बढ़ती है ,और धीरे धीरे आनंद की अनुभूति भी होने लगती है। चीजों की वास्तविकता और भंगुरता का भी आभास होने लगता है, जिससे कोई भी परिस्थिति और व्यक्ति उसके कारण हमको अत्यधिक तनाव नहीं हो पाता है। यम “आष्टांग योग” और व्यक्तित्व विकास।

3 . स्वास्थवर्धक दिनचर्या।

अगर हम अपने जीवन में मानसिक तनाव महसूस करते हैं। तो हमें सबसे पहले अपने दिनचर्या में बदलाव लाना चाहिए। इसकी शुरुआत सुबह जल्दी उठने से शाम को जल्दी सोने तक करें। साथ ही अपने भोजन में नियत समय पर पौष्टिक आहार लें। समाज में दिखावा और शानो शौकत को ज्यादा अहमियत ना दे। डिजिटल डिटॉक्स जिसके अंदर मोबाइल लैपटॉप सोशल मीडिया का उपयोग आता है , उसको कम से कम करें।

4 . गहरी सांस लेने का अभ्यास।

हम सभी जानते हैं कि, हमारे विचार हमारे स्वासों की रफ्तार के साथ बढ़ते और घटते हैं। जब हम क्रोध में होते हैं ,तो हमारी श्वास बहुत तीव्रता से चलती है। जब हम शांत होते हैं तो हमारी श्वास बहुत धीरे धीरे आराम से भीतर और बाहर आती और जाती है। इसलिए जब हम अपने भीतर अत्यधिक तनाव को महसूस करें ,उस समय गहरी लंबी श्वास भीतर ले और गहरी लंबी श्वास और बाहर छोड़ें तो ,उस स्थिति में मानसिक तनाव को नियंत्रित करने में बहुत सहायता प्राप्त होती है। गहरी सांस लेने और छोड़ने का अभ्यास तनाव के नियंत्रण में बहुत लाभदायक होता है।

5 . स्वयं को कलात्मक चीजों में व्यस्त रखें।

जब हम जीवन में अत्यधिक मानसिक तनाव अनुभव करें ,उस समय हम को स्वयं को कलात्मक चीजों में व्यस्त रखना चाहिए। जैसे संगीत एक बहुत ही अच्छा तनाव मुक्ति का साधन हो सकता है। संगीत सुनने या संगीत सीखने का प्रयास करने से धीरे धीरे शारीरिक और मानसिक और भावनात्मक तनाव से भी मुक्ति आसानी से मिल जाती है। इसके अलावा नृत्य, स्पोर्ट्स ,चित्रकारी क्राफ्ट ,मिट्टी के बर्तन बनाना आदि ऐसे कई कलात्मक कार्य हैं, जिनमें व्यस्त रहकर आप अपने तनावपूर्ण जीवन से राहत प्राप्त कर सकते हैं।

6 . परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं।

मनुष्य उस समय सबसे अधिक तनाव महसूस करता है जब अकेला होता है। उसके जीवन में जब कोई छोटी या बड़ी समस्या आती है ,और वह उस समस्या को समझ नहीं पाता की उससे कैसे निकलना है।तब वह अपने को अकेला पाता है ,और धीरे धीरे यह छोटा सा तनाव उसके लिए बहुत बड़ी मुसीबत का कारण बनता है। इसलिए तनाव से दूर रहने के लिए व्यक्ति को अपना समय अपने परिवार और प्रिय मित्रों के साथ बिताना चाहिए। अपने जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या को अपने परिवार और प्रिय मित्रों से सलाह मशवरा लेकर सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसा व्यक्ति जो अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय गुजारता है, वह एक आनंदपूर्ण अच्छा जीवन जी सकता है। जिसके अंदर तनाव अबसाद आदि का कोई स्थान नहीं होता है। पार्किंसन रोग में योग।

निष्कर्ष

आधुनिक समाज में मानसिक तनाव एक घातक बिमारी के रूप में सामने आया है। व्यक्ति हो जीवन में मानसिक तनाव कम करने का प्रयास करते रहना चाहिए। जिसके लिए उपयुक्त दिए गए सुझावों को अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करना चाहिए। नियमित योग अभ्यास पौष्टिक आहार परिवार और मित्रों के साथ अच्छा समय बिताना मानसिक तनाव को दूर रखने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।

पार्किंसन 24Mar, 2025
पार्किंसन रोग में योग।

पार्किंसन रोगियों के लिए योग बहुत फायदे मंद है। योग के नियमित अभ्यास करने से रोगी को शरीर मानसिक दोनों ही स्तर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। नियमित रूप से योग अभ्यास करने से शरीर के भीतर ,संतुलन, मांसपेशियों में लचीलापन ,ताकत ,मानसिक और वैचारिक स्थिरताप्राप्त होती है, जिससे पार्किंसन रोगियों को एक बेहतर जीवन जीने में सहायता प्राप्त होती है। पार्किंसन रोगियों को योग के निम्नलिखित लाभ होते हैं। मंत्र योग व्यक्तित्व विकास और सुधार।

१. संतुलन में सुधार।

  • पार्किंसन रोग में मस्तिष्क की कोशिकाओं का हास होने के कारण रोगी को शारीरिक संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। जिसके कारण उसके गिरने की संभावनाएँ बढ़ जाती है। नियमित योग अभ्यास करने से रोगी को संतुलन बनाए रखने में लाभ प्राप्त होता है। पार्किंसन रोग।
  • योग में संतुलन वाले आसनों का अभ्यास करने से रोगी का शारीरिक संतुलन बहुत अच्छा हो जाता है। जैसे वृक्ष आसन का अभ्यास करने सेऔर उत्कट आसन का अभ्यास करने से रोगी का शारीरिक और मानसिक संतुलन मजबूत होता है।
  • मांसपेशियों की शक्ति में भी सुधार होता है, जिससे चलने फिरने या किसी भी शारीरिक गति को करने में आसानी होती है।

२ . मांसपेशियों की जकड़न में राहत।

  • पार्किंसन रोगियों में मांसपेशियों में अकड़न और जकड़न बनी रहती है। जिससे शरीर में दर्द और थकान का अनुभव होता है। योग के अभ्यास करने से मांसपेशियों में खिंचाव और ढीलापन का संचार होता है। जिससे शरीर में अकड़न और थकान की अनुभूति कम होती है।
  • हल्के खिंचाव वाले योग अभ्यास करने से मांसपेशियों का लचीलापन बना रहता है। अकड़न कम होती है। मांसपेशियां मुलायम बनी रहती है। जिससे शारीरिक गतिविधि करने में आसानी होती है। वजन घटाने का शाकाहारी डाइट प्लान 2

३ . स्वसन तंत्र मजबूत होता है।

  • पार्किंसन रोगियों में कई बार सांस लेने में भी कठिनाई होती है। मगर नियमित योग अभ्यास के आसनों और प्राणायाम का अभ्यास करने से स्वसन तंत्र काफी मजबूत हो जाता है। जिससे स्वसन संबंधी समस्याएं नहीं होती है।
  • योग अभ्यास में प्राणायाम का अभ्यास करने से पार्किंसन में विशेष लाभ प्राप्त होता है। इससे हमारे फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है। स्वसन प्रणाली सुदृढ़ और मजबूत होती है। एक माह में 7 किलो वजन घटाने का डाइट प्लान।
  • प्राण आकर्षण प्राणायाम , अनुलोम विलोम, नाड़ी शोधन ,कपालभाति आदि का नियमित अभ्यास करने से मस्तिष्क के कोशिकाएँ पुनः जागृत हो सकती है ,जिससे डोपामाइन उत्पादन में वृद्धि हो सकती है।

४ . तनाव में कमी।

  • पार्किंसन के मरीजों में चिंता, अवसाद और अत्यधिक तनाव देखने को मिलता है। नियमित योग अभ्यास करने से इन समस्याओं से रोगी को दूर रखा जा सकता है। ब्रेस्ट कैन्सर
  • ध्यान और प्राणायाम के अभ्यास से मस्तिष्क को गहन शांति और मस्तिष्क के भीतर प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन का संचार होता है। जिससे मन मस्तिष्क को शांति और आनंद का अनुभव होता है।
  • सब आसान और योग निद्रा का अभ्यास पार्किंसन में बहुत लाभदायक है। यह मरीज को शारीरिक और मानसिक शांति प्रदान करने वाला है।

५ . दैनिक कार्यों में सुधार।

  • पार्किंसन रोगी , शरीर के भीतर रोग के कारण उत्पन्न होने वाले बदलाव से परेशान रहता है। जिसमें धीमी गति, मांसपेशियों की अकड़न, कठोरता आदि है। कैंसर रोग में प्रोटीन आहार।
  • नियमित योग का अभ्यास करने से शरीर के भीतर मांसपेशियों में लचीलापन बनता है। जिससे रोगी को अपने दैनिक कार्यों में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होती है।
  • दैनिक कार्यों के करने के लिए रोगी किसी पर भी निर्भर नहीं करता है। अगर रोगी योग का अभ्यास नियमित रूप से करता है, तो वह धीरे धीरे अपने आवश्यक कार्यो के लिए आत्म निर्भर हो जाता है।

६ . अच्छी नींद।

  • पार्किंसन रोग बहुत ही तीव्रता से अपना प्रभाव लेकर आता है। जिसका कारण से रोगी अपने भविष्य को अंधकार में समझता है। परिणाम स्वरूप रोगी गहन तनाव में आ जाता है। जिस कारण उसकी नींद बहुत ज्यादा प्रभावित होती है।
  • योग अभ्यास नियमित रूप से करने पर रोगी को मानसिक शांति प्राप्त होती है। जिससे वे अच्छी नींद ले पाता है। और रोग की तीव्रता को बढ़ने से रोक सकता है। गहरी आरामदायक नींद मस्तिष्क की कोशिकाओं के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है।
  • शवासन और योगनिंद्रा का अभ्यास करने से मस्तिष्क की कोशिकाओं को विशेष लाभ होता है। परिणाम स्वरूप गहरी और आरामदायक नींद मस्तिष्क को पुनः जीवित करने में सहायक होती है।

७ . डोपामाइन स्तर में वृद्धि।

  • पार्किंसन रोग में मस्तिष्क की कोशिकाओं को क्षति पहुंचने के कारण निकलने वाले रसायन डोपामाइन की कमी हो जाती है।
  • योग के नियमित अभ्यास करने से शरीर में डोपामाइन जैसे हार्मोन का स्तर बढ़ना शुरू हो जाता है। जिससे पार्किंसन रोग के लक्षणों से राहत प्राप्त होती है।
  • अनुलोम विलोम ,नाड़ीशोधन , कपालभाति आदि प्राणायाम का अभ्यास बहुत लाभदायक सिद्ध होता है।

८ . रोग को बढ़ने में रोकथाम।

  • योग का नियमित अभ्यास करने से शरीर के भीतर शक्ति ,स्पूर्ति ,लचीलापन बढ़ता है।
  • हमारा तंत्रिका तंत्र मजबूत होता है और सही से कार्य करना प्रारंभ करता है।
  • परिणाम स्वरुप पार्किंसन रोग की तीव्रता कम होती है। रोगी लंबे समय तक आसानी से सहज जीवन यापन कर सकते हैं।

९ . आत्मनिर्भर और आत्मविश्वास।

  • नियमित योग अभ्यास करने से रोगी की शारीरिक और मानसिक स्थिति में तेजी से सुधार होता है।
  • नियमित योगाभ्यास करने से रोगी की स्तुति स्थिर बनी रहती है।
  • नियमित योगाभ्यास करने से शारीरिक मानसिक और भावनात्मक स्थिरता आती है। जिसके परिणामस्वरूप रोगी का आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता लगातार बढ़ती है। रोगी सहजता से अपना जीवन यापन कर पाता है।

१० . सकारात्मक दृष्टिकोण।

पार्किंसन रोगियों में ये पाया गया है रोग के कारण वह अपने जीवन से सकारात्मक विचार और दृष्टिकोण को खो देते हैं। वह अपने जीवन को एक गहन अंधकार और निराशा में पाते है। नियमित योगाभ्यास करने से उनके जीवन से ये सभी चीजें दूर होती है.,और उनकी जगह एक सकरात्मक पर जीवन के प्रति उत्साह और उमंग से भरे हुए दृष्टिकोण का संचार होता है। रोगी को उसको रोग से होने वाली कठिनाइयों से लड़ने में सहायक होता हैं।

११ . सावधानियाँ।

  • योग का अभ्यास हमें किसी योग्य योग चिकित्सक की देखरेख में ही करना चाहिए।
  • अपनी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार ही योग अभ्यास करें।
  • योग अभ्यास करते हुए अनुशासन और धैर्य का पालन करें।
  • योग अभ्यास के साथ साथ नियमित रूप से आपने चिकित्सक द्वारा दी गई सलाह का भी अनुसरण करें।

निष्कर्ष:-

पार्किंसन एक खतरनाक रोग है। यह मनुष्य के जीवन को बहुत ही कठिन बनाता है। इसमें रोगी अपने दैनिक कार्यों के लिए भी आत्म निर्भर नहीं रह पाता है। ऐसी स्थिति में वह अपने जीवन को अंधकार में पाता है। इस अवस्था में योग का अभ्यास पार्किंसन रोगियों के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होता है। योग का नियमित अभ्यास शारीरिक लाभ के साथ मानसिक और भावनात्मक लाभ भी प्रदान करता है। यह व्यक्ति के अंदर जीवन के प्रति एक धनात्मक दृष्टिकोण को बढ़ता है ,और रोग से लड़ने में सहायक सिद्ध होता है। इसलिए पार्किंसन रोगियों को योग अभ्यास नियमित रूप से करना चाहिए।

20Mar, 2025
पार्किंसन रोग।

पार्किंसन रोग एक तंत्रिका तंत्र से सम्बन्धित रोग होता है। यह एक न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग है। जो मस्तिष्क के कोशिकाओं को दुष्प्रभावित करता है। जिस के कारण मस्तिष्क से निकलने वाला डोपामिन नाम का महत्त्व पूर्ण रसायन का स्तर कम हो जाता है। डोपामिन का कार्य शरीर में शरीर में गति संतुलन और मांसपेशियों के आपसी समन्वय में नियंत्रण बनाने में मदद करना है जब इसका स्तर कम हो जाता है तो व्यक्ति को शरीर के भीतर कंपन चलने में कठिनाई कठोरता और संतुलन में समस्या का अनुभव होने लगता है यह एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है और समय के साथ इसके लक्षण दीरे धीरे बढ़ते चले जाते हैं आइए इसके लक्षणों के विषय में विस्तार से जानते है। प्रोबायोटिक्स और मानसिक स्वास्थ्य।

पार्किंसन रोग के मुख्य लक्षण।

१ . कंपन :-पार्किंसन रोग का मुख्य लक्षण हाथो ,पैरों और गर्दन ,ठुड्डी में कंपन का होना है। यह उस अवस्था में जयदा होता है जव रोगी आराम की स्थिति में बैठा या खड़ा होता है।

२ . जकड़न :-पार्किंसन रोग का अगला मुख्य लक्षण जकड़न का अनुभव होना है। मासपेशी में जकड़न होने के कारण चलने फिरने में दिक्क्त होती है। फलों से वजन घटाने का डाइट प्लान।

३ . कठोरता :-पार्किंसन रोग में मांसपेशियों में कठोरता का अनुभव होता है, जिसके कारण चलने फिरने और सामान्य शारीरिक गतिविधियों को करने में बहुत अधिक कठिनाई अनुभव होती है।

४. संतुलन :- पार्किंसन रोग में संतुलन बहुत कमजोर हो जाता है। जिस कारण से सामान्य कार्य जैसे चलने फिरने उठने बैठने खाने पिने में बहुत दिक्क्त होती है। गति अस्त व्यस्त हो जाती है। एक माह में 7 किलो वजन घटाने का डाइट प्लान।

५ . सुस्ती :- पार्किंसन रोग में शारीरक गति विधि बहुत कम हो जाती है। शरीर में सुस्ती वनी रहती है। चाल धीमी हो जाती है।

६ . बोलने में दिक्क्त :-पार्किंसन रोग में बोलने में भी दिक्क्त होने लगती है। शव्द साफ़ बोलने में दिक्क्त होने लगतीं है।

७ . चेहरे में भाव कम होना :-पार्किंसन रोग के कारण चेहरे पर किसी भी भाव का आना मुश्किल होता है। जिस कारण से चेहरा भाव शून्य हो जाता है।

पार्किंसन रोग के कारण।

१ . डोपामीन की कमी:- पार्किंसन रोग का मुख्य कारण मस्तिष्क के भीतर डोपामीन की कमी का होना है। जब हमारे मस्तिष्क में डोपामिन नाम पर रसायन कम मात्रा में बनता है, तो उसके परिणाम स्वरुप मस्तिष्क से सिग्नल ट्रांसमिशन भेजने की प्रक्रिया वाधित होती है। जिसके कारण शरीर की सामान्य गतिविधियों में बाधा उत्पन्न होती है ,जैसी कंपन, धीमी गति, असंतुलन ,शरीर में कठोरता आदि जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। योगअभ्यास कैसे शुरु करें ? How to start Yoga practice ?

२ . आनुवांशिकी कारण:- कुछ रोगियों में ये रोग आनुवांशिकता के कारण भी आया हुआ हो सकता है। जिन परिवारों में यह बिमारी पहले से रही हो उनमें इस बिमारी के विकसित होने का जोखिम अधिक होता है। कुछ जेनेटिक म्यूटेशन ,पार्किंसन रोग का कारण होते हैं। मंत्र योग व्यक्तित्व विकास और सुधार।

३ . प्रदुषित वातावरण:- पार्किंसन रोग पर्यावरणीय कारण जैसे खानपान की सामग्री में अधिक कीटनाशकों का उपयोग विषैली रसायनिक खादों का उपयोग आदि। साथ ही खाने और पीने की चीजों में या वायु या कार्यक्षेत्र मैं भारी धातुओं के संपर्क में आने से भी कई बार पार्किंसंस रोग हो सकता है क्योंकि ये सभी कारण मस्तिष्क केकोशिका को नुकसान पहुंचाती है।

४ . बढ़ती हुई उम्र:- जैसे जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, वैसे वैसे मस्तिष्क की कोशिकाओं की मरने की संख्या तेज हो जाती है। और नए कोशिकाओं का निर्माण की गति धीमी हो जाती है। इसलिए उम्र बढ़ने के साथ पार्किंसन रोग का खतरा बढ़ जाता है। 60 वर्ष से अधिक के लोगों में ये बिमारी बहुत उग्र रूप से दिखाई देने लगती है।

५ . चोट के कारण:- कई बार किसी दुर्घटना में सिर पर गंभीर चोट लगने से मस्तिष्क की महत्वपूर्ण कोशिकाओं को नुकसान हो जाता है। जिस के कारण से भी पार्किंसन रोग का खतरा हो सकता है

६ . तनाव:- तनाव के कारण मस्तिष्क में फ्री रेडिकल्स की अधिकता से कोशिकाओं को बहुत अधिक नुकसान होता है। जिससे तनाव की बहुत अधिक मात्रा अनुभव होती है। डोपामाइन का स्तर बहुत कम हो जाता है इसके परिणाम स्वरूप पार्किंसंस रोग हो सकता है। आष्टांग योग “नियम” और व्यक्तित्व विकास।

निष्कर्ष:-

जैसा कि ऊपर लेख में हम जान चूके हैं, कि पार्किंसन रोग मस्तिष्क के भीतर कोशिकाओं के तेजी से कम होने के कारण होता है। मस्तिष्क की ये कोशिकाएँ ‘डोपामिन ‘नाम का महत्वपूर्ण रसायन उत्पन्न करती है। जो शरीर के सही संचालन के लिए आवश्यक है। मगर किसी कारण ये कोशिकाएँ को बना और बचा नहीं पाती है , जिसकारण इनकी संख्या लगातार कम होती है, और पार्किंसंस रोग का उग्र रूप दिखाई देता है। यह एक असाध्य रोग है। अब तक ज्ञात उपचारों में इसका कोई उपचार उपलब्ध नहीं है , इसलिए हमें इसके लक्षणों और कारणों के प्रति हमेशा सजग और जागृत बने रहना चाहिए। अगले लेख में हम उसके उपचार और सावधानियों के विषय में चर्चा करेंगे।

मोटापा 12Mar, 2025
मोटापा कम करने के उपाय।

मोटापा ,शरीर में अधिक वसा के एकत्र होने की अवस्था को मोटापा कहते है। आज कल के आधुनिक समय में यह एक बहुत बड़ी स्वाथ्य समस्या के रूप में फ़ैल रहा है। आज के इस लेख में मोटापा कम करने के कुछ असर दारउपाय के विषय में हम जानेंगे।एक माह में 7 किलो वजन घटाने का डाइट प्लान।

१ . संतुलित आहार।

  • कम कैलोरी युक्त भोजन- मोटापा कम करने के लिए कम तला भुना और मीठा और जंक फ़ूड को खाने से बचना चाहिए।
  • प्रोटीन पूर्ण भोजन – हमें अपने भोजन में अधिक प्रोटीन युक्त भोज्य पदार्थो को शामिल करना चहिये, जैसे अंडे ,दाल सोया,पनीर, सूखे, मेवे ,दही आदि।कैंसर रोग में प्रोटीन आहार।
  • फाइबर युक्त भोजन -साबुत अनाज दलीय फल हरी सव्जी आदि को अपने भोजन में जरूर शामिल करना चाहिए।
  • अधिक पानी पियें – रोज कम से कम ६ से ८ गिलास पानी जरूर पिए इससे वसा के पिघलने की गति बढ़ जाती है।
  • भोजन पर नियंत्रण – हमको अपने भोजन की मात्रा को कम करना चाहिए। एक बार में अधिक भोजन नहीं खाना चाहिए।

२ . नियमित व्यायाम।

मोटापा कम करने के लिए हमको नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। व्यायाम में कार्डियक, एरोबिक ,अनएरोबिक , और योगिक व्यायाम करने चाहिए। साथ में कुछ वेट ट्रेनिंग वाले व्यायाम भी काफी लाभ दायक होते है। व्यायाम नियमित समय और मात्रा में करने पर ही लाभ दायक हो सकते है। अनियमित और कम या ज़्यदा मात्रा में करने पर कोई लाभ नहीं हो सकता है। योग आसन का अभ्यास कैसे करे ?

३. स्वस्थ्य जीवन शैली।

  • उपयुक्त नींद लें – रोज़ ७ से ८ घंटे की नींद रोज़ लेना चाहिए।
  • खाने का सही समय-भोजन के पोषण के साथ भोजन के समय को भी निश्चित करें। इससे हमारा मेटाबॉलिज्म सही बना रहता है। और ऊर्जा का स्तर भी सही बना रहता है। मंत्र योग व्यक्तित्व विकास और सुधार।
  • एक्टिव दिनचर्या –दिन में जितना हो सके गति शील बने रहे। इससे अतरिक्त कैलोरी तेज़ी से खर्च होती है।

४. सामान्य घरेलू उपाय।

५. अनुशासन।

मोटापा कम करने के लिए अनुसासन और धैर्य रखने की बहुत जरूरत होती है। मोटापा एक दम से बढ़ने बाली समस्या नहीं है। यह बहुत धीरे धीरे काफी समय में बढ़ता है और ऐसे ही धीरे धीरे समय के साथ कम होता है। इसलिए मोटापा कम करने के लिए अनुसासन और धैर्य के साथ प्रयास करना चाहिए।वजन कम करने के लिए शाकाहारी वेट लॉस डाइट।

६ .मोटापा बढ़ने के कारण का पता करना।

मोटापा कम करने के लिए मोटापा बढ़ने के कारण का पता होना बहुत जरुरी है। समस्या का कारण पता होने पर उसका समाधान भी आसानी से किया जा सकता है। मोटापा बढ़ने के मुख्य कारण निम्न लिखित होते है।

  • असंतुलित आहार –जंक फ़ूड तला भुना अधिक कैलोरी वाला भोजन अधिक शुगर वाले भोज्य पदार्थ का सेवन अधिक करना।प्रोबायोटिक फूड घर पर कैसे बनाएँ ?
  • अधिक मीठा खाना –भोजन में अधिक मीठा उपयोग करना जैसे मिठाई कोल्ड ड्रिंक्स आदि।
  • बैठे रहने की आदत – देर तक बैठे रहने या लेटे रहने की आदत के करण भी मोटापा तेज़ी बढ़ने लगता है।
  • अधिक सुभिधाजनक दिनचर्या – जरूरत से ज़्यदा सुभिधाजनक जीवन जीना भी मोटापा बढ़ने का कारण होता है।

७. हार्मोन से संबंधित रोग।

जव शरीर में हार्मोन असुंतलित होते है , तब भी मोटापा तेज़ी से बढ़ने लगता है। जैसे थायरॉइड की समस्या होने पर भी मोटापा बहुत तेज़ी से बढ़ता है। इस रोग को हापोथायरॉइड कहते है। इसमें मेटाबोलिज्म बहुत कम हो जाता है। जिस कारण से मोटापा तेज़ी से बढ़ता है।फलों से वजन घटाने का डाइट प्लान।

इन्सुलिन का सही तरह से काम न करना। शरीर में रक्त शुगर को नियंत्रित् करने वाला हार्मोन इन्सुलिन जव सही से काम नहीं करता है। तब भी मोटापा तेज़ी से बढ़ता है।

८ . गलत दिनचर्या।

गलत समय पर सोने ,जागने ,खाने ,पिने से हमारे शरीर के सभी महत्त्व पूर्ण कार्य प्रभावित होते है। हमारा पाचन तंत्र ,तंत्रिका तंत्र ,मेटाबोलिम आदि सभी अव्यवस्थित हो जाते है। शराब और धूम्र पान भी मोटापा बढ़ाने में बहुत मदद करते है इसलिए इनका सेवन नहीं करना चाहिए।

९ . अनुवांशिक।

मोटापा कभी कभी आनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है। अगर परिवार में पहले से ही मोटापे की समस्या का इतिहास है। तो यह अगली पीढ़ी में भी आ सकती है। क्योंकि अनुवांशिक लक्षणों के साथ पारिवारिक खान पान रहन सहन की आदतें भी अगली पीढ़ी में जाती है। हालांकि सही खानपान स्वस्थ्य दिनचर्या और व्यायाम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। कुछ विशेष प्रकार की समस्याओं में औषधीय सहायता लेकर भी मोटापे की समस्या से बचा जा सकता है। थैलीसीमिया।

१० . विशेष बिमारी और दवाइयों के कारण।

कुछ विशेष प्रकार की बीमारियों में उपयोग होने वाली दवाइयां जैसे स्टेरॉइड, हार्मोन आदि का उपयोग करने से वजन बढ़ने की समस्या हो सकती है। जैसे पीसीओएस मैं उपयोग में आने वाली दवाइयां अधिकतर वजन बढ़ाने में मुख्य रूप से जिम्मेदार होती हैं।

निष्कर्ष।

मोटापा बढ़ने का मुख्य कारण आजकल की आधुनिक जीवन शैली के कारण असंतुलित आहार, अत्यधिक तनाव ,अनियमित दिनचर्या, कम शारीरिक गतिविधि, के कारण उत्पन्न होने वाले हार्मोनल असंतुलन, गलत आदतों ,मधपान और धूम्रपान आदि है। अगर मोटापे से बचना है ,तो हमे सही खानपान ,नियमित व्यायाम और अच्छी जीवन शैली को अपनाना चाहिए। साथ ही शरीर के लिए स्वस्थ्य आदतों को अपने जीवन का अमूल्य हिस्सा बनाना चाहिए।

मोटापा 9Mar, 2025
मोटापा।

मोटापा शरीर की एक विशेष स्थिति होती है। जिसमें शरीर में अत्यधिक वसा जमा हो जाती है। जिसकारण शरीर का बजन और आकार दोनों ही सामान्य से अधिक हो जाता है। यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होती है। वजन घटाने का शाकाहारी डाइट प्लान 2

कैसे पहचानें की मोटापा है या नहीं ?

मोटापा नापने का मानक बी एम आई कहलाता है (बॉडी मास इंडेक्स ) बॉडी मास इंडेक्स का अनुपात 18.5 से 24.9 सामान्य वजन कहलाता है। मगर 25 से 29.9 तक अधिक वजन 30 से 35 तक अधिक मोटापा ऑर 35 से अधिक आने पर गंभीर मोटापा माना जाता है। अगर किसी व्यक्ति का बी एम आई 30 या उससे अधिक है तो उसे मोटापे की श्रेणी में माना जाता है।

मोटापे के प्रकार।

मोटापा आज के समय में विश्व में सबसे अधिक फैलने वाले रोग के रूप में जाना जाता है। ये मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है। जो कि निम्न प्रकार हैं।एक माह में 7 किलो वजन घटाने का डाइट प्लान।

1 . सामान्य मोटापा।

सामान्य रूप से ये मोटापा पूरे शरीर में एक समान रूप से पाया जाता है। इस प्रकार के मोटापे में संपूर्ण शरीर में बसा समान समान रूप से बढ़ती है। और व्यक्ति का शरीर सभी ओर से मोटा दिखाई देता है।

2 .पीठ का मोटापा।

इस प्रकार का मोटापा सामान्य से थोड़ा अलग होता है। इस प्रकार के मोटापे में पीठ और कमर के आस पास बसा का जमाव होता है। पेट उभरा हुआ और कमर लटकी हुई होती है। इसे बेली फैट भी कहते हैं। सामान्य रूप से इस प्रकार के मोटापे में व्यक्ति का शरीर तो सामान्य या पतला हो सकता है। मगर व्यक्ति का पेट आकार में असामान्य हो सकता है।

3 .मोर वीड मोटापा।

यह मोटापे की एक बहुत गंभीर स्थिति होती है। इस स्थिति में व्यक्ति के शरीर का वजन उसकी लंबाई के अनुपात से कहीं ज्यादा होता है। जिसकारण उसके शरीर के जोड़ों और आंतरिक अंगों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है ,और ये उसके स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर स्थिति होती है। फलों से वजन घटाने का डाइट प्लान।

मोटापे के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याएँ।

मोटापे के कारण होने वाली सामान्य समस्याएँ निम्न प्रकार हैं।

१. हृदय रोग

शरीर का अत्यधिक वजन ब्लड प्रेशर को बहुत अधिक बढ़ा देता है। जिससे हृदय के ऊपर अत्यधिक दबाव पड़ता है। जिस कारण हृदयाघात की स्थिति बन सकती है। शरीर में अत्यधिक बसा होने के कारण कलेस्ट्रॉल की मात्रा भी बढ़ जाती है। जो कि हृदय के लिए बहुत ही घातक होती है। वजन कम करने के लिए शाकाहारी वेट लॉस डाइट।

२. मधुमेह

शरीर में अत्यधिक वसा जमा होने की कारण बसा को कैलोरी में बदलने के लिए इंसुलिन प्रतिरोध बहुत अधिक हो जाता है। जिसकी कारण शुगर लेविल नियंत्रित नहीं रहता, और व्यक्ति मधुमेह या शुगर का रोग हो जाता है।

३. जोड़ों का दर्द

शरीर में सामान्य से अधिक वजन होने पर उसका प्रभाव सबसे अधिक शरीर के अस्थी जोड़ों पर पड़ता है। विशेषकर घुटनों और रीढ़ की हड्डी पर आवश्यकता से कहीं अधिक दबाव पड़ता है। जिसके कारण वह कमजोर हो जाते हैं। उनमें दर्द होता है। अत्यधिक दबाव होने के कारण आपस में रगड़ खाकर आकार में भी परिवर्तन हो जाता है।

४. सांस की समस्या

अत्यधिक वजन होने पर शरीर के भीतर मेटाबॉलिज्म सामान्य से कम या ज्यादा रहता है। ब्लड प्रेशर अधिक रहता है। जिसका प्रभाव हमारे फेफड़ों पर भी पड़ता है। जिसकारण जल्दी या थोड़ा सा मेहनत का कार्य करने पर स्वांस बहुत तेजी से चलने लगती है। व्यक्ति की स्वांस फूल जाती है। व्यक्ति सांस लेने में बहुत कष्ट का अनुभव करता है।

५. थकान

शरीर में आवश्यकता से अधिक बसा जमा होने के कारण व्यक्ति का ऊर्जा स्तर बहुत कम होता है। व्यक्ति बहुत कम कार्य में भी बहुत अधिक थकान का अनुभव करता है। शरीर कैलोरी को ऊर्जा में आवश्यक के अनुपात में नहीं बदल पाता है। जिससे शरीर के भीतर ऊर्जा की कमी महसूस होती हैं। परिणाम स्वरूप व्यक्ति थका थका और सुस्त अनुभव करता है।

मोटापे के लक्षण।

मोटापे का अर्थ सामान्य रूप से बढ़े हुए वजन और आकार से लिया जाता है। मगर मोटापा सिर्फ बढ़े हुए वजन और आकार तक ही सीमित नहीं रहता है बल्कि ये हमारे शरीर के भीतर कई प्रकार के बदलाव ले कर आता है। जो धीरे धीरे हमारे शरीर को प्रभावित कर, हमारे स्वास्थ्य को खोखला कर देता है। मोटापे के मुख्य लक्षण निम्न प्रकार होते है।

1 .शरीर में अतिरिक्त चर्बी जमा होना

1 :- मोटापा आने का सबसे सामान्य पहचान यही है कि हमारे शरीर में अतिरिक्त चर्बी जमा होना शुरू हो जाएगा पेट कमर जंघा वहां , गर्दन। चेहरे आदि में अधिक चर्बी जमा होना प्रारंभ हो जाती है।त्रिफला 2025

2 :- शरीर का आकार असामान्य रूप से बढ़ने लगता है। शरीर भारी बेडॉल और असंतुलित दिखाई देने लगता है।

3 :- पहने हुए कपड़े बहुत जल्दी जल्दी टाइट होते जाते हैं। और सही फिटिंग का कपड़ा बहुत जल्दी फिटिंग से बाहर हो जाता है। प्रोबायोटिक्स और मानसिक स्वास्थ्य।

2 .वजन का अचानक बढ़ना

१ : वजन का अचानक बढ़ना, बिना ज्यादा भोजन किए वजन बहुत तेजी से बढ़ने लगता है। वजन कम करने की कोशिश करने के बावजूद वजन कम नहीं हो पाता। शरीर भारी ओर फूला हुआ महसूस होता है।

२ : अधिक पसीना आना

३ : बिना ज्यादा मेहनत किये हुए लगातार पसीना आते रहना

४ : बिना शरीर में गर्मी ज्यादा महसूस होना खासकर गर्मियों में एसएस था अधिक महसूस करें

3 .खान पान से जुड़ी समस्या

बार बार भूख लगना सामान्य से ज़्यादा, खाना खाना मीठा ,तला ,भुना ,खाने की तीव्र इच्छा होना। पाचन संबंधी दिक्कतें जैसे गैस एसिडिटी कब्ज़ और बदहजमी का बार बार होते रहना।

4 .मानसिक प्रभाव

मोटापे के कारण मात्र हमारा शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित नहीं होता ,बल्कि हमारा मानसिक स्वास्थ्य भी काफी अधिक प्रभावित होता है। मोटापे के कारण व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास की कमी होने लगती है। लोगों के कमेंट्स या अपने शरीर के आकार को लेकर असुरक्षा की भावना आने लगती है।अधिक तनाव ,डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन अनुभव होने लगता है।

5 .हार्मोन्स असंतुलन के कारण

अत्यधिक मोटापा शरीर के भीतर हार्मोनल असंतुलन का भी प्रतीक होता है। महिलाओं में पीसीओडी या पीसीओएस की समस्या का होना थायरॉइड और इंसुलिन असंतुलन की स्थिति का होना। ये सब अत्यधिक चर्बी के कारण बढ़े हुए वजन की वजह से होते हैं. हाई ब्लडप्रेशर और शुगर का स्तर शरीर में अतिरिक्त जमा वसा की वजह से ही होता है।

निष्कर्ष

मोटापा आज के समय में बहुत तेज़ी से फैलने वाली एक सामान्य और खतरनाक बीमारी का रूप ले चूका है। मोटापे के कारण कई घातक रोग भी उतपन्न हो जाते है। इसलिए हमको मोटापे को लेकर सजग और जागरूक रहने की जरूरत होती है।

24Feb, 2025
फलों से वजन घटाने का डाइट प्लान।

फलों से वजन घटाने का डाइट प्लान अपनाकर एक सप्ताह में सात किलो तक वजन कम किया जा सकता है। लेकिन यह केवल तभी संभव है, जब आपकी जीवनशैली, आपका मेटाबॉलिज्म और आपकी शारीरिक गतिविधियाँ स्वास्थ आदतों से प्रेरित हों। यहाँ 7 दिन का फ्रूट डाइट प्लान बताया जा रहा है ,जो वजन कम करने और शरीर को डिटॉक्स करने में लाभदायक है।वजन कम करने के लिए शाकाहारी वेट लॉस डाइट।

7 दिन का फल आधारित डाइट प्लान दिन:1 ।

सुबह:- एक गिलास गर्म पानी एक नींबू डालकर।

नाश्ता :-सेव पपीता ओर नाशपाती।

मिड मॉर्निंग :-तरबूज।

दोपहर का भोजन :-अनार कीवी और एक सन्तरा।

शाम का नाश्ता :- नारियल पानी या एक बड़ा अमरूद।

रात का भोजन :- एक आम और स्ट्रॉबेरी। एक माह में 7 किलो वजन घटाने का डाइट प्लान।

7 दिन का फल आधारित डाइट प्लान दिन:2।

सुबह :- गुनगुना पानी और पांच बादाम।

नाश्ता :- एक केला और सेव।

मिड मॉर्निंग :- पपीता।

दोपहर का भोजन :-अनानास ओर ब्लूबेरी।

शाम का नाश्ता :- तरबूज और नारियल पानी।

रात का भोजन :-खरबूजा। वजन कम करने के लिए शाकाहारी वेट लॉस डाइट।

7 दिन का फल आधारित डाइट प्लान दिन:3।

सुबह :- ए गिलास गर्म पानी अदरक उबालकर।

नाश्ता :-संतरा और पपीते की चाट।

मिड मॉर्निंग :- अंगूर।

दोपहर का भोजन :-किवी और तरबूज।

शाम का नाश्ता :-आम और एक बड़ा अमरुद।

रात का भोजन :- एक सेब और केला। प्रोबायोटिक्स क्या होते है ?

7 दिन का फल आधारित डाइट प्लान दिन : 4 ।

सुबह :- ग्रीन टी।

नाश्ता :- तरबूज और एक कीवी।

मिड मॉर्निंग :- अनानास।

दोपहर का भोजन :- नारियल पानी और अमरूद।

शाम का नाश्ता :-सन्तरा।

रात का भोजन :- ब्लूबेरी और खरबूजा। त्रिफला 2025

7 दिन का फल आधारित डाइट प्लान दिन: 5।

सुबह :- एक गिलास गर्म पानी शहद मिलाकर।

नास्ता :-खेला और स्ट्रॉबेरी।

मिड मॉर्निंग :- तरबूज।

दोपहर का भोजन :- पपीता और किवी।

शाम का नाश्ता :- नारियल पानी।

रात का भोजन :- संतरा और अंगूर। कब्ज

7 दिन का फल आधारित डाइट प्लान दिन : 6।

सुबह :- नींबू पानी।

नाश्ता :-अनार और खरबूजा।

मिड मॉर्निंग :- सेव।

दोपहर का भोजन :- केला और ब्लूबेरी।

शाम का नाश्ता :-ग्रीन टी।

रात का भोजन :-तरबूज या खरबूजा। योग अभ्यास से पहले विटामिन बी १२ ( Vitamin B 12 ) की शारीरिक जाँच ।

7 दिन का फल आधारित डाइट प्लान दिन :7।

सुबह :- गर्म पानी और नींबू।

नाश्ता :- संतरा और अनानास।

मिड मॉर्निंग :- सेव।

दोपहर का भोजन :- पपीता और कीवी।

शाम का नाश्ता :- नारियल पानी।

रात का भोजन :- अंगूर और केला। प्रोबायोटिक फूड घर पर कैसे बनाएँ ?

सावधानियाँ :-

सिर्फ फलों से वजन घटाने का डाइट प्लान का अनुसरण करते समय हमें निम्न सावधानियों को बहुत ध्यान से बरतना चाहिए

फलों के डाइट प्लान को फॉलो करते समय हमें 8 से 10 गिलास पानी प्रतिदिन पीना चाहिए।

शारीरिक गतिविधि जैसे योगा वॉक और लाइट एक्सर्साइज़ अवश्य करना चाहिए।

अत्यधिक भारी व्यायाम नहीं करना चाहिए।

अगर कमजोरी लगे तो थोड़े से ड्राइ फ्रूट्स ले सकते हैं। योग अभ्यास से पहले Vitamin D की शारीरिक जाँच ।

विशेष सावधानी :-

फलों द्वारा वजन कम करने का डाइट प्लान, कम समय में अधिक वजन कम करने के लिए है। अगर लंबे समय तक केवल फलों का ही सेवन किया जाए तो शरीर के अंदर पोषण तत्वों की कमी हो सकती है। जिससे कई सारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती है। इसलिए फलों द्वारा वजन कम करने के डाइट प्लान को अत्यधिक लंबे समय तक अनुसरण नहीं करना चाहिए। और इसके बाद एक संतुलित भोजन आहार में शामिल करना चाहिए ,जिसमें पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन कैंसर रोग में प्रोटीन आहार। ,मिनरल्स, विटामिन ओर फैट सम्मलित हों।

निष्कर्ष :-

वजन कम करने के लिए फलों का डाइट प्लान बहुत अधिक लाभकारी है। इसके अनुसरण से आप 7 दिन में5 से 7 किलो तक वजन कम कर सकते हैं। मगर साथ में हमको बाहर की किसी भी अन्य भोजन सामग्री का उपयोग नहीं करना चाहिए। फास्ट फूड और तले भुने भोजन का पूर्ण रूप से त्याग करना चाहिए। मगर ये भी ध्यान रखना चाहिए कि इस डाइट प्लान को लंबे समय तक अनुसरण न करें। एक निश्चित समय के बाद सामान्य पोषक तत्व युक्त भोजन अपनी डाइट में अवश्य शामिल करें जिससे स्वास्थ्य संबंधी कोई भी समस्या ना हो पाए।

https://yogayukti.com/ek-maah-m-7-kilo-vjn-km-krne-ka-diet-plan/ 23Feb, 2025
एक माह में 7 किलो वजन घटाने का डाइट प्लान।

एक माह में 7 किलो वजन सात किलो वजन कम करना सामान्य रूप से आसान नहीं होता है। एक माह में सात किलो वजन कम करना सिर्फ कम खाने से संभव नहीं है। बल्कि सही भोजन, नियमित व्यायाम और एक अच्छी लाइफ स्टाइल को अपनाने से संभव हो सकता है। एक महीने में 7 किलो वजन कम करने में हमारा ये डाइट प्लान काफी लाभदायक है।वजन कम करने के लिए शाकाहारी वेट लॉस डाइट।

एक माह में 7 किलो वजन घटाने के लिए सुबह 6-7 बजे के बीच।

एक माह में 7 किलो वजन घटाने के सुबह एक गिलास गर्म पानी पीना चाहिए।

या

एक माह में 7 किलो वजन घटाने के लिए एक गिलास मैथी दाने का पानी पीना चाहिए।

या

एक माह में 7 किलो वजन घटाने के लिए ग्रीन टी बिना शक्कर और शहद के लेना चाहिए।

या

एक माह में 7 किलो वजन घटाने के लिए , डिटॉक्स ड्रिंक पेय पीना चाहिए इसको बनाने के लिए खीरा, नींबू ,पुदीना,अदरक इन सभी चीजों को थोड़ा थोड़ा काटकर एक जग पानी में रातभर के लिए रखें, और सुबह उठकर एक गिलास या दो गिलास पिये।

लाभ:-

सुबह सुबह इन चीजों को पीने से शरीर के भीतर उपस्थित दूषित द्रव्यों को आसानी से शरीर से बाहर निकाला जा सकता है। और शरीर का मेटाबॉलिज्म भी काफी अच्छी तरह से बढ़ जाता है। जिससे अतिरिक्त वजन को कम करने में बहुत लाभ होता है।वजन घटाने का शाकाहारी डाइट प्लान 2

एक माह में 7 किलो वजन घटाने का नास्ता सुबह 8-9 बजे।

एक माह में 7 किलो वजन घटाने केर लिए एक कटोरी दलिया और कुछ मात्रा में भीगे हुए बादाम 6 से 10 लेने चाहिए।

या

एक माह में 7 किलो वजन घटाने के लिए अंकुरित साबुत दाल जैसे साबुत मूंग की दाल ,चने एक कटोरी और साथ में एक कप ग्रीन टी पीना चाहिए।

या

दो उबले हुए अंडे ओर दो पीस मल्टीग्रेन ब्रेड का लेना चाहिए।

या

एक कटोरी पोहा या उपमा या इडली और थोड़ी सी नारियल की चटनी लेनी चाहिए।

लाभ:-

उपयुक्त भोजन को नाश्ते में शामिल करने से शरीर के भीतर अच्छी मात्रा में प्रोटीन और फाइबर पहुंचते हैं जिससे पद अधिक भूख नहीं लगती है शरीर के भीतर ऊर्जा का संचार अधिक देर तक रहता है जिसकारण अनावश्यक भोजन की आवश्यकता नहीं होती हैप्रोबायोटिक्स क्या होते है ?

एक माह में 7 किलो वजन घटाने के लिए मिड मॉर्निंग स्नैप 11:00 बजे।

एक माह में 7 किलो वजन घटाने के लिए कोई सा एक फल जैसे सेब, अमरूद, नाशपाती।

या

छाछ एक गिलास या एक बड़ा नारियल पानी यह एक कप ग्रीन टी

लाभ :-

मिड मॉर्निंग स्नैक में इन पदार्थों को शामिल करने से शरीर के भीतर ऊर्जा का स्तर लगातार बने रहता है। शरीर के अंदर पानी की कमी नहीं होती और शरीर हाईड्रेड रहता है। पेट फूलने की समस्या के घरेलू नुस्खे 2024

एक माह में 7 किलो वजन घटाने के लिए लंच 1:00 से 2:00 बजे।

एक रोटी मोटे अनाज की बनी हुई जैसे गेहूं, बाजरा या ज्वार और साथ में एक छोटी कटोरी दाल और एक छोटी कटोरी हरी सब्जी और एक कटोरी सलाद।

या

एक कटोरी ब्राउन राइस और एक कटोरी दाल और एक कटोरी हरी सब्जी और एक छोटी कटोरी दही ले सकते है।

या

एक कटोरी सोया चाप और एक रोटी ले सकते है।

लाभ :-

एक महीने में सात किलो वजन कम करने में ये भोजन आवश्यक पोषक तत्वों को प्रदान करता है। शरीर के भीतर ऊर्जा और उत्साह को बनाए रखता है। संतुलित मात्रा होने पर स्वास्थ्य के लिए लाभदायक भी होता है। पेट फूलने की समस्या के घरेलू नुस्खे 2024

एक माह में 7 किलो वजन घटाने के लिए नाश्ता शाम 5 से 6 बजे।

एक कप ग्रीन टी या ब्लैक कॉफीऔर साथ में एक छोटी कटोरी भुने हुए चने या मखाने ले सकते है।

या

एक छोटी कटोरी सूखे मेवे ,दो अखरोट,पांच बादाम और छह काजू।

या

एक उबला हुआ अंडा और साथ में अंकुरित दालों की चाट एक कटोरी।

लाभ :-

ये भोज्य पदार्थ आपके भीतर अधिक खाने की इच्छा को नियंत्रित रखने में सहायक होता है। मेटाबॉलिज्म को ऐक्टिवरखता है और शरीर के भीतर ऊर्जा का संचार बनाए रखता।कब्ज

एक माह में 7 किलो वजन घटाने के लिए रात का खाना रात्रि 8-9 बजे।

एक कटोरी सब्जियों का सूप जैसे लौकी टमाटर पर मूंग दाल पालक आदि।

या

एक कटोरी दालऔर एक कटोरी कोई सी भी हरी सब्जी और एक कटोरी सलाद।

या

एक कटोरी खिचड़ी और छोटी कटोरी रायता।

लाभ:-

रात्रि में हल्का भोजन करना वजन कम करने में बहुत लाभदायक होता है। हल्का भोजन सुपाच्य होता है और आसानी से पच जाता है।योग अभ्यास से पहले विटामिन बी १२ ( Vitamin B 12 ) की शारीरिक जाँच ।

एक माह में 7 किलो वजन घटाने के लिए सोने से पहले रात्रि 10:00 बजे।

एक महीने में सात किलो वजन कम करने के लिए रात्रि में सोने से पहले एक गिलास गुनगुना पानी पीना बहुत अधिक लाभदायक होता है। अगर साथ में एक छोटी चम्मच त्रिफला 2025 चूर्ण लिया जाता है, तो वह शरीर के भीतर इकत्रित दूषित तत्वों को शरीर से बाहर निकालने में बहुत लाभ होता है। साथ ही शरीर के भीतर अतिरिक्त वजन को कम करने में बहुत लाभदायक सिद्ध होता है।

ध्यान रखने योग्य सुझाव।

संतुलित भोजन के साथ साथ संतुलित मात्रा में शारीरिक व्यायाम करना बहुत आवश्यक है।

और

जितनी हमारी आयु है कम से कम उतने मिनट हल्की एक्सरसाइज जैसे योगा करना आवश्यक है।

और

संतुलित आहार को लेते समय जितना हो सके ताजा और घर का बना हुआ भोजन ही लेना चाहिए।

और

शक्कर ,तेल और घी की मात्रा को बहुत कम ही उपयोग करना चाहिए बेहतर है कि इनका उपयोग पूर्ण रूप से बंद कर दे।

और

दिन में तीन से चार लीटर पानी जरूर लें।

और

रात्रि में अच्छी गहरी नींद जरूर लें।

निष्कर्ष:-

अगर आप हमारे इस डाइट प्लान को फॉलो करते हैं साथ में दिए गए सुझावों को भी मानते हैं, जैसे रेगुलर एक्सरसाइज जल्दी सोना जल्दी उठना बाहर की चीजों का ना खाना तेल चीनी घी आदि की मात्रा को बहुत बहुत कम कर देना ,तो आप आराम से एक महीने में पांच से सात किलो वजन तक कम कर सकते हैं।