मंत्र योग व्यक्तित्व विकास और सुधार।
मंत्र योग व्यक्तित्व विकास और व्यक्तित्व सुधार ,के लिए प्रयोग किये जाने वाली सवसे पुरानी और प्रभावी विधियों में से एक है। जिसका उपयोग हमारे बड़े बड़े साधक और तपस्वी पुरातन काल से करते चले आ रहे है। योग अभ्यास के साथ हमको मंत्र योग का भी अभ्यास करना चाहिए।मंत्र योग का अभ्यास हमारी योगसाधना को आसान और प्रभावी बनाता है। योग साधना के साथ मंत्र साधना करते रहने से शारीरिक लाभ के साथ हमारा मानसिक और आध्यत्मिक लाभ भी होता है।
मंत्र योग साधना शुरू करते ही हमारे भीतर एक आत्मिक परिवर्तन शुरू हो जाता है।मंत्र साधना शुरू करते ही साधक को यह लगने लगता है, की उसके भीतर बदलाव आना शुरू हो गया है। उसके भीतर के दुर्गुण , दूषित विचार ,हिंसा ,लोभ ,काम ,आलस्य , प्रमाद ,अस्थिरता आदि कम होने लगते है ,और इनकी जगह अच्छे गुणों का उदय होने लगता है जैसे सयम ,उत्साह, प्रेम,संतोष ,सेवा ,दया ,आदि।
योगअभ्यास कैसे शुरु करें ? How to start Yoga practice ?
मंत्र योग के लाभ।
मंत्र योग के अभ्यास से जब दुर्गुण कम होते है ,और सदगुण बढ़ते है , तो इसका परिणाम साधक के स्वभाव और व्यक्तित्व में भी उदय होने लगता है। समाज में ऐसे साधक के प्रति सम्मान और प्रेम का भाव आने लगता है। इस स्थिति में साधक अपने भीतर आत्म सन्तोष और आत्म विश्वास को अनुभव करता है।
मंत्र योग की साधना से साधक के मानसिक स्वास्थ्य में बहुत धनात्मक परिवर्तन आता है। विवेकऔर सजगता की विरद्धि होती है। जिससे वह अपने जीवन में मूर्खता पूर्ण गलतियों के कारण होने वाले दुखो से दूर रहता है। मगर जीवन में काल चक्र के कारण कुछ न कुछ अच्छा या बुरा समय साधक के सामने आता ही रहता है। तब ऐसे समय में जहां एक तरफ साधरण व्यक्ति टूट जाता है या दुःख में डूब जाता है वही दूसरी ओर मंत्रयोग साधक अपने जाग्रत आत्मबल ,विवेक, साहस,ज्ञान आदि से इस प्रकार की समस्याओ से निवटने के लिए खुद को मजबूत पाता है। मंत्र योग का साधक बुरी से बुरी परिस्तिथि में भी शांत और सुख से रहने का मार्ग खोज लेता है।मंत्र जप योग साधना और विद्यार्थी जीवन।
मंत्र योग से आत्मविश्वास और आत्मबल का उदय।
मंत्र योग की साधना से साधक को सवसे बड़ा लाभ “आत्म विश्वास और आत्मबल के रूप में प्राप्त होता है। जब कोई व्यक्ति इन गुणों से पूर्ण होता है तब उसके लिए किसी भी बीमारी, कमजोरी ,आदत ,नशा ,डर ,मन की अस्थिरता ,आदि से मुक्त होना और दूर रहना आसान हो जाता है। और इन के कारण होने वाले दुःख से भी दूर रह कर एक सुखी और आनंद से पूर्ण जीवन को प्राप्त करता है।
जैसा की हम यह जानते है की हमारा जीवन हमारे किये गए कार्य और निर्णयो का ही परिणाम होता है। हमारे कार्य और हमारे निर्णय हमारे विचारो से ही दिशा प्राप्त करते है ,अगर हमारे विचार सही न हो या आपस में उलझे हुए हो या किसी अन्य व्यक्ति या परिस्थिति से प्रभावित हो तो वह हमको कभी भी सही मार्ग और दिशा में लेकर नहीं जा सकते है।ऐसे में मंत्र योग हमारे मन और हमारे विचारो को नियंत्रित करता है ,उनको शुद्ध और एकाग्र होने में सहयता करता है। जिससे मंत्र योग साधक को बहुत लाभ मिलता है। उसका जीवन सुख और सफलता से पूर्ण हो जाता है। यम “आष्टांग योग” और व्यक्तित्व विकास।
मंत्र योग साधना के लिए मंत्र चुनाव।
मंत्र योग की साधना के लिए किसी भी मंत्र का चुनाव किया जा सकता है। या किसी गुरु से मंत्र प्राप्त भी किया जा सकता है। मंत्र का चुनाव साधक के खुद के विश्वास पर निर्भर करता है। वह जिसमे श्र्द्धा और विश्वास रखता उस मंत्र को चुन सकता है। मंत्र का आकर बड़ा या छोटा कुछ भी हो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। जिस भी मंत्र का चुनाव मंत्र योग साधना के लिए किया जाए ,उसके प्रति पूर्ण रूप से समर्पण और विस्वास होना चाहिए। मंत्र योग की साधना निरंतर और नियमित होना चाहिए। मंत्र योग की साधना के समय शारीरिक और वैचारिक शुद्धि का पूर्ण ध्यान रखना चाहिए।
मंत्र योग की साधना से आत्म नियंत्रण ,आत्मसयम ,अनुशासन , और आत्म अध्ययन जैसे गुणों का विकास होता है ,जिससे मंत्र योग के साधक को जीवन की सम और विषम स्थतियो में संतुलित और सयमित रहना आसान हो जाता है। जिस कारण से मंत्र योग साधक अपने जीवन को पूर्ण शांति सुख और आनंद के साथ पूर्ण करता है।योग अभ्यास से पहले विटामिन बी १२ ( Vitamin B 12 ) की शारीरिक जाँच ।
मंत्र योग साधना के मानसिक लाभ।
मंत्र योग साधना व्यक्ति के वियक्तित्व विकास और सुधार के लिए बहुत ही साधरण और सवसे अधिक प्रभावी विधि है। इस विधि का सीधा संबंध हमारे मन से है। जैसा की हम जानते है की मानव एक मनोदैहिक जीव है। मनोदैहिक का अर्थ है मन और शरीर का योग अर्थात मन का असर शरीर पर और शरीर का असर मन पर। शरीर और मन एक दूसरे के पूरक है, मतलव अगर एक ठीक और मजबूत होगा तो दूसरा भी ठीक और मजबूत होगा और अगर एक कमजोर होगा तो दूसरा भी कमजोर हो जायेगा।इसलिए शरीर के साथ मन को भी मजबूत और स्वस्थ्य रखने के लिए मंत्र योग सवसे श्रेष्ठ विधि है ,जिसका उपयोग हमारे योग साधक प्राचीन समय से करते आ रहे है।त्रिफला 2025
निष्कर्ष।
मंत्र योग का अभ्यास सभी योग साधको के लिए बहुत ही लाभ दायक होता है। इसलिए सभी को चाहे व्यक्ति योग साधक हो या साधारण व्यक्ति अगर मंत्र योग का अभ्यास करता है तो उसके व्यक्तित्व का विकास होता है उसके व्यक्तित्व में जो भी कमी होती है वह दूर होती है। जिससे व्यक्तित्व विकास और सुधार बहुत ही प्रभावी रूप से होते है।