कैंसर और उपचार।
कैंसर हमेशा से मानव के बीच में एक जान लेवा डर उतपन्न करने बाला रोग माना जाता है। संसार में इस रोग को लेकर जो डर है,वह किसी और रोग को लेकर नहीं है। जैसे ही किसी व्यक्ति को इस रोग का पता लगता है , उसके और उसके परिवार के लिए भी बहुत निराशा पूर्ण माहौल बन जाता है। मगर आज के ज्ञान और विज्ञान और नित नए हो रहे शोध के माध्यम से कैंसर जैसी जान लेवा बीमारी का भी सफल इलाज़ भी सम्भव है। मगर फिर भी हम सभी को कैंसर के विषय में पूर्ण जानकारी होना चाहिए।
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कैंसर क्या है।
वैसे तो इस विषय में काफी कुछ लिखा जा सकता है मगर हम इस को बहुत सहज और सरल भाषा में समझने की कोशिस करते है। जैसा की हम जानते है की जव किसी भी जीव का निर्माण माँ के गर्भ में होता है ,तो सबसे पहले एक छोटा सा कण जिसको “कोशिका ” कहते है से होता है ,जैसे जैसे जीव का विकास होता है वैसे वैसे शरीर का निर्माण और विकास होता है ,जिसमे शरीर के अंग ऊतक भीतर और बाहर के सभी भाग बनते है।
शरीर के यह सभी भाग एक छोटी सी कोशिका से बनते है , शुरू में सभी अंग एक कोशिका से बनते है फिर धीरे धीरे एक से दो ,दो से चार कई गुना तक अपने को बढ़ाते है जिससे शरीर का विकास और निर्माण संभव होता है.कोशिका निर्माण के समय कुछ गलत कोशिका भी बन जाती है ,जिनको शरीर अपने हिसाव से हटा देता है और उसकी जगह नई कोशिका को बना देता है। यह प्रकिरिया पुरे जीवन सम्पूर्ण शरीर में होती रहती है। मगर जैसे ही यह प्रकिरिया डिस्टर्व होती है या इसमें कोई गड़बड़ी होती है , तो नयी और अच्छी कोशिका के बनने और पुरानी और गलत कोशिका के मिटने का संतुलन बिगड़ जाता है। जिससे एक खराब कोशिका अपने जैसे ही अन्य कोशिका को विकसित करके शरीर के सामान्य कार्यों और अंगो को बाधित करने लगती है। और धीरे धीरे यह अच्छी कोशिका के निमार्ण को रोक कर अपने जैसी कोशिका का निर्माण करने लगती है। जिससे शरीर रोगी और कमरोज़ हो जाता है।
कैंसर होने के कारण।
कैंसर होने के क्या क्या कारण है आज भी इनके विषय में कुछ साफ़ साफ़ जानकारी प्राप्त नहीं है। आज भी कई शोध और अध्यन इस विषय पर हो रहे है। मगर कोई भी सही से कैंसर होने के कारण नहीं बता सकता है। मगर अब तक हुए शोधों के आधार पर कुछ ज्ञात कारण इस प्रकार है।
- अधिक धूम्रपान :ऐसे व्यक्ति जो अधिक धूम्रपान करते है या ऐसे किसी व्यवसाय से जुड़े होते है जिसमे धुँए के सामने अधिक रहना पड़ता हो ऐसे व्यक्ति आम व्यक्ति की अपेक्षा अधिक कैंसर के रोगी हो सकते है।
- मधपान : ऐसे व्यक्ति जो अधिक मात्रा में एल्कोहल का उपयोग करते है उनको कैंसर की सम्भावना अधिक होती है।
- अनुवांशिक कारण :ऐसे व्यक्ति जिनके परिवार में माता पिता आदि को यह बीमारी होती है उनमे में भी इस रोग के होने की सम्भाबना भी बढ़ जाती है।
- अनियमित दिनचर्या : ऐसा भी शोध के द्वारा पाया गया है की जिन लोगो की दिनचर्या नियमित नहीं होती है उनमे भी कैंसर होने की दर बहुत अधिक होती है।
- खान पान : जो लोग बहुत बाहर का खाना , पैक्ड फ़ूड का इस्तेमाल करते है उनमे भी कैंसर होने की सम्भावना बहुत अधिक होती है।
- वातावरण : दूषित वातावरण में रहने वाले व्यक्ति में कैंसर होने की दर बहुत अधिक होती है।
- रेडियोएक्टिव : इस प्रकार के वातावरण में रहने वाले व्यक्ति में कैंसर होने की बहुत अधिक सम्भावना होती है।
ये सव कुछ ज्ञात मुख्य कारण है जिनके वजह से कैंसर होने की सम्भावना बढ़ जाती है। मगर कई केस में ऐसा भी देखा गया है की व्यक्ति सव कुछ सही करता है सही दिनचर्या ,सही रहन सहन ,न कोई नशा आदि फिर भी व्यक्ति को कैंसर हो गया। तो यह कह पाना के कैंसर का ठीक ठीक कारण कोण सा है अभी बहुत मुश्किल है।
कैंसर के प्रकार।
कैंसर कई प्रकार का हो सकता है ,हर कैंसर पहले से अलग प्रकार का होता है उसके लक्षण उसका स्थान उसके इलाज़ अदि सव एक दूसरे से अलग अलग होते है। हम कुछ मुख्य प्रकार के विषय में जानेंगे।
- सार्कोमा : इस प्रकार के कैंसर में यह रोग हड्डियों ऊतकों के साथ अन्य सवेंदनशील अंगो में भी होता है।
- कार्सिनोमा : इस प्रकार के कैंसर को हम सामन्य कैंसर भी कह सकते है ये सामान्तया त्वचा ,स्तन ,फेफड़े ,पेट आदि में हो सकता है।
- लेकिमिया : इस प्रकार के कैंसर में रक्त के निमार्ण पर प्रभाव होता है यह रक्त की उत्तपत्ति के स्थान को रोगी कर देता है।
- लिम्फोमा : इस प्रकार का कैंसर लिम्फ ऊतकों में पाया जाता है।
- ब्रेन टुम्मर : इस प्रकार का कैंसर मस्तिष्क में पाया जाता है इस में मस्तिष्क कार्य प्रभवित होते है।
- रिप्रोडेक्टिव कैंसर : किस प्रकार का कैंसर व्यक्ति के प्रजनन अंगो में पाया जाता है।
इन प्रकार के कैंसर के अतिरक्त भी कई प्रकार के कैंसर है जो कई रोगियों में देखे गए है उन पर अभी भी शोध कार्य हो रहे है।
कैंसर के उपचार।
जैसा की हम जानते हे की कैंसर अलग अलग तरह का होता है उसके लक्षण भी अलग होते है और उसका व्यक्ति व्यक्ति पर भी असर अलग अलग होता है। इसी प्रकार कैंसर का इलाज़ भी अलग अलग होता है यह सव रोग की तिवत्रता ,.स्थिति और बीमारी किस चरण में है उस पर निर्भर करता है।कैंसर की कुछ इलाज़ की विधियां इस प्रकार है।
सर्जरी : कैंसर के इलाज़ में सर्जरी को सवसे सफल इलाज़ मन जाता है। जव कैंसर अपने शुरुवाती चरण में होता है और एक निश्चित जगह तक सिमित होता है तव सर्जरी के माध्यम से उस हिस्से को अलग कर कैंसर मुक्त कर दिया जाता है।
रेडिएशन थेरपी : कैंसर के इस प्रकार के इलाज़ में रोग प्रभावित अंग पर रेडिओएक्टिव किरणों को दाल कर कैंसर कोशिका को मारा जाता है जिस कारण से कैंसर अपना दायरा बड़ा नहीं पता है और व्यक्ति के शरीर में कैंसर और अधिक बढ़ नहीं पता है।
कीमोथरेपी : कैंसर के इस प्रकार के इलाज़ में कुछ विषेस दवा का उपयोग करके कैंसर की विरद्धि को रोका जाता है और कैंसर को खत्म करने का प्रयास किया जाता है।
कैंसर के मुख्य इलाज़ की विधियों में यह सवसे अधिक लाभदायक विधियाँ है।
कैंसर और योग चिकत्सा।
कैंसर और योग चिक्तिसा एक बहुत ही महत्त्व पूर्ण विषय है। योग चिकत्सा कैंसर की चिकत्सा में बहुत ही सहायक होता है। मगर यह मान लेना के मात्र योग चिकत्सा से कैंसर का इलाज़ हो सकता है ,यह पूर्ण रूप से सत्य नहीं है। मगर ये पूर्ण रूप से सत्य है की योग चिकत्सा के सहयोग से कैंसर से निजात पाना बहुत सरल हो जाता है। योग चिकत्सा के सहयोग से कैंसर के इलाज़ में निम्न लाभ मिल सकते है।
मानसिक मजबूती : कैंसर से जूझ रहे मरीज़ और उसके परिवार को दोनों को ही योग अभ्यास करने से मानसिक मजबूती प्राप्त होती है।
आत्मबल : योग अभ्यास से कैंसर के मरीज़ को आत्म बल प्राप्त होता है जिससे वह रोग का आसानी से सामना कर सकता है।
मजबूत संकल्प शक्ति : योग अभ्यास से कैंसर पीड़ित व्यक्ति की संकल्प शक्ति बहुत बढ़ जाती है जो उसको रोग से पूर्ण रूप से मुक्त होने में सहयोग करती है।
आत्म सयम : कैंसर जैसे रोग से लड़ते समय व्यक्ति को बहुत नियम से चलने की जरूरत होती है जिसके लिए व्यक्ति में आत्म सयम होना बहुत जरुरी होता है योग के अभ्यास से रोगी को यह आत्म सयम विकसित करने में बहुत लाभ प्राप्त होता है।
आत्म निर्भर : कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमे रोगी शारीरक और मानसिक दोनों तरह से दुसरो पर निर्भर हो जाता हे जिस करना रोग का दुष्प्रभाव बहुत होने लगता है ,ऐसी स्थिति में योग का अभ्यास रोगी को आत्म निर्भर बने रहने में बहुत सहयोग देता हे।
उत्साह : कैंसर जैसी बीमारी का पता चलते ही रोगी जीवन के प्रति एक दम से उदासीन हो जाता है जिससे उसके जीवन में एक दुःख पूर्ण वातावरण बन जाता है। ऐसे में योग अभ्यास व्यक्ति के लिए बापस से जीवन के लिए अपने स्वास्थ्य प्राप्ती के लिए नया उत्साह और उमंग का संचार होता है।
इस प्रकार ये कहा जा सकता है की योग अभ्यास कैंसर चिकत्सा में बहुत ही सहायक हो सकती है इसलिए किसी योग्य योग शिक्षक के सहयोग से योग अभ्यास जरूर करना चाहिए।
निष्कर्ष :
जैसा की हम जान चुके है की कैंसर एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है जिस के विषय में हमको सदा सजग और जाग्रत रहना चाहिए। अगर किसी को यह बीमारी हो जाती है तो हमको डरना या घवराना नहीं चाहिए। बल्कि रोग की सही जाँच कराकर उसका उचित इलाज़ करना चाहिए। साथ ही योग का अभ्यास रोग के इलाज़ में बहुत ही सहयोग प्रदान करता है। इसलिए हमको कैंसर जैसी बीमारी से डरना नहीं चाहिए बल्कि डट कर और समझदारी से इस बीमारी का सामना करना चाहिए।