पार्किंसन रोग में योग।
पार्किंसन रोगियों के लिए योग बहुत फायदे मंद है। योग के नियमित अभ्यास करने से रोगी को शरीर मानसिक दोनों ही स्तर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। नियमित रूप से योग अभ्यास करने से शरीर के भीतर ,संतुलन, मांसपेशियों में लचीलापन ,ताकत ,मानसिक और वैचारिक स्थिरताप्राप्त होती है, जिससे पार्किंसन रोगियों को एक बेहतर जीवन जीने में सहायता प्राप्त होती है। पार्किंसन रोगियों को योग के निम्नलिखित लाभ होते हैं। मंत्र योग व्यक्तित्व विकास और सुधार।

१. संतुलन में सुधार।
- पार्किंसन रोग में मस्तिष्क की कोशिकाओं का हास होने के कारण रोगी को शारीरिक संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। जिसके कारण उसके गिरने की संभावनाएँ बढ़ जाती है। नियमित योग अभ्यास करने से रोगी को संतुलन बनाए रखने में लाभ प्राप्त होता है। पार्किंसन रोग।
- योग में संतुलन वाले आसनों का अभ्यास करने से रोगी का शारीरिक संतुलन बहुत अच्छा हो जाता है। जैसे वृक्ष आसन का अभ्यास करने सेऔर उत्कट आसन का अभ्यास करने से रोगी का शारीरिक और मानसिक संतुलन मजबूत होता है।
- मांसपेशियों की शक्ति में भी सुधार होता है, जिससे चलने फिरने या किसी भी शारीरिक गति को करने में आसानी होती है।
२ . मांसपेशियों की जकड़न में राहत।
- पार्किंसन रोगियों में मांसपेशियों में अकड़न और जकड़न बनी रहती है। जिससे शरीर में दर्द और थकान का अनुभव होता है। योग के अभ्यास करने से मांसपेशियों में खिंचाव और ढीलापन का संचार होता है। जिससे शरीर में अकड़न और थकान की अनुभूति कम होती है।
- हल्के खिंचाव वाले योग अभ्यास करने से मांसपेशियों का लचीलापन बना रहता है। अकड़न कम होती है। मांसपेशियां मुलायम बनी रहती है। जिससे शारीरिक गतिविधि करने में आसानी होती है। वजन घटाने का शाकाहारी डाइट प्लान 2

३ . स्वसन तंत्र मजबूत होता है।
- पार्किंसन रोगियों में कई बार सांस लेने में भी कठिनाई होती है। मगर नियमित योग अभ्यास के आसनों और प्राणायाम का अभ्यास करने से स्वसन तंत्र काफी मजबूत हो जाता है। जिससे स्वसन संबंधी समस्याएं नहीं होती है।
- योग अभ्यास में प्राणायाम का अभ्यास करने से पार्किंसन में विशेष लाभ प्राप्त होता है। इससे हमारे फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है। स्वसन प्रणाली सुदृढ़ और मजबूत होती है। एक माह में 7 किलो वजन घटाने का डाइट प्लान।
- प्राण आकर्षण प्राणायाम , अनुलोम विलोम, नाड़ी शोधन ,कपालभाति आदि का नियमित अभ्यास करने से मस्तिष्क के कोशिकाएँ पुनः जागृत हो सकती है ,जिससे डोपामाइन उत्पादन में वृद्धि हो सकती है।
४ . तनाव में कमी।
- पार्किंसन के मरीजों में चिंता, अवसाद और अत्यधिक तनाव देखने को मिलता है। नियमित योग अभ्यास करने से इन समस्याओं से रोगी को दूर रखा जा सकता है। ब्रेस्ट कैन्सर
- ध्यान और प्राणायाम के अभ्यास से मस्तिष्क को गहन शांति और मस्तिष्क के भीतर प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन का संचार होता है। जिससे मन मस्तिष्क को शांति और आनंद का अनुभव होता है।
- सब आसान और योग निद्रा का अभ्यास पार्किंसन में बहुत लाभदायक है। यह मरीज को शारीरिक और मानसिक शांति प्रदान करने वाला है।
५ . दैनिक कार्यों में सुधार।
- पार्किंसन रोगी , शरीर के भीतर रोग के कारण उत्पन्न होने वाले बदलाव से परेशान रहता है। जिसमें धीमी गति, मांसपेशियों की अकड़न, कठोरता आदि है। कैंसर रोग में प्रोटीन आहार।
- नियमित योग का अभ्यास करने से शरीर के भीतर मांसपेशियों में लचीलापन बनता है। जिससे रोगी को अपने दैनिक कार्यों में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होती है।
- दैनिक कार्यों के करने के लिए रोगी किसी पर भी निर्भर नहीं करता है। अगर रोगी योग का अभ्यास नियमित रूप से करता है, तो वह धीरे धीरे अपने आवश्यक कार्यो के लिए आत्म निर्भर हो जाता है।
६ . अच्छी नींद।
- पार्किंसन रोग बहुत ही तीव्रता से अपना प्रभाव लेकर आता है। जिसका कारण से रोगी अपने भविष्य को अंधकार में समझता है। परिणाम स्वरूप रोगी गहन तनाव में आ जाता है। जिस कारण उसकी नींद बहुत ज्यादा प्रभावित होती है।
- योग अभ्यास नियमित रूप से करने पर रोगी को मानसिक शांति प्राप्त होती है। जिससे वे अच्छी नींद ले पाता है। और रोग की तीव्रता को बढ़ने से रोक सकता है। गहरी आरामदायक नींद मस्तिष्क की कोशिकाओं के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है।
- शवासन और योगनिंद्रा का अभ्यास करने से मस्तिष्क की कोशिकाओं को विशेष लाभ होता है। परिणाम स्वरूप गहरी और आरामदायक नींद मस्तिष्क को पुनः जीवित करने में सहायक होती है।
७ . डोपामाइन स्तर में वृद्धि।
- पार्किंसन रोग में मस्तिष्क की कोशिकाओं को क्षति पहुंचने के कारण निकलने वाले रसायन डोपामाइन की कमी हो जाती है।
- योग के नियमित अभ्यास करने से शरीर में डोपामाइन जैसे हार्मोन का स्तर बढ़ना शुरू हो जाता है। जिससे पार्किंसन रोग के लक्षणों से राहत प्राप्त होती है।
- अनुलोम विलोम ,नाड़ीशोधन , कपालभाति आदि प्राणायाम का अभ्यास बहुत लाभदायक सिद्ध होता है।

८ . रोग को बढ़ने में रोकथाम।
- योग का नियमित अभ्यास करने से शरीर के भीतर शक्ति ,स्पूर्ति ,लचीलापन बढ़ता है।
- हमारा तंत्रिका तंत्र मजबूत होता है और सही से कार्य करना प्रारंभ करता है।
- परिणाम स्वरुप पार्किंसन रोग की तीव्रता कम होती है। रोगी लंबे समय तक आसानी से सहज जीवन यापन कर सकते हैं।
९ . आत्मनिर्भर और आत्मविश्वास।
- नियमित योग अभ्यास करने से रोगी की शारीरिक और मानसिक स्थिति में तेजी से सुधार होता है।
- नियमित योगाभ्यास करने से रोगी की स्तुति स्थिर बनी रहती है।
- नियमित योगाभ्यास करने से शारीरिक मानसिक और भावनात्मक स्थिरता आती है। जिसके परिणामस्वरूप रोगी का आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता लगातार बढ़ती है। रोगी सहजता से अपना जीवन यापन कर पाता है।
१० . सकारात्मक दृष्टिकोण।
पार्किंसन रोगियों में ये पाया गया है रोग के कारण वह अपने जीवन से सकारात्मक विचार और दृष्टिकोण को खो देते हैं। वह अपने जीवन को एक गहन अंधकार और निराशा में पाते है। नियमित योगाभ्यास करने से उनके जीवन से ये सभी चीजें दूर होती है.,और उनकी जगह एक सकरात्मक पर जीवन के प्रति उत्साह और उमंग से भरे हुए दृष्टिकोण का संचार होता है। रोगी को उसको रोग से होने वाली कठिनाइयों से लड़ने में सहायक होता हैं।
११ . सावधानियाँ।
- योग का अभ्यास हमें किसी योग्य योग चिकित्सक की देखरेख में ही करना चाहिए।
- अपनी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार ही योग अभ्यास करें।
- योग अभ्यास करते हुए अनुशासन और धैर्य का पालन करें।
- योग अभ्यास के साथ साथ नियमित रूप से आपने चिकित्सक द्वारा दी गई सलाह का भी अनुसरण करें।
निष्कर्ष:-
पार्किंसन एक खतरनाक रोग है। यह मनुष्य के जीवन को बहुत ही कठिन बनाता है। इसमें रोगी अपने दैनिक कार्यों के लिए भी आत्म निर्भर नहीं रह पाता है। ऐसी स्थिति में वह अपने जीवन को अंधकार में पाता है। इस अवस्था में योग का अभ्यास पार्किंसन रोगियों के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होता है। योग का नियमित अभ्यास शारीरिक लाभ के साथ मानसिक और भावनात्मक लाभ भी प्रदान करता है। यह व्यक्ति के अंदर जीवन के प्रति एक धनात्मक दृष्टिकोण को बढ़ता है ,और रोग से लड़ने में सहायक सिद्ध होता है। इसलिए पार्किंसन रोगियों को योग अभ्यास नियमित रूप से करना चाहिए।