डिप्रेशन क्या है ?

डिप्रेशन को सामान्य भाषा में ‘अवसाद ‘कहते है। आज के समय में डिप्रेशन एक सामान्य और ख़राब मानसिक स्थिति हो गई हो गई है। यह एक गंभीर मानसिक स्तिथि है ,जो व्यक्ति की सोचने ,समझने और महसूस करने को प्रभावित करता है। डिप्रेशन एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य विकार है। इसमें व्यक्ति लम्बे समय तक उदासी ,निराशा और नकारात्मक विचार महसूस करता है। लम्बे समय तक डिप्रेस्शन की स्तिथि बना रहना बहुत नुकसान देह भी हो सकता है। कभी कभी यह स्थिति व्यक्ति को आत्मघात की ओर भी ले जाता है। डिप्रेशन को एक रोग की तरह समझना चाहिए और उचित इलाज़ भी करना चाहिए।तनाव Stress

डिप्रेशन के लक्षण।

डिप्रेशन के मुख्य लक्षण निम्न प्रकार होते है।

डिप्रेशन के मानसिक लक्षण।

  • लगातार उदासी का बने रहना
  • लगातार निराशा का अनुभव हो 13
  • आत्मगिलानी की भावना का होना
  • किसी भी कार्य या वस्तु पर ध्यान केंद्रित करने में समस्या हो ना
  • जीवन ओर तुहिन मालूम होना अर्थहीन
  • अर्थहीन महसूस करना
  • के प्रति स्वयं के प्रति नकारात्मकता का अत्यधिक होना
  • आत्मघात के विषय में सोचना
  • मनपसंद चीजों से मुंशी का कम हो जाना जो चीजें पहले आनंद देती थी वो इस स्थिति में निरर्थक और बेकार लगती है
  • प्रस्थिति और परिस्थिति के लिए खुद को दोषी मानना
  • भविष्य के प्रति नकारात्मक सोच हो जाना मानसिक तनाव

डिप्रेशन की शारीरिक लक्षण।

  • शरीर में लगातार थकावट का अनुभव होना।
  • शरीर में अत्यधिक ऊर्जा की कमी अनुभव होना।
  • वजन का तेजी से बढ़ना या घटना। एक माह में 7 किलो वजन घटाने का डाइट प्लान।
  • सिर दर्द ,बदनदर्द और हरारत का शरीर में अनुभव होते रहना।
  • अत्यधिक नींद आना या नींद का बहुत कम हो जाना ,डिप्रेशन का एक शारीरिक लक्षण है।

डिप्रेशन के सामाजिक लक्षण।

  • परिवार और परिवार के सदस्यों से दूरी बनाना।
  • दोस्तों और सहयोगियों से बातचीत बंद कर देना।
  • समाज से दूरी बनाना। योग तनाव मुक्ति के लिए
  • पढ़ाई में और काम में खराब प्रदर्शन।
  • सभी वस्तुओं,व्यक्तियों और परिस्थितियों में सिर्फ नकारात्मक चीजों को ही देख पाना।

डिप्रेशन का कारण।

डिप्रेशन के पीछे आधुनिक समय में कई कारण हो सकते है। उनमें से कुछ मुख्य रूप से पाए जाने वाले कारण निम्न प्रकार हैं।

डिप्रेशन के जैविक कारण।

१ . डिप्रेशन के लिए हमारे मस्तिष्क में न्यूरोट्रांस्मीटर का जैसे सेरोटोनिन और डोपामिन का असंतुलन हो जाना एक मुख्य जैविक कारण होता है।

२ . हार्मोनल परिवर्तन विशेषकर महिलाओं में मासिक धर्म यह गर्भावस्था के दौरान शरीर में हार्मोन परिवर्तन होने के कारण भी अवसाद और डिप्रेशन की अनुभूति हो सकती है। यम “आष्टांग योग” और व्यक्तित्व विकास।

डिप्रेशन के आनुवांशिकी कारण।

अनुवांशिकता का अर्थ होता है ,माता पिता या हमारे पूर्वजों से हमारे भीतर आए हुए लक्षण और गुण। यह डीएनए के माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी आते हैं। यदि परिवार में किसी को डिप्रेशन था। तो इसकी अत्यधिक संभावना है की ये आगे पीढ़ी में भी परिवार के किसी सदस्य को हो सकता है। फलों से वजन घटाने का डाइट प्लान।

डिप्रेशन के मनोवैज्ञानिक कारण।

डिप्रेशन के कुछ मनोवैज्ञानिक कारणों में से मुख्य कारण निम्न प्रकार हैं।

  • आत्मसम्मान की कमी।
  • आत्मविश्वास का कमजोर होना या ना हो।
  • अत्यधिक नकारात्मक सोच की प्रवृत्ति का होना।
  • हीन भावना से ग्रसित होना।
  • भावनात्मक रूप से कमजोर होना।
  • बचपन की किसी घटना का डर होना।
  • असफल होने से अत्यधिक डरना।

डिप्रेशन की सामाजिक कारण।

  • अकेलापन।
  • मित्रों और परिवार के सदस्यों से विचारों का ना मिले।
  • आयु में अंतर हो।
  • तनावपूर्ण रिश्ते।
  • कमजोर आर्थिक स्थिति का होना।
  • बेरोजगार होना।
  • किसी प्रिय व्यक्ति का खो जाना। योग अभ्यास से पहले Vitamin D की शारीरिक जाँच ।

डिप्रेशन के प्रकार।

डिप्रेशन मुख्य रूप से निम्न प्रकार का होता है। पार्किंसन रोग।

मेजर डिप्रेसिव डिसॉर्डर।

मेजर डिप्रेसिव डिसॉर्डर की निम्न पहचान होते हैं

  • लगातार दो सप्ताह या उससे अधिक समय तक गहरी उदासी और नकारात्मकता की स्थिति बने रहना।
  • शरीर में अत्यधिक थकावट और ऊर्जा की कमी का अनुभव होना।
  • मनपसंद चीजों से रुचि का हट जाना।
  • अत्यधिक नींद आना या नींद का बहुत कम हो जाना।
  • भूख में बदलाव होना।
  • आत्मघाती विचारों का आना। फलों से वजन घटाने का डाइट प्लान।

परसिस्टेंट डिप्रेसिव डिसॉर्डर।

परसिस्टेंट डिसॉर्डर के मुख्य लक्षण निम्न प्रकार हैं।

  • ये हल्का लेकिन लंबे समय तक रहने वाला डिप्रेशन होता है।
  • डिप्रेशन के लक्षण हल्के लेकिन लगातार रहते हैं।
  • ये डिप्रेशन कम से कम दो ढ़ाई साल तक बना रहता है।
  • व्यक्ति सभी सामान्य कार्य करता है।
  • व्यक्ति सामान्य कार्य करते हुए अकेलापन ,खालीपन और गहरे दुख का अनुभव करता है।
  • व्यक्ति को जीवन निर्थक उदासीन अनुभव होता है। ब्रेस्ट कैन्सर

बाइपोलर डिप्रेसिव डिसऑर्डर।

बाइपोलर डिप्रेसिव डिसॉर्डर के मुख्य लक्षण निम्न प्रकार हैं।

  • बाइपोलर डिप्रेसिव डिसॉर्डर डिप्रेशन और अधिक उत्साह के बीच बदलाव लाता है।
  • व्यक्ति बहुत अधिक खुश उत्साही या बहुत अधिक चिड़चिड़ा हो जाता है।
  • डिप्रेसिव फेज में बहुत गहरी उदासी और अत्यधिक निराशा का अनुभव करता है।

सीजनल अफेक्टिव डिसॉर्डर।

  • ये मौसम के अनुसार डिप्रेशन होता है , खासकर सर्दियों में इस प्रकार का डिप्रेशन बहुत अधिक प्रभाव दिखाता है।
  • सूरज की रौशनी की कमी इसका मुख्य कारण मानी जाती है।
  • अत्यधिक नींद, वजन बढ़ना, कमज़ोरी का अनुभव होना इसके मुख्य लक्षण होते हैं।

पोस्टपार्टम डिप्रेशन।

  • गर्म अवस्था के बाद बच्चे को जन्म देने के उपरांत नई माताओं में इस प्रकार का डिप्रेशन पाया जाता है।
  • अत्यधिक थकावट चिंता उदासी और बच्चे से जुड़ाव की कमी इसके मुख्य लक्षण होते हैं।
  • गंभीर अवस्था में माताएं स्वयं को या बच्चे को नुकसान पहुंचाने के विषय में भी सोचने लगती है।

प्रीमेनस्ट्रुअल डिसॉर्डर।

महिलाओं में मासिक भ्रम से कुछ दिन पहले अत्यधिक मूड स्विंग्स चिड़चिड़ापन थकावट और चिंता यही सामान्य लक्षण दिखाई देते है। ये सामान्य पीएमएस से कहीं अधिक तीव और हिंसक हो सकते है। प्रोबायोटिक फूड घर पर कैसे बनाएँ ?

टिपिकल डिप्रेशन।

इस प्रकार की डिप्रेशन में व्यक्ति बहुत अच्छी घटनाओं पर खुशी महसूस करता है और सामान्य रहता है, लेकिन फिर भी डिप्रेशन में होता है। अत्यधिक नींद ,भूख में वृद्धि और अस्वीकृति के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील होता है।

डिप्रेशन के उपचार।

डिप्रेशन जिसको सामान्य भाषा में अवसाद भी कहते हैं ,एक मानसिक स्वास्थ्य की खराब स्थिति होती है। इसका इलाज संभव है .इसके लिए उपचार की कई प्रभावित पद्धतियां उपलब्ध है। कुछ प्रमुख उपचार विधियों निम्नलिखित हैं।

मनोचिकित्सक द्वारा।

१: सबसे प्रभावी उपचार विधियों में से एक है। इसमें किसी विशेषज्ञ मनोचिकित्सक से मिलकर रोगी के भीतर से नकारात्मक सोच को सकारात्मक सोच में बदला जाता है। इसको (सी बी टी )कहते हैं। सी बी टी का अर्थ होता है,कॉग्नेटिव बिहेवियरल थेरेपी।

२ : मनोचिकित्सक की सहायता से रोगी के रिश्तों में सुधार लाने की कोशिस की जाती है। रोगी को समाज के साथ एक धारा में जोड़ ने का कार्य किया जाता है।इस उपचार को” इंटर पर्सनल थेरेपी” कहते हैं। ये दोनों उपचार की विधियां रोगी के लिए बहुत अधिक लाभकारी होती है।

औषधियों द्वारा।

रोग की तीव्रता अधिक होने पर विशेषज्ञ मनोचिकित्सक की सलाह के अनुसार अवसादरोधी दवाएं का उपयोग करते हैं। अवसादरोधी दबा का उपयोग किसी विशेषज्ञ चिकित्सक के परामर्श और देख रेख में ही करना चाहिए। इनको अचानक से बंद भी नहीं करना चाहिए।

स्वस्थ्य जीवन शैली अपनाना।

डिप्रेशन से ग्रसित रोगी को अपने जीवन में व्यायाम , संतुलित आहार , समय पर सोने और जागने को शामिल करना चाहिए। अच्छा ,स्वास्थ्य वर्धक और संतुलित आहार मानसिक स्वास्थ पर सकारात्मक प्रभाव डालता है, जिससे डिप्रेशन की समस्या का उपचार आसानी से हो सकता है। कैंसर रोग में प्रोटीन आहार।

चिकित्सक से परामर्श।

मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ जिसको “साइकोलॉजिस्ट”के नाम से भी जाना जाता है, मिलना भी बहुत लाभकारी होता है। कभी कभी मानसिक रोग विशेषज्ञ “ECT”की सलाह भी देता है। ECT का अर्थ होता है (इलेक्ट्रो कंपल्सिव थेरेपी )जब अन्य उपचार कारगर नहीं होते हैं। कुछ उन विशेष स्थितियों में इस उपचार को दिया जाता है। योग अभ्यास से पहले Vitamin D की शारीरिक जाँच ।

योगअभ्यास।

नियमित योग अभ्यास ध्यान और प्राणायाम शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करने में लाभकारी होते हैं। अगर रोगी नियमित योग अभ्यास करता है ,तो उसके भीतर नई ऊर्जा ,उत्साह और आनंद का संचार होता है। जिससे धीरे धीरे रोगी के भीतर से स्वयं के और जीवन के प्रति नकारात्मक कम होती है। उसके भीतर सकारात्मक विचार का संचार होना प्रारंभ हो जाता है। योगअभ्यास से पहले कैल्शियम (calcium) की जांच।

अगर कोई व्यक्ति अवसाद से जूझ रहा है, तो जल्द से जल्द किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से उसका उपचार कराना आवश्यक हो जाता है। सही समय पर उपचार शुरू होने पर व्यक्ति डिप्रेशन के दुष्परिणामों से बच सकता है, और एक स्वस्थ्य,शांति पूर्ण और आनंदमय जीवन जी सकता है।

निष्कर्ष।

डिप्रेशन एक मानसिक समस्या है। जो जीवन के भीतर आने वाले उतार और चढ़ाव के कारण हो सकती है। प्रभावित व्यक्ति मानसिक रूप से थकान ,उदासी ,चिड़चिड़ापन ,गुस्सा आदि को अनुभव करता है। इसको मात्र व्यवहार का गुण ना मानकर रोग के रूप में देखना चाहिये। ये रोग कई बार बहुत घातक रूप भी ले सकता है इसलिए सही समय पर विशेषज्ञ चिकित्सक की देखरेख में उपचार प्रारंभ करना चाहिए।