गले का कैंसर।

गले का कैंसर बहुत ही तेज़ी से रोगी के स्वाथ्य को बिगाड़ देता है। कैंसर अपने आप में ही एक बहुत ही भयाभय बीमारी है। जैसे ही किसी को पता चलता है उसको या उसके परिवार के किसी सदस्य को कैंसर जैसी बीमारी है। वह और उसका पूरा परिबार बुरी तरह टूट है। मगर हमको ऐसी अवस्था में हिम्मत और सब्र से काम लेना चाहिए। किसी भी डर या गलत फहमी में न रह कर किसी अच्छे हॉस्पिटल में किसी डॉक्टर से सलाह ले कर उपचार कराना चाहिए।योगअभ्यास कैसे शुरु करें ? How to start Yoga practice ?

कैंसर।

हमारा शरीर बहुत सारे छोटे छोटे कण जिनको हम कोशिका ( cell )कहते है उन से मिल कर बना होता है। यह( cell ) समय के साथ बनते और मिटते रहते है। इस बनने और मिटने के दौरान कुछ ख़राब कोशिका भी बन जाती है। शरीर इन ख़राब कोशिका को हटा देता है और शरीर अपना काम सही और स्वथ्य रूप से करता है। मगर जव शरीर इन ख़राब कोशिका को मार ( साफ़ ) नहीं कर पाता है तब बह ख़राब कोशिका अपने ही जैसी खराब कोशिका की संख्या को बढ़ाने लगती है। जो कि अक्सर एक गाँठ के रूप में होती है। इन ख़राब कोशिका के अनियमित विकास से शरीर के साधारण कार्य बाधित हो जागते है।और सही और शरीर के लिए उपयोगी कोशिका का बनना कम या बंद हो जाता है। जिससे शरीर कमज़ोर और रोग शील हो जाता है। कोशिका के इस अनियंत्रित विकास को ही कैंसर कहा जाता है।

गले का कैंसर।

जव यह समस्या साँस की नली ,भोजन की नली ,नाक से संबंधित अंगो में होती है। तब यह समस्या गले का कैंसर कही जाती है। कोशिका का जब यह अनियंतिरत विकास गले सम्भंधित अंगो में होने लगता है तब गले के अंगो के सामान्य कार्यों में बाधा आने लगती है। तब इस समस्या को गले का कैंसर कहते है। इसकी पहचान ,कारण ,प्रकार,और उपचार के विषय में हम आगे विस्तार से इस लेख में जानेंगे।

गले के कैंसर की पहचान।

गले के कैंसर की समस्या आज कल बहुत तेज़ी से बढ़ रही है। जैसा की हम जानते है की कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका पूर्ण रूप से इलाज़ हो पाना आज भी बहुत मुश्किल है। मगर अगर हमको इस बीमारी का पता शुरू वात में ही लग जाये तब इसका इलाज़ होना और इस बीमारी से मुक्त होना आसान हो जाता है। इसलिए हमको गले के कैंसर के पहचान के लक्षणों के बारे में पता होना चाहिए। तो आइये हम गले के कैंसर के कुछ सामान्य लक्षणों के बारे में जानते है।

  • गले में दर्द होना :-यह सवसे सामान्य लक्षण हे गले के कैंसर का। इसमें गले में लगातार हल्का या तीव्र दर्द बना रहता है। इस दर्द का कोई कारण नहीं होता है मगर फिर भी दर्द लगातार बना रहता है।
  • स्वांस लेने में दिक्क्त :- सामान्य अवस्था में भी व्यक्ति को स्वांस लेने में दिक्क्त होती है। स्वांस लेने में ज़ोर लगाना पड़ता है। स्वांस लेने में दर्द महसूस होता है। स्वांस लेते समय या छोड़ते समय चककर आना।
  • गले में सूजन का होना :- गले में सूजन का होना और लगातार बने रहना भी गले के कैंसर के होने की वजह से हो सकता है।
  • खाने को निगलने में दिक्क्त होना :- जव व्यक्ति को भोजन को निगलने में दिक्क्त हो जैसे दर्द होना सुई सी चुभना आदि टीवी यह गले के कैंसर के कारण भी हो सकता है।
  • आवाज़ में असामन्य बदलाब :- जब अचानक या धीरे धीरे आवाज़ में बदलाव आये और ये बना ही रहे। आवाज़ हल्की या भारी हो जाये। या आवाज़ चली जाये तो ये भी गले के कंकड़ेर के कारण हो सकता है।
  • इन्फेक्शन का होते रहना :- जव व्यक्ति को बार बार गले से जुड़े इंफेक्शन होने लगे और मुश्किल से ठीक होने पर बार बार होते रहे तो इस का कारण गले का कैंसर भी सकता है।
  • गले में गांठ :- गले में गांठ का महसूस होना और गांठ में दर्द होना भी एक सामान्य गले के कैंसर की पहचान है।
  • गले में भारीपन :- गले में भारीपन का होना चीजों को निगलने सांस लेने में भरीपन महसूस होना भी गले के कैंसर की बजह से हो सकती है।
  • खून की उलटी होना :- कुछ प्रकार गले के कैंसर में खून की उलटी भी होती है। अगर ऐसा बार बार हो तो इसकी बजह गले का कैंसर भी हो सकता है।
  • बदबूदार बलगम :- जब गले से निकलने बाले बलगम से बहुत तीव्र दुर्गन्ध आये और साथ स्वांस में भी बदबू आये तब इसका एक कारण गले का कैंसर भी हो दकता है।

गले के कैंसर के कारण।

गले के कैंसर होने के मुख्य कारण इस प्रकार है।

  • धूम्रपान :- धूम्र पान गले के कैंसर होने के मुख्य कारणों में से एक है।
  • तम्बाकू का सेवन :- तम्बाकू का सेवन भी गले के कैंसर का एक मुख्य कारण है।
  • शराब का सेवन :-शराब का अधिक सेवन करना भी गले के कैंसर के होने का एक मुख्य कारण हो सकता है।
  • प्रदुषित वातावरण :- प्रदूषित वातावरण भी गले के कैंसर होने का कारण हो सकता है।
  • गले के इन्फेक्शन :- कभी कभी यह भी देखा गया है की किसी इन्फेक्शन होने और लापरवाही होने की वजह से भी गले का कैंसर हो सकता है।
  • बायरस :- कई बार गले के कैंसर का कारण बायरस भी हो सकता है।
  • अनुवांशिकी :-कई बार अगर किसी के परिबार में कैंसर का इतिहास होता है उस कण्डीशन में भी कई बार उसके परिबार में किसी सदस्य को भी गले के कैंसर होने की संभावना हो सकती है।

गले के कैंसर के प्रकार।

गले का कैंसर कई प्रकार का होता है,जो की इस प्रकार है।

  • स्वरयंत्र कैंसर :- इस प्रकार का कैंसर गले के ध्वनि बाले भाग में होता है। इस प्रकार का कैंसर गले के भीतर ध्वनि बनाने बाले हिस्से में होता है। इस प्रकार के कैंसर में व्यक्ति के गले में दर्द और सूजन के होने के साथ आवाज में बदलाव आ जाता है।
  • फैरिंगल कैंसर :-इस प्रकार का कैंसर गले में गलफन्क बाले हिस्से में होता है। इसमें स्वरयंत्र वाले कैंसर के जैसे ही लक्षण होते है। दोनों की जांच के बाद ही पता चलता है की कोन सा कैंसर है।
  • एसोफोजियल कैंसर :-इस प्रकार का कैंसर गले के भीतर कंठ में होता है। कंठ में एसोफेगस नामक एक वाल्व होता है जो स्वांस लेने और भोजन निगलने को अलग अलग बनाये रखता है। इस प्रकार का कैंसर गले के इसी भाग में होता है।
  • नासोफैरिजियल कैंसर :- इस प्रकार का कैंसर गले के भीतर नाक और ऊपरी हिस्से में होगता है। इस प्रकार के कैंसर में रोगी को स्वांस लेने में दिक्क्त होती है।

यह कुछ मुख्य गले के कैंसर के प्रकार होते है। इनके आलावा और भी कई प्रकार के गले के कैंसर होते है। आज कल गले का कैंसर बहुत तेज़ी से फैलता जा रहा है इसका मुख्य कारण खान पान वातावरण धूम्र पान तंबाकु सेबन आदि को मन जाता है मग चाहे कारण कुछ भी हो हमको कैंसर के प्रति सजग और जाग्रत रहने की जरूरत है इसलिए जव भी हमको गले में कुछ असामान्य सा महसूस हो और वः लम्वे समय तक बना रहे तब हमको पूरी से डॉक्टर की सलह लेना चाहिए और पूरी गंभीरता के साथ इलाज़ लेना चाहिए।