मंत्र जप योग साधना।

मंत्र जप योग साधना प्राचीन भारतीये योग परम्परा की सवसे विख्यात, सरल और प्रभावी योग विधि है। योग साधना के साधक को शरीर के साथ मन ,भाव, विचार ,आदि पर भी नियंत्रण करने का प्रयास करना होता है। शारीरिक नियंत्रण करना तो बहुत आसान होता है, कोई भी योग साधक थोड़े से प्रयास से उस पर नियंत्रण प्राप्त कर सकता है। मगर जिनसे हमारा शरीर नियंत्रित होता है , जिसे मन और विचार कहते है। उन पर नियंत्रण करना बहुत ही मुश्किल कार्य होता है। इसलिए योग साधना में शीघ्र और प्रभावी रूप से सफलता प्राप्त करने के लिए साधक को अपने मन, विचार, भाव, संवेदना आदि पर नियंत्रण रखना अत्यधिक आवश्यक है। इसी मुश्किल कार्य को सरल करने के लिए भारतीय प्राचीन योग परम्परा में मंत्र जप योग विधि का प्रयोग होता आ रहा है।

मंत्र क्या है ?

मंत्र जप योग साधना में जो शब्द ,या शब्दों का समूह जप के लिए उपयोग किया जाता है वह मंत्र कहलाता है। वैसे तो हमारे वेदों और पुराणों में हज़ारों मंत्र है , किसी भी मंत्र का उपयोग जप के लिए किया जा सकता है। वेदो पुराणों और शास्त्रों में मुख्य रूप से दैविक मंत्र ,तांत्रिक मंत्र ,आध्यत्मिक मंत्र आदि कई प्रकार के मंत्र प्राप्त होते है। इनमे से किसी भी मंत्र का उपयोग जप योग साधना के लिए किया जा सकता है।

” मंत्र ” का अर्थ।

मंत्र जप योग साधना में “मंत्र”शब्द दो शव्दो से मिल कर बना है जिसमे पहला शब्द है “मन “और दूसरा है ” त्र” । मन का अर्थ होता है “चिंतन “और “त्र”का अर्थ होता है त्राण।”त्राण” का मतलव होता है ” मुक्त” होना। तो इस प्रकार मंत्र का अर्थ हुआ ,” चिन्तन के द्वारा मुक्त होना ” ।

मंत्र का एक अन्य अर्थ भी है “वह शक्ति जो मन को मुक्त कर दे वह “मंत्र” कहलाती है।जैसा की हम जानते है की मानव की सारी शक्तियां उसके मन की गहराइयों में छिपी रहती है। आधुनिक मनोविज्ञान की भाषा में मन के इस छिपे हिस्से को “अचेतन” कहा जाता है। इसी अचेतन में मानव की सभी दैविक ,भौतिक, और आध्यत्मिक शक्तियाँ छिपी रहती है। इन सभी शक्तियो को जाग्रत करने के लिए हमको प्रयास करने होते है। मंत्र जप इन छिपी शक्तियों को मुक्त (जाग्रत ) करने में बहुत ही प्रभावी योग विधि है।

मंत्र जप ।

मंत्र जप योग साधना में किसी भी उद्देश्य की पूर्ति के लिए संकल्प ले कर निश्चित समय या संख्या पुरे होने तक मंत्र को बार बार दोहराने को मंत्र जप कहते है।

साधक जब दैविक, भौतिक या आध्यत्मिक उद्देश्य की इच्छा की पूर्ति के लिए किसी मंत्र को संकल्प लिए हुए समय या संख्या तक दोहराता रहता है तब दोहराने की यह विधि “मंत्र जप “कहलाती है।

मंत्र जप के प्रकार।

जैसा की हम जानते है की किसी मंत्र को बार बार दोहराने को जप कहते है। यह मुख्यतः चार प्रकार का होता है।

  • वाचिक जप :- इस प्रकार की मंत्र जप योग विधि में साधक किसी मंत्र के अर्थ और भाव को जान कर और उसको आत्मसात करके अपनी सभी कर्म और ज्ञान इन्द्रियों को एकाग्र करके मंत्र का तेज़ आबाज़ में उच्चारण करके मंत्र को दोहराना वाचिक जप कहलाता है।
  • उपांशु जप :- इस प्रकार की मंत्र जप योग विधि में साधक किसी भी मंत्र को जिसका उसने संकल्प किया होता है उसको इस प्रकार बोलता है ,जिसमे उसके होंठ हिलते हों और आवाज इतनी हो की साधक को खुद की आवाज़ सुनाई दे और अन्य किसी को नहीं। इस प्रकार के जप को उपांशु जप कहते है।
  • मानस जप :- इस प्रकार की मंत्र जप योग विधि में साधक संकल्प लिए हुए मंत्र का इस प्रकार जप करता है की उस कि सारी एकाग्रता पूर्ण रूप से मंत्र और मंत्र के अर्थ और भाव पर रखते हुए मंत्र का जप इस प्रकार करे की किसी भी प्रकार की कोई आवाज़ और शरीर में किसी भी प्रकार की गति न हो। जप पूर्ण रूप से मानसिक हो तो इस प्रकार के जप को मानस जप कहते है।
  • अजपा जप :- इस प्रकार की मंत्र जप योग विधि में साधक आध्यात्मिक उन्नतिं के लिए मंत्र को अपने सम्पूर्ण जीवन साधता रहता है । इस विधि में साधक मंत्र का जप अपनी प्रत्येक श्वास और प्रश्वास के साथ पूर्ण जीवन करता रहता है। इस जप विधि का अभ्यास मूल रूप से आध्यात्मिक उन्नति और संसार चक्र से मुक्ति के लिए किया जाता है। इस जप का अभ्यास दिन रात सोते जागते उठते बैठते जीवन के हर पल में किया जाता है।

मंत्र जप योग साधना के नियम।

मंत्र जप योग साधना को करने के लिए हमको उसके नियम की जानकारी होना भी बहुत आवश्यक है। नियम के अनुसार मंत्र योग साधना में आसानी होती है। नियम की जानकारी से मंत्र जप योग साधना में सफलता शीघ्र प्राप्त होती है। मंत्र योग साधना के मुख्य नियम इस प्रकार है।

  • शारीरिक शुद्धि :- मंत्र जप योग साधना शुरू करने से पहले साधक को नाह धो कर साफ़ और ढीले वस्त्र धारण करने चाहिए। इससे साधक के मन और भाव में शुद्ध और पवित्रता का संचार होता है। इससे साधक को मंत्र जप योग साधना में पूर्ण समर्पण करने में सरलता होती है
  • स्थान का निर्धारण :- मंत्र जप योग साधना शुरू करने के लिए सही स्थान का चुनाव करना भी बहुत आवश्यक है। सही स्थान के चुनाव हमको यह ध्यान रखना चाहिए की स्थान साफ़ सुथरा हो। जहाँ बैठ कर मंत्र जप करना है वह स्थान शांत हो अर्थात वहाँ किसी प्रकार का शोर न हो और न ही कीड़े मकोड़े हो।
  • निश्चित समय :- मंत्र जप योग साधना के लिए हमको निश्चित समय पर ही मंत्र जप कसरना चाहिए। इससे मंत्र जप योग साधना बहुत ही प्रभाव पूर्ण हो जाती है। मंत्र की सिद्धि भी सहजता से हो जाती है। समय नियमित होना भी आवश्यक है।
  • निश्चित स्थान :-मंत्र जप योग साधना के लिए अगर हो सके तो स्थान भी निश्चित होना चाहिए। स्थान निश्चित होने से मंत्र जप योग साधना के लिए एकाग्रता आसानी से हो जाती है। जिससे साधना आसान हो जाती है।
  • निश्चित संख्या :- मंत्र जप योग साधना के लिए निर्धारित की हुई संख्या का भी ध्यान रखना चाहिए। कभी कम या ज्यादा संख्या में जप नहीं करना चाहिए। संख्या का निर्धारण भी अपनी क्षमता के अनुसार ही करना चाहिए।
  • माला का चुनाव :- मंत्र जप योग साधना के लिए माला का उपयोग करना सवसे श्रेष्ठ माना जाता है। माला का उपयोग करने से मानसिक और वैचारिक एकाग्रता आसानी से हो जाती है। मंत्र जप की निश्चित की हुई संख्या का पालन करना भी सहज हो जाता है।
  • धैर्य (सयम) :- मंत्र जप योग साधना के लिए साधक को धैर्य रखना चाहिए। एकदम से सफलता प्राप्त करने की जगह धैर्य के साथ नियमो का पालन करते हुए मंत्र जप योग साधना का निरन्तर अभ्यास करते रहना चाहिए।
  • एकाग्रता :- मंत्र जप योग साधना के लिए साधक को मंत्र के अर्थ और भाव पर एकाग्रता बनाये रखना चाहिए। इससे मंत्र जप का प्रभाव बहुत अधिक होता है।
  • उपयुक्त मार्ग दर्शन :-मंत्र जप योग साधना के लिए किसी मार्ग दर्शक का होना बहुत अच्छा होता है। किसी अनुभवी मार्ग दर्शक के होने से साधक को आने बाली समस्याओं से निबटने में आसानी होती है। साधक को प्रेंरणा प्राप्त होती है।जिससे साधना में सफलता आसानी से प्राप्त होती है।
  • अजपाजप जपो के लिए उपयुक्त नियमो का पालन करना आवश्यक नहीं है ,क्यूंकि इस प्रकार के जप में साधक हर समय अपनी स्वांस के साथ मंत्र का जप करता है ,इसलिए इस प्रकार के जप में उपयुक्त नियमो का पालन करने की कोई विशेष जरूरत नहीं होती है।

मंत्र जप योग साधना के लाभ।

मंत्र जप योग साधना के कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक लाभ होते है ,जो की निम्न प्रकार से है।

  1. मानसिक शांति :- मंत्र जप योग साधना से साधक को शांति प्राप्त होती है। जिससे साधक को योग साधना करने में बहुत सरलता है।
  2. वैचारिक स्थिरता :-मंत्र जप योग साधना से साधक को अपने विचारों को स्थिर रखने में आसानी हो जाती है।
  3. संकल्प शक्ति :- मंत्र जप योग साधना करने से साधक की संकल्प शक्ति में बहुत विरद्धि होती है।
  4. तनाव में कमी :- मंत्र जप करने से साधक के भीतर बहुत ही अधिक मानसिक शक्ति विकसित होती है। जिससे साधक अपने जीवन में आने वाले तनाव का आसानी से सामना कर पाता है।
  5. शारीरिक लाभ :- मंत्र जप योग साधना से साधक को कई प्रकार के शारीरिक लाभ प्राप्त होते है जैसे शारीरिक द्रणता ,शारीरिक संतुलन, स्थिरता आदि।
  6. आध्यत्मिक लाभ :-मंत्र जप योग साधना से साधक को आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते है। साधक को आत्मिक शांति ,आत्मिक उन्नति ,आत्म बोध ,आत्म समर्पण ,जैसे आध्यत्मिक लाभ प्राप्त होते है।

निष्कर्ष :-

मंत्र जप योग साधना ,योग साधना की सवसे सहज और सरल योग पद्धत्ति है। ये विधि जितनी सरल है उतनी ही प्रभाव पूर्ण भी है।मंत्र योग साधना को पूर्ण विस्वास और समर्पण के साथ अभ्यास करने से साधक को आदिदैविक ,आदिभौतिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते है।प्र्तेक योग साधक को जो योग अभ्यास करता है या योग अभ्यास शुरू करना चाहता हे उसको मंत्र जप योग साधना जरूर करना चाहिए।