निम्न रक्तचाप

निम्न रक्तचाप इसको हाइपोटेंशन भी कहा जाता है। हाइपरटेंशन एक ऐसी स्थिति है , जिसमे रक्त का दबाव धमनियों में सामान्य स्तर से कम हो जाता है। “रक्तचाप “वो दबाव होता है ,जो हृदय द्वारा रक्त को धमनियां में प्रवाहित करने के कारण उत्पन्न होता है। सामान्य रक्तचाप 120 / 80 होता है। जब रक्तचाप इस माप से कम होता है तब उसको निम्न रक्तचाप या हाइपोटेंशन की स्थिति कहते हैं।

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निम्न रक्तचाप के लक्षण।

निम्न रक्तचाप या हाइपोटेंशन के मुख्य लक्षण निम्न प्रकार होते है।

  • चककर आना :-अचानक से उठने- बैठने या तेजी से शारीरिक गति करने पर सर चकरा जाता है।
  • बेहोशी:- कई बार अचानक से उठने बैड में मैं बेहोशी की अवस्था भी हो जाती है।
  • धुंधला दिखाई देना:-निम्न रक्तचाप की स्थिति में आंखो के सामने अँधेरा या धुंधलापन के साथ चक्कर भी आ सकता है।
  • थकान:- सामान्य से अधिक थकान का महसूस होना निम्न रक्तचाप का मुख्य लक्षण होता है।
  • सीने में भारीपन:-निम्न रक्तचाप की स्थिति में सीने में भारीपन अनुभव होता है जिस कारण सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है।
  • कमज़ोरी:- निम्न रक्तचाप की स्थिति में शरीर में बहुत अधिक कमजोरी महसूस होती है। व्यक्ति खड़ा होने पर पैर में कंपन महसूस करता है।
  • मस्तिष्क की कार्यक्षमता:- निम्न रक्तचाप की स्थिति में मस्तिष्क की कार्य करने की क्षमता पर गहरा प्रभाव पड़ता है। निम्न रक्तचाप की अवस्था में मस्तिष्क सोचने और एकाग्रता रखने की क्षमता को सही से नहीं कर पाता है।

निम्न रक्तचाप या हाइपोटेंशन मुख्य लक्षण ये सभी होते हैं अगर यह लक्षण प्रतीत हों तो हमको तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेना चाहिए।

निम्न रक्तचाप के कारण

निम्न रक्तचाप के मुख्य कारण इस प्रकार है।

  • तरल की कमी:- किसी भी कारणवश शरीर के भीतर आवश्यक मात्रा में जल या इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होने के कारण निम्न रक्तचाप हो सकता है।
  • हृदय संबंधी समस्याएं:- निम्न रक्तचाप का कारण हृदय की कार्यक्षमता के कम होने यह अनियमित होने के कारण भी हो सकता है।
  • हॉर्मोन्स समस्या:- निम्न रक्तचाप का कारण हमारे हार्मोन संबंधी समस्याएं भी हो सकती है। जिसमें थायरॉयड ऐड्रिनल ग्रन्थियों से संबंधित समस्याएँ मुख्य होती है।
  • एनीमिया:- एनीमिया शरीर के भीतर रक्त की कमी को कहते हैं। शरीर के भीतर रक्त का निर्माण कम होना या गंभीर रक्तस्राव होने के कारण भी निम्न रक्तचाप की समस्या हो सकती है।
  • तंत्रिका तंत्र संबंधी समस्याएं :-तंत्रिका तंत्र को सामान्य रूप से “नर्वस सिस्टम” के नाम से जाना जाता है। शरीर के भीतर जब ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम में गड़बड़ी होती है। तब निम्न रक्तचाप की समस्या हो सकती है।

निम्न रक्तचाप के ये कुछ मुख्य कारण होते हैं। जिनकी वजह से रक्तचाप सम्बंधी रोग होता है , इसलिए जैसे ही इनमे से कोई लक्षण दिखाई दे तब तुरन्त ही डॉक्टर से मिलना चाहिए।

निम्न रक्तचाप के स्वास्थ्य पर दुष्परिणाम

अचानक से रक्त चाप कम होने से और लगातार कम बने रहने से स्वास्थ्य में काफी जटिल दुष्परिणाम होते है। कुछ परिणाम निम्न प्रकार है।

  • बेहोशी :-अचानक से रक्त चाप कम हो जाने से मस्तिष्क में रक्त का संचार कम हो जाता है। जिससे मस्तिष्क के महत्त्व पूर्ण हिस्से में रक्त का संचार कम होने के कारण बेहोशी आ जाती है, जिससे रोगी का संतुलन बिगड़ जाता है। जिससे रोगी बेहोश भी सकता है।
  • महत्त्व पूर्ण अंगो को क्षति :-रक्त संचार के माध्यम से शरीर के सभी हिस्सों को ऑक्सीजन की पूर्ति होती है। ऑक्सीजन सभी अंगो के लिए अति महत्त्व पूर्ण होती है। निम्न रक्तचाप के कारण शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में रक्त का संचार कम होता है ,साथ ही ऑक्सीजन का संचार वी कम हो जाता है। परिणामस्वरूप शरीर के भीतर महत्वपूर्ण अंगों में जैसे मस्तिष्क, हृदय आदि में ऑक्सीजन की इस कमी के कारण मस्तिष्क और हृदय की भीतर स्थायी या अस्थायी क्षति हो सकती है।
  • अंग घात :-निम् रक्तचाप अगर काफी लंबे समय तक रहता हैजिसके कारण हमारे शरीर के भीतर जो महत्वपूर्ण अंग होते है जैसे की लिवर हृदय ,किडनी , मस्तिष्क आदि में घात (फेलियर) होने की सम्भावना हो सकती है।

इन सभी दुष्परिणामों के साथ साथ कुछ अन्य दुष्परिणाम भी होते है जैसे ,चलने में कठिनाई होना, हर समय अत्यधिक थकान का होना, कार्यक्षमता का घट जाना, श्वास लेने में कठिनाई महसूस होना, कभी कभी शॉक यह झटकों का अनुभव होना, बार बार तबियत खराब होना , ये सब निम्न रक्तचाप के दुष्परिणामों के कारण होते है जैसे ही ये लक्षण प्रतीत हो तब तुरंत हमको चिकत्सीय मदद लेना चाहिए।

निम्न रक्तचाप उपचार

निम्न रक्तचाप की स्थिति में रोगी को अत्यधिक सजग और जाग्रत रहने की आवश्यकता होती है। निम्न रक्तचाप को अत्यधिक जटिल रोग बनने से रोका जा सकता है। उसके लिए हमको निम्न सावधानी ओर उपचार पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

  • नियमित रक्तचाप की जांच:- निम्न रक्तचाप के रोगी को नियमित रूप से अपने रक्त दाब की जांच कराना चाहिए।
  • आहार :-निम्न रक्तचाप के रोगी को संतुलित और पौष्टिक आहार लेना चाहिए , आहार सरलता से सुपाच्य होना चाहिए
  • द्रव्य पदार्थ:- निम्न रक्तचाप के रोगी को पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए। साथ ही दिन भर अधिकतर द्रव्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
  • चिकित्सकीय मदद:- रक्निम्न रक्तचाप के रोगी को अगर लक्षण बार बार दिखाई दें तुरंत चिकित्सकीय सहायता प्राप्त करना चाहिए।
  • विश्राम:- निम्न रक्तचाप के रोगी को अधिक श्रम वाले कार्य और अधिक परिश्रम वाले व्यायाम एक दम नहीं करने चाहिए अत्यधिक तीव्र गति वाले कार्यों को आराम से करना चाहिए।

निम्न रक्तचाप के लक्षणों के दिखाई देने पर हमें दुष्परिणामों से बचने के लिए इन को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए ,समय रहते उचित सावधानी, उपाय और चिकित्सकीय सहायता लेना चाहिए।

योगअभ्यास कैसे शुरु करें ?

निम्न रक्तचाप का योग उपचार

निम्न रक्तचाप या हाइपोटेंशन के उपचार में योग अभ्यास बहुत अधिक सहायक हो सकता है। योग के अभ्यास से शारीरिक मानसिक और भावनात्मक सभी तरह से स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।आइये हम योग आसन ,प्राणायाम ,ध्यान द्वारा निम्न रक्तचाप के योग प्रबंधन के विषय में चर्चा करते है ।

  • शव आसान:- शव आसन का अभ्यास शरीर मन ,भाव और विचार इन सभी स्तरों पर व्यक्ति को तनाव मुक्त करता है। भीतर और बाहर दोनों ही ओर शांति का अनुभव कराता है। इसका अभ्यास करना निम्न रक्तचाप में बहुत अधिक लाभदायक होता है।
  • पश्चिमोतान:- इस आसन के अभ्यास से शरीर के भीतर सभी महत्वपूर्ण अंगों में रक्त का संचार सुचारु रूप से होता है। पश्चिमोतान आसन के अभ्यास से हमारा तंत्रिका तंत्र भी सवस्थ रहता है। इस आसन के अभ्यास से पाचन तंत्र भी सुचारु रूप से कार्य करता है।
  • विपरीतकर्णी आसन :- इस आसन के अभ्यास से हमारे भीतर मस्तिष्क की ओर रक्त का प्रवाह सही तरीके से होता है। हृदय की ओर भी रक्त का संचार सुचारू होता है। जिससे निम्न रक्तचाप के उपचार में बहुत अधिक सहायता प्राप्त होती है।

प्राणायाम

निम्न रक्तचाप की रोगी के लिए प्राणायाम बहुत ही लाभदायक होता है। निम्न रक्तचाप के रोगी को प्राणायाम का अभ्यास निरंतर करने से निम्न रक्तचाप से पूर्ण रूप से मुक्ति प्राप्त हो सकती है। तो आइये कुछ विशेष प्राणायाम के विषय में जानते है।

  • अनुलोम विलोम प्राणायाम :- इस प्राणायाम को करने से शरीर और मन दोनों शांत होते हैं। मन शांत होता है। रक्त का संचार सुचारू रूप से होता है। तनाव कम करने में बहुत सहायक होते हैं। मानसिक संतुलन भी सुधर जाता है।
  • भ्रामरी प्राणायाम :- इस प्राणायाम को करने से मस्तिष्क को शांत करने में बहुत सहायक होती है। इस प्राणायाम का अभ्यास मानसिक तनाव और चिंता को कम करता है।
  • गहरा श्वास:- धीरे धीरे गहरी और लंबी श्वास लेने की प्रक्रिया को दीर्घ स्वास कहते है। इसके अभ्यास से रक्त में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है। जिससे निम्न रक्तचाप में बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है।

ध्यान

निम्न रक्तचाप के रोगी के लिए ध्यान का अभ्यास बहुत ही लाभदायक सिद्ध हो सकता है। लेटकर,बैठ कर ,या कुर्सी का सहयोग लेकर ध्यान किया जा सकता है। नियमित ध्यान का अभ्यास करने की शारीरिक और मानसिक दोनों ही प्रकार की स्थिरता प्राप्त होती है। नियमित ध्यान करने से तनाव और चिंता से मुक्ति प्राप्त होती है। निम्न रक्तचाप के कारण जो संतुलन में गड़बड़ी होती है ,उसको भी सही किया जा सकता है। इसलिए निम्न रक्तचाप में ध्यान बहुत अधिक लाभदायक सिद्ध होता है।

सावधानियाँ

निम्न रक्तचाप के योग उपचार के लिये हमको कुछ सावधानियां अवश्य रखनी चाहिए।

1 . योग का अभ्यास धीरे धीरे और संयम के साथ करें।

2.अचानक से खड़े होने वाले या अधिक परिश्रम वाले अभ्यास न करें।

3. प्राणायाम ध्यान योगा अभ्यास अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही करें।

4. बेहतर परिणाम के लिए किसी योग विशेषज्ञ की देख रेख में योग अभ्यास करें ऐसा करने से योग का पूर्ण लाभ प्राप्त होगा और अभ्यास के समय होने वाली समस्याओं से आसानी से बचा जा सकेगा।

निष्कर्ष

निम्न रक्तचाप या हाइपोटेंशन लापरवाही होने पर एक जटिल बिमारी का रूप ले सकती है अगर इसको समय पर उचित उपचार और सावधानियाँ न की जाए तब यह गंभीर परिणाम भी उत्पन्न कर सकता है इसलिए निम्न रक्तचाप को गंभीर होने से पहले ही लेकर उपचार कराना चाहिए।