प्रोबायोटिक्स क्या होते है ?
प्रोबायोटिक्स वे जीवित बैक्टीरिया है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। प्रोबायोटिक्स हमारे पाचन तंत्र के लिए बहुत लाभकारी है। इनको सामान्य रूप से अच्छे बैक्टीरिया के रूप में जाना जाता है। आम तौर पर ये कई खाद्य पदार्थों में पाए जाते है जैसे कि दही ,छाछ ,ढोकला और अन्य फर्मेंटेड खाद्य पदार्थ।
प्रोबायोटिक्स जिनको हम जीवित औरअच्छे बैक्टीरिया के रूप में जानते हैं। ये हमारी आँत में पायी जाते है। ये शरीर के भीतर बहुत अधिक महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। हमारे द्वारा ग्रहण किए गए भोजन को सही से पचाकर उसमें से पोषक तत्वों को निकालकर शरीर को उपलब्ध कराते हैं। जिसकारण शरीर स्वस्थ्य , मजबूत और निरोगी बना रहता है। प्रोबायोटिक्स बैक्टीरिया किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए अति महत्वपूर्ण होते हैं।

प्रोबायोटिक्स की कमी के लक्षण।
प्रोबायोटिक्स की कमी के कारण शरीर और स्वास्थ्य में निम्न लक्षण दिखाई पड़ते हैं। अगर ये लक्षण दिखाई पड़ते हैं तो हमको ये मानना चाहिए कि हमारी आंतों में बैक्टीरिया की संख्या कम हो रही है और हमको उनको बढ़ाने की आवश्यकता है।
- लगातार गैस का बनना।
- खट्टी डकार का आना।
- बार बार दस्त होना।
- शरीर में थकान और कमजोरी का लगातार।
- शरीर में आलस अनुभव होना।
- जीवन में उत्साह और उमंग की कमी का अनुभव होना।
- जीवन में नकारात्मकता का बढ़ना।
- पीठ का फूले रहना पीठ का फूले रहना पेट का फूले रहना।
- बार बार अपच होना।
- बालों का लगातार तेजी से झड़ना।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता का बहुत कमज़ोर होना।
- चिड़चिड़ेपन का अनुभव होना।
- अत्यधिक मीठा और फास्ट फूड खाने का मन होना।
- त्वचा का रुखा और खुदरा होना।
- चेहरे पर तेजी से झाइयों का बढ़ना।
ये कुछ उपयुक्त सामान्य लक्षण शरीर के भीतर प्रोबायोटिक बैक्टीरिया के कमी के लक्षण हैं। अगर शरीर में इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो हमको ये समझना चाहिए कि हमें प्रोबायोटिक लेने की आवश्यकता है। मगर ये भी ध्यान रखना चाहिए के बिना किसी चिकित्सक की सलाह के प्रोबायोटिक मेडीसन नहीं लेनी चाहिए।
प्रोबायोटिक्स के स्वास्थ्य पर क्या लाभ होते है ?
प्रोबायोटिक्स के स्वास्थ्य पर निम्न लाभ होते हैं।
प्रोबायोटिक्स से पाचन में सुधार।
प्रोबायोटिक्स पाचन तंत्र के बैक्टीरिया को संतुलन मैं बनाए रखते हैं। हमारी आंतों में कुछ अच्छेबैक्टीरिया जिन्हें प्रोबायोटिक्स कहते हैं होते हैं। और कुछ खराब बैक्टीरिया भी होते हैं जिनका अनुपात लगातार बदलता रहता है .अगर प्रोबायोटिक ना हो, या कम हो तो शरीर के भीतर खराब बैक्टीरिया की संख्या बढ़ने लगती है, और हमारे पाचन तंत्र को और स्वास्थ्य को खराब कर देती है। इसलिए प्रोबायोटिक पाचन तंत्र के बैक्टीरिया को संतुलन में बनाए रखते हैं। कब्ज , दस्त और पाचन संबंधी अन्य बीमारिया प्रोबायोटिक्स की कमी से ही होती है।
प्रोबायोटिक्स से रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार।
प्रोबायोटिक्स शरीर के भीतर आंतों में पाए जाते हैं। ये बैक्टीरिया होते हैं जो शरीर के लिए लाभदायक है। ये हमारे द्वारा ग्रहण किए गए भोजन से आवश्यक पोषक तत्वों को ग्रहण कर शरीर को प्रदान करते हैं।ये कुछ विशेष पोषक तत्वों का निर्माण भी करते हैं जो हमारे शरीर को निरोगी और स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए आवश्यक होते हैं। जब प्रोबायोटिक की संख्या कम हो जाती है, तब इन पोषक तत्वों की भी शरीर में कमी हो जाती है। जिससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है। परिणामस्वरूप जल्दी जल्दी व्यक्ति बीमार पढ़ने लगता है। इसीलिए प्रोबायोटिक बैक्टीरिया शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए बहुत आवश्यक है।
प्रोबायोटिक्स सूजन कम करने के लिए
प्रोबायोटिक्स आंतों की सूजन और आंतों से संबंधित अन्य बीमारियों को सही करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आंतों के किसी भी प्रकार के रोग जिसमें कि आंतों की सूजन मुख्य रूप से होती है। उनमें प्रोबायोटिक्स का बहुत अधिक महत्त्व होता है। प्रोबायोटिक्स की संख्या कम होने पर शरीर के लिए नुकसानदायक बैक्टीरिया अपनी संख्या बढ़ाकर आंतों को बीमार कर देते हैं। उनमें सूजन, दर्द ,अपच, कब्ज आदि पेट की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। इसीलिए प्रोबायोटिक्स का प्रयोग आंतों की सूजन आदि समस्याओं को कम करने के लिए लाभदायक होता है।
प्रोबायोटिक्स से त्वचा की समस्याओं में राहत।
प्रोबायोटिक्स बैक्टीरिया हमारे शरीर के भीतर बहुत महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। यह कुछ मात्रा में हमारी त्वचा पर भी पाए जाते हैं। इनका कार्य हमारी त्वचा पर उपस्थित खराब बैक्टीरिया को समाप्त करना और त्वचा को चमकदार और सवस्थ बनाए रखना होता है।प्रोबायोटिक्स का उपयोग मैक्सिमा और मुहाँसे जैसी समस्याओं में भी किया जाता है। प्रोबायोटिक्स की कमी इसके कारण बालों का झड़ना ,रूखी, त्वचा,झाइयां ,आदि त्वचा संबंधी समस्याएं होती है। इसलिए प्रोबायोटिक्स हमारी त्वचा के लिए और उसके स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
प्रोबायोटिक्स से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार।
प्रोबायोटिक्स बैक्टीरिया हमारे शरीर के भीतर भोजन को पचाकर पोषक तत्वों को शरीर के भीतर होने वाली सभी छोटे और बड़े कारणों के लिए उपलब्ध कराते हैं। जब इनकी संख्या कम या असंतुलित होती है ,तब शरीर के उन सभी विशेष कारणों के लिए आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। जिस कारण शरीर के भीतर कई प्रकार के प्रभाव उत्पन्न होते हैं। जिसमे तनाव, खिंचाव , चिड़चिड़ापन ,अवसाद ,चिंता ,आत्मघात की भावना आदि इसीलिए पुरानी कहावत में कहा जाता था। जिसकी आंत भारी उसका माथा भी भारी आज प्रोबायोटिक्स ने आधुनिक समय में उस कहावत को सत्य सिद्ध किया है। प्रोबायोटिक्स बैक्टीरिया की कमी हमारे मानसिक स्वास्थ्य को सीधे सीधे प्रभावित करती है। इसलिए शरीर के भीतर प्रोबायोटिक बैक्टीरिया संतुलित मात्रा में होना अति आवश्यक है।
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प्रोबायोटिक्स से ह्रदय संबंधी स्वास्थ्य में सुधार।
प्रोबायोटिक्स भोजन से शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को ग्रहण कर शरीर को प्रदान करता है। जिसमें केलेस्ट्रॉल, ग्लूकोज ,फ्रक्टोज, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, आदि अगर इन प्रोबायोटिक्स की संख्या शरीर में संतुलित न हो तो इसका सीधा प्रभाव हमारे हृदय की कार्यक्षमता पर भी पड़ता है। प्रोबायोटिक्स शरीर के भीतर कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सामान्य बनाए रखते हैं। प्रोबायोटिक्स रक्तचाप को भी सामान्य बनाए रखने में सहायक होते हैं। इसलिए प्रोबायोटिक्स हमारे हृदय के स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
प्रोबायोटिक्स से शरीर के वजन में नियंत्रण।
प्रोबायोटिक्स बैक्टीरिया शरीर के भीतर बड़ी आंतों में पाई जाती है। ये भोजन से आवश्यक पोषक तत्वों को ग्रहण कर शरीर को प्रदान करते हैं। जिसके कारण शरीर के भीतर चलने वाली सभी प्रक्रिया , सुचारु रूप से चलती रहती है। जिस कारण शरीर का मेटाबॉलिज्म भी सही रहता है। इस कारण शरीर में अतिरिक्त कैलोरी फैट में बदलकर एकत्र नहीं हो पाती है। जिसकारण शरीर का वजन नियंत्रित रहता है।
प्रोबायोटिक्स को कैसे प्रभावी बनाएं ?
प्रोबायोटिक्स को सही और प्रभावी तरीके से लेने के लिए और उनका सही मात्रा में लाभ प्राप्त करने के लिए हमको उनका सेवन निम्न प्रकार करना चाहिए।
१ :प्रोबायोटिक्स का सेवन नियमित और संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए। मात्रा से अधिक या कम प्रोबायोटिक लेने पर उसका लाभ शरीर को प्राप्त नहीं हो पाता है.
२: प्रोबायोटिक्स का सेवन जितना संभव हो सके उतना प्राकृतिक रूप से करना चाहिए। हो सके तो किसी भी प्रकार की दवा से बचना चाहिए जो प्रोबायोटिक के लिए होती है। उसके स्थान पर हमें प्राकृतिक प्रोबायोटिक्स का इस्तेमाल अधिक करना चाहिए जैसे दही ,कांजी ,ढोकला आदि फर्मेंटेड खाद्य पदार्थ।
३:प्रोबायोटिक्स की कमी होने पर बिना किसी योग चिकित्सक के परामर्श के हमें प्रोबायोटिक्स दवा नहीं लेनी चाहिए। किसी योग्य चिकित्सक से सलाह लेकर सही प्रोबायोटिक्स का चयन होने के बाद प्रोबायोटिक्स दवा के रूप में लेने चाहिए।
निष्कर्ष
प्रोबायोटिक्स बैक्टीरिया का हमारे शरीर के भीतर संतुलित होना बहुत आवश्यक है। प्रोबायोटिक बैक्टीरिया हमारे पाचन , प्रतिरक्षा प्रणाली , और स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। इन का उपयोग हमें नियमित रूप से करना चाहिए। लेकिन जव आवश्यकता हो तब किसी योग चिकित्सक के परामर्श से ही प्रोबायोटिक्स को दवा के रूप में ग्रहण करना चाहिए।