प्रोबायोटिक्स और मानसिक स्वास्थ्य।

प्रोबायोटिक्स का हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत गहरा प्रभाव होता है। प्रोबायोटिक्स और मानसिक स्वास्थ्य के संबंध को गट ब्रेन कनेक्शन भी कहते हैं। प्रोबायोटिक्स इस गट ब्रेन कनेक्शन के माध्यम से मस्तिष्क और हमारी आंतों के बीच के समन्वय को प्रभावित करते हैं। हमारा गट ब्रेन कनेक्शन हमारे जीवन में तनाव, अवसाद, खुशी ,दुख., प्रेम, उत्साह, उमंग आनंद ,और अन्य मानसिक स्थितियों को नियंत्रित और उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। प्रोबायोटिक्स का सीधा प्रभाव हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। आइए इसे विस्तार से जानते हैं।

प्रोबायोटिक्स क्या होते है ?

probiotics and mental health

प्रोबायोटिक्स और गट ब्रेन कनेक्शन क्या होता है ?

प्रोबायोटिक्स और गट ग्रेन कनेक्शन, जैसा कि शब्द से ही पता लग रहा है, की यह दो महत्वपूर्ण अंगों का आपसी संबंध है। जिसमे हमारा” गट” जिसमें हमारी पूरी पाचन प्रणाली आती है। दूसरा हमारा मस्तिष्क जो हमारे शरीर के समस्त कार्यों के लिए नियंत्रित और निर्देशित करता है। आंत और मस्तिष्क के बीच इस संबंध को गट ब्रेन कनेक्शन कहते हैं। मस्तिष्क के बीच यह संबंध ” बेगस नर्व “और अन्य हार्मोन्स जैसे “सेरोटोनिन” के माध्यम से होता है। आंत में गुड बैक्टीरिया का संतुलन मस्तिष्क में उपस्थित न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन को नियंत्रित करता हैं इस प्रकार मस्तिष्क और आंतों के भीतर प्रोबायोटिक्स मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते है।

टाइफाइड बुखार

प्रोबायोटिक्स से तनाव और चिंता में कमी।

प्रोबायोटिक्स का सीधा संबंध हमारे मस्तिष्क से होता है। हमारे शरीर के भीतर ( LACTOBACILLUS )और (BIFIDOBACERIUM) जैसी प्रोबायोटिक्स तनाव उत्पन्न करने वाले हार्मोन कॉर्टिसोल के इस स्तर को कम करने में सहायक होते हैं। इन दोनों प्रकार के बैक्टीरिया से हमारे शरीर के भीतर तनाव हार्मोन कम बनते हैं। जिनसे तनाव और चिंता में कमी आती है। यह मस्तिष्क को शांत ,संतुलित और एकाग्र बनाने में बहुत सहायक होते हैं।

प्रोबायोटिक्स से अवसाद में राहत।

प्रोबायोटिक्स बैक्टीरिया हमारे शरीर के भीतर कई प्रकार की हार्मोन्स को नियंत्रित करते हैं। जिससे मूड बैलेंसिंग न्यूरोट्रांसमीटर जैसे डोपामिन सेरोटोनिन आदि के उत्पादन को बड़ा कर भीतर उत्पन्न होने वाले अवसाद को नियंत्रित करने में बहुत सहायक होते हैं। सेरोटोनिन और डोपामिन के उत्पादन से अवसाद की स्थिति उत्पन्न नहीं होती है ,और व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है। व्यक्ति उत्साह और उमंग से भरा रहता है। उसको अपने भीतर हमेशा ऊर्जा का अनुभव होता है।अध्ययन से यह भी पाया गया है कि प्रोबायोटिक्स का सेवन मध्यम स्तर के अवसाद के लक्षणों को नियंत्रित और कम भी कर सकता है।

थैलीसीमिया।

प्रोबायोटिक्स से अच्छी नींद।

प्रोबायोटिक्स बैक्टीरिया हमारे भीतर आंतो में पाए जाते हैं। यह कई प्रकार के पोषक तत्वों को भोजन से ग्रहण कर शरीर को प्रदान करते हैं। साथ ही कुछ विशेष प्रकार के पदार्थों और हार्मोन्स का भी निर्माण करते है। आंतों के भीतर प्रोबायोटिक्स बैक्टीरिया मेलाटोनिन के उत्पादन में मदद करते हैं। मेलाटोनिन नींद को नियंत्रित करने वाला हार्मोन है । जैसा कि हम जानते हैं अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद का होना बहुत आवश्यक होता है। जब हम नींद में होते हैं तो शरीर के भीतर स्वास्थ्य को बनाए रखने संबंधी कई सारी क्रियाएं शरीर स्वयं कर लेता है। इसीलिए प्रोबायोटिक्स अच्छी नींद में मददगार होता है। तनाव चिंता और अवसाद जैसी स्थितियों को उत्पन्न करने वाले हार्मोन्स को भी यह नियंत्रित करता है। जिसकारण हमें अच्छी और स्वास्थ्य प्रदान करने वाली नींद आती है।

प्रोबायोटिक्स से याददाश्त और एकाग्रता में सुधार।

प्रोबायोटिक्स हमारे आंतों में रहने वाले स्वस्थ्य बैक्टीरिया होते हैं। ये कई प्रकार के हॉर्मोन्स को बनाते हैं। जिनसे मस्तिष्क में होने वाली सूजन को कम किया जाता है। जो हमारी स्मृति , एकाग्रता और स्थिरता में सुधार करते हैं ,जैसे जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है वैसे वैसे मस्तिष्क की कार्यक्षमता पर प्रभाव पड़ता है। प्रोबायोटिक्स इस पड़ने वाले प्रभाव के दुष्परिणामों को कम करते है और मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बनाए रखने में सहायक होते है।

योग आसन और गैस(Yoga asna for bloating)

प्रोबायोटिक्स से मानसिक थकावट और ऊर्जा स्तर।

प्रोबायोटिक्स हमारी आंतो में उपस्थित अच्छे बैक्टीरिया होते हैं। जो हमारे शरीर के भीतर ग्रहण किए गए भोजन से पोषक तत्वों को अवशोषित कर शरीर को प्रदान करते हैं। जब हमारे आंतो में इनकी संख्या संतुलित होती है तो शरीर के भीतर सभी अंगों के लिए आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध होते रहते हैं। जिनसे अच्छा स्वास्थ और उच्च ऊर्जा स्तर प्राप्त होता है। जिसकारण शारीरिक और मानसिक दोनों ही प्रकार की थकावट कम अनुभव होती है। इसलिए अच्छे ऊर्जा स्तर और कम मानसिक थकावट के लिए प्रोबायोटिक्स का शरीर के भीतर संतुलित अवस्था में रहना अति आवश्यक होता है।

प्रोबायोटिक्स को लेने की सही तरीके हैं।

प्रोबायोटिक्स हमारे आंतो में उपस्थित अच्छे बैक्टीरिया होते हैं। जब शरीर में इनकी कमी होती है ,तो हमारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य डिस्टर्ब रहता है। इस कमी को पूरा करने के लिए हमें प्रोबायोटिक्स दवा या भोजन के रूप में लेने होते हैं। आइये जानते हैं, इनको किस प्रकार लेने से जल्दी और अधिक लाभ प्राप्त होता है।

: मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्रोबायोटिक्स को संतुलित आहार और व्यायाम के समन्वय के रूप में उपयोग करना चाहिए। संतुलित आहार में फर्मेंटेड फूड लेना अत्यधिक लाभकर होता है। व्यायाम में योग, प्राणायाम ओर ध्यान का अभ्यास बहुत लाभकारी होता है।

२ : किसी भी मानसिक समस्या का अनुभव होने पर खुद इलाज न कर किसी विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेकर ही प्रोबायोटिक्स का सेवन करना चाहिए।

३ : प्रोबायोटिक्स का असर धीरे धीरे होता है। इसलिए प्रोबायोटिक्स लेते समय हमको धैर्य रखना चाहिये। प्रोबायोटिक्स दवा या प्रोबायोटिक्स भोजन का असर धीरे धीरे दिखाई देता है। इसलिए हमें प्रोबायोटिक्स को नियमित रूप से कुछ लंबे समय के लिए लेना होता है। बीच बीच में छोड़ना फिर शुरू करना इससे प्रोबायोटिक्स लेने का कोई लाभ नहीं होता है। इसलिए इसको नियमित और अनुशासन पूर्ण तरीके से ग्रहण करना चाहिए।

योगअभ्यास कैसे शुरु करें ? How to start Yoga practice ?

निष्कर्ष

प्रोबायोटिक्स न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी काफी आवश्यक होते हैं। इनका सेवन मानसिक स्वास्थ्य में बहुत सुधार करता है। यह मानसिक संतुलन, तनाव और मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाने और बनाए रखने के लिए अति आवश्यक होते हैं इसलिए अपने भोजन में इन को शामिल करना अति आवश्यक होता है।