त्रिफला 2025
त्रिफला आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। त्रिफला स्वास्थ्य को प्राप्त करने के लिए और स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए उपयोग किया जाता है। आयुर्वेद में त्रिफला एक प्राकृतिक औषधि है, त्रिफला तीन फ़लों का संयोजन है इस अद्भुत मिश्रण को ही त्रिफला कहते है। आधुनिक समय में मानव के जीवन में होने वाली कई समस्याओं का कारण गलत खान पान और अनियमित दिनचर्या है। जिसके कारण हमारा पाचन तंत्र बहुत कमज़ोर और बीमार हो जाता है। पेट और पाचन की सभी समस्याओं के लिए त्रिफला बहुत लाभदायक है इसका नियमित सेवन हमारे स्वास्थ्य को पुन प्राप्त करने और उसको बनाये रखने के लिए बहुत ही फायदे मंद है।
kbj-karn-lakshan-or-shabdhaniya

त्रिफला के लाभ
आयुर्वेद के अनुसार त्रिफला को मनुष्यों के लिए अमृत के समान बताया गया है। त्रिफला स्वास्थ्य को बनाए रखने और स्वास्थ्य को सुधारने के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। इसकी कुछ विशेष लाभ इस प्रकार है।
त्रिफला से पाचन में सुधार
त्रिफला का उपयोग करने से पेट की पाचन संबंधी सभी समस्याओं का निराकरण होता है। त्रिफला पेट की सफाई करने में सहायक होता है कब्ज़ ,गैस ,अपच ,और कमजोर पाचन प्रणाली जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है। यह पाचन तंत्र को स्वस्थ्य कर जठराग्नि को दोबारा से जीवित करता है, जिससे मनुष्य का पाचन तंत्र स्वस्थ्य और सुचारू रूप से कार्य करता है और भोजन को अच्छे से पचाकर स्वास्थ्य कोऔर हमारे शरीर को सुदृढ़ बनाता है।
पेट फूलने के कारण https://yogayukti.com/yoga-asan-or-ges/
त्रिफला से शुद्धिकरण
त्रिफला का उपयोग शरीर के शुद्धिकरण में बहुत अधिक लाभदायक होता है। त्रिफला शरीर के समस्त विजातीय द्रव्यों को निकालने में सहायक होता है। त्रिपुला का उपयोग करने से हमारे किडनी और लिवर कि शुद्धि होती है और साथ ही इनकी कार्यक्षमता भी बढ़ती है। रक्त शुद्ध होता है एवं पाचन संस्थान के भीतर जो भी अशुद्धियां होती है वह शरीर से बाहर निकलती है। शरीर के भीतर कैंसर उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं की भी सफाई त्रिफला के उपयोग से आसानी से होती रहती है।
त्रिफला से रोग प्रतिरोधक क्षमता
त्रिफला का उपयोग करने से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता में बहुत अधिक विकास होता है। त्रिफला में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स आदि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बहुत मजबूत करते हैं ,और बीमारियों से लड़ने में सहायता करते हैं। त्रिपुला का उपयोग करने से बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है। https://yogayukti.com/cancer/
त्रिफला वजन कम करने में सहायक
त्रिफला का उपयोग करने से बढ़े हुए वजन से मुक्ति प्राप्त करना काफी आसान हो जाता है। त्रिफला का उपयोग करने से हमारे शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ जाता है जिससे हमारी शरीर के भीतर अधिक चर्बी जमा नहीं हो पाती है यह शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कम करने में भी सहायक होता है। त्रिफला शरीर के भीतर से दूषित तत्वों को बाहर निकालने में सहायक होता है जिस करना से हमारा वजन भी नहीं बढ़ता है।
त्रिफला त्वचा और बालों को और सुंदर बनाने के लिए
त्रिफला का नियमित उपयोग करने से शरीर के भीतर के सभी दूषित तत्व धीरे धीरे शरीर से बाहर हो जाते हैं जिसके कारण हमारे शरीर के भीतर शुद्ध रक्त होता है जिसका प्रभाव हमारे त्वचा और बालों के सौंदर्य और स्वास्थ्य पर पड़ता है। त्रिफला का नियमित रूप से सेवन करने पर बालों का झड़ना बंद होता है। त्वचा के अंदर नई ताजगी आती है ये मुहाँसो और बालों की झड़ने की समस्या को भी कम कर देता है।
त्रिफला के ये कुछ मुख्य लाभ है , जो हमारे स्वास्थ्य पर दिखाई देते हैं लेकिन आयुर्वेद के अनुसार त्रिफला का उपयोग बहुत ही लाभकारी होता है। यह मात्र शरीर को शुद्ध करने एवं पेट को साफ करने आदि के लिए ही उपयोगी नहीं है बल्की त्रिफला उपयोग कई असाध्य बीमारियों से बचाने और उनके उपचार में भी लाभदायक होता है इसलिए प्रत्येक मनुष्य को त्रिफला का उपयोग लाभकारी होता है।https://yogayukti.com/uccha-rkt-chaap-karn-or-nivaran/
त्रिफला के आध्यात्मिक लाभ
त्रिफला का उपयोग शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ आध्यात्मिक लाभ भी प्रदान करने वाला है। आयुर्वेद में त्रिफला के संयोजन को मनुष्य मात्र के लिए वरदान बताया गया है। आइए हम त्रिफला के कुछ आध्यात्मिक लाभों के विषय में जानते हैं।
त्रिफला से मन की शांति
त्रिफला का नियमित सेवन मानसिक शान्ति और स्थिरता प्रदान करने वाला है। नियमित रूप से त्रिफला का सेवन मनुष्य को अधिक तनाव और चिंता से मुक्त रखता है, जिसके कारण मनुष्य ध्यान केन्द्रित करने में सक्षम हो पाता है इसलिए त्रिफला का उपयोग आध्यात्मिक स्तर पर भी मनुष्य के लिए बहुत अधिक लाभदायक है।
त्रिफला से आत्म अध्ययन
त्रिफला का नियमित उपयोग करने से धीरे धीरे हमारा शरीर शुद्ध होता है ,जिससे मानसिक और आत्मिक शुद्धि भी होती है। यह धीरे धीरे हमारे शरीर के साथ हमारे मन हमारे भाव और विचारों को भी शुद्ध करने में सहायक होता है। जैसे जैसे इसका उपयोग नियमित रूप से किया जाता है, वैसे वैसे मनुष्य जो इसका उपयोग करता है वह आत्म अध्ययन करने में सक्षम हो जाता है और अपने भीतर के गुणों, विशेषताओं ,और छिपी प्रतिभा का आत्मसाक्षात्कार कर पाता है।
त्रिफला से सकारात्मकता
नियमित रूप से त्रिफला का सेवन करने से शरीर के भीतर के समस्त दूषित तत्व बाहर निकलते हैं ,जिसकारण से व्यक्ति के भीतर रोग दोष कम होते हैं ,नए स्वास्थ्य का संचार होता है। जिसके कारण हमारे शरीर हमारे मन हमारे भाव और विचारों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। त्रिफला का नियमित सेवन जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को उत्पन्न करने में बहुत लाभदायक होता है।https://yogayukti.com/mantr-jap/
त्रिफला से चक्र संतुलन या ऊर्जा केंद्रों का संतुलन
आयुर्वेद के अनुसार त्रिफला शरीर के भीतर शुद्धिकरण की क्रिया को करके सातों चक्रों को ,जो कि मनुष्य के ऊर्जा केंद्र भी होते हैं। उनको जाग्रत करता है। जागृत करने के साथ साथ सातो चक्करों की ऊर्जा को संतुलित करने में भी सहायक होता है। यह चक्र संतुलन व्यक्ति के आत्मिक उत्थान के लिए बहुत आवश्यक होता है।
त्रिफला से एकाग्रता
त्रिफला का नियमित रूप से सेवन ध्यान और मेडिटेशन के समय मानसिक स्थिरता प्रदान करता है। यह व्यक्ति के भीतर अनावश्यक विचारों के प्रभाव को कम करता है ,जिससे व्यक्ति को गहरे ध्यान में जाने में आसानी होती है। त्रिफला का नियमित सेवन करने बाला व्यक्ति आत्मअनुभव को बहुत गहराई से अनुभव कर पाता है। उसको अपने भीतर असाधारण एकाग्रता की अनुभूति होती है।
त्रिफला से आध्यात्मिक जागरूकता
त्रिफला का नियमित सेवन व्यक्ति के भीतर आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ाता है। ये “आत्मा” और ” संसार ” के बीच के संबंध को एवं “ब्रह्म ” और “आत्मा” के बीच के संबंध को समझने में सहायक होता है। त्रिफला का नियमित सेवन व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने और बने रहने के लिए प्रोत्साहित करता है।
त्रिफला से आंतरिक शुद्धि
त्रिफला का नियमित रूप से सेवन शारीरिक एवं मानसिक शुद्धि तो प्रदान के साथ आत्मिक शुद्धि भी प्रदान करता है। ये हमारे भीतर नकारात्मक विचारों एवं भावनाओं को कम करता है। धीरे धीरे हमारे मन, भाव, विचार सभी कुछ शुद्ध और पवित्र होते जाते हैं।
त्रिफला का नियमित सेवन व्यक्ति के लिए आध्यात्मिक लाभ, मानसिक लाभ ,आत्मिक लाभ प्रदान करके पूर्ण रूप से विकास करने में सहायता प्रदान करता है। इसका नियमित सेवन व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मसाक्षात्कार और सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
त्रिफला के नियमित उपयोग द्वारा प्राप्त होने वाली सिद्धियां
त्रिफला का महत्त्व आयुर्वेद में तो बहुत ही अधिक है। इसके साथ साथ योग और आध्यात्मिक साधनाओं में भी इसका विशेष स्थान है। त्रिफला के नियमित सेवन से ना केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक विकास में भी सहायता प्राप्त होती है। यह व्यक्ति को योग साधनाओं में उन्नति करने और सिद्धियों को प्राप्त करने में भी सहायक होता है, आइए इनके बारे में कुछ विशेष जानकारी प्राप्त करते हैं।
त्रिफला से शारीरिक शुद्धि
त्रिफला के नियमित सेवन करने से शरीर के भीतर दुषित पदार्थों का नाश होता है ,शारीरिक शुद्धि प्राप्त होती है। साधनाओं के दौरान शरीर का शुद्ध होना बहुत महत्वपूर्ण होता है ,क्योंकि यह ऊर्जा के प्रबाह को सहज और सरल बनाता है और व्यक्ति को उच्च योगिक अवस्थाओं में प्रवेश करने में सहायक सिद्ध होता है।
त्रिफला से मानसिक स्थिरता
त्रिपुला का नियमित सेवन मानसिक स्थिरता और स्पष्टता प्रदान करने वाला होता है। ये साधकों को ध्यान और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है, जिससे उनकी साधनाओं में सहायता प्राप्त होती है। किसी भी प्रकार की यौगिक साधना को करने के लिए मानसिक और वैचारिक स्थिरता का होना बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण है। नियमित सेवन करने से मानसिक स्थिरता बहुत सहजता से प्राप्त की जा सकती है जिसका उपयोग हम यौगिक साधनाओं को सिद्ध करने के लिए कर सकते है।
त्रिफला से आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रभाव
त्रिफला का नियमित सेवन शरीर के ऊर्जा केन्द्रों, अर्थात हमारे आध्यात्मिक शरीर में जो चक्र हैं उनको संतुलित करता है। यह कुंडलिनी शक्ति की जागरण में सहायक होता है. जिससे साधक को दैवीय सिद्धियों की प्राप्ति होती है। त्रिफला का नियमित सेवन साधक को साधनाओं द्वारा प्राप्त होने वाली ऊर्जा को शुद्ध और पवित्र रखने में भी सहायक सिद्ध होता है।
त्रिफला से ध्यान
त्रिफला का नियमित सेवन मानसिक शांति में वृद्धि करता है। यह मानसिक शांति व्यक्ति को गहरे ध्यान की अवस्था में प्रवेश करने में सहायक होती है। जैसे जैसे व्यक्ति का ध्यान गहन होता जाता है वैसे वैसे व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की सिद्धियों की अनुभूति होती रहती है।
त्रिफला से यौगिक निद्रा
त्रिफला का नियमित सेवन नींद की गुणवत्ता को सुधारता है। व्यक्ति के सपनो में स्पष्टता लाता है। यह योगिक साधनाओं में स्पन साधना मैं भी मदद करता है। जिससे साधक को महत्वपूर्ण संदेश और दिशा प्राप्त होती है। व्यक्ति की नींद गहरी और ऊर्जा प्रदान करने वाली हो जाती है। त्रिफला के सेवन से तनाव और अवसाद को दूर करती है।
त्रिफला से अंतःदृष्टि
त्रिफला का नियमित सेवन व्यक्ति के भीतर अंतःदृष्टि को बढ़ाता है। जिससे व्यक्ति के भीतर सहज ज्ञान उत्पन्न होता है। यह साधक को अपनी आत्मा की आवाज सुनने और अपने मार्ग दर्शकों से संपर्क करने में मदद करता है।
त्रिफला से समाधि
त्रिफला के नियमित रूप से सेवन करने से साधक अपनी योग साधनाओं को नियम पुर्वक और दृढ़ता के साथ पूर्ण करने में सक्षमता प्राप्त करता है। जिससे साधक को समाधि की अवस्था तक पहुंचने में बहुत सहायता प्राप्त होती है। त्रिफला का नियमित सेवन उच्चतम योग्य अवस्थाओं में प्रवेश करने और आत्म साक्षात्कार प्राप्त करने में सहायक होता है।
यौगिक साधनाओं के दौरान त्रिफला का सेवन सभी के लिए बहुत लाभकारी होता है। त्रिफला साधकों के लिए शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धिकरण प्रदान करने वाला है। इसका उपयोग अत्यंत ही लाभकारी है इसलिए योग साधनाओं में त्रिफला का सेवन करना बहुत ही लाभदायक है।
त्रिफुला के घटक
त्रिफला जैसा कि हम पहले बता चुकें हैं त्रिफला तीन फलों के संयोजन से प्राप्त होने वाला पदार्थ होता है। इसके अंदर मुख्य रूप से १. आंवला २. बहेड़ा और ३ . हरण ये तीन फलों का उपयोग किया जाता है। ये तीनों ही फल स्वास्थ्य के लिये बहुत ही लाभकारी होते हैं आइए इनकी बारे में कुछ जानते हैं।
आंवला
त्रिफला के मुख्य घटकों में आंवला सबसे मुख्य घटक है। आंवला में बिटामीन सी बहुत अधिक मात्रा में होता है। आंवला विटामिन सी का मुख्य स्रोत है। इसमें एंटीआक्सीडेंट गुण भी होते हैं यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में बहुत लाभकारी होता है।आंवला त्वचा की चमक को बढ़ाने एवं बालों के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। आंवला शरीर से दूषित तत्वों को निकालने में बहुत अधिक लाभदायक होता है।
बहेड़ा
त्रिफला का दूसरा मुख्य घटक बहेड़ा होता है बहेड़ा का अर्थ होता है ,जो भय को दूर करता है। यह फल पाचन तंत्र को मजबूत करता है। शरीर के भीतर ये कफ को नियंत्रित करने में मदद करता है। त्रिफला का ये एक दूसरा महत्वपूर्ण घटक होता है।
हरड़
त्रिफला का तीसरा और अंतिम महत्वपूर्ण घटक “हरड़” होता है। इसे हरीतकी भी कहा जाता है ,जिसका अर्थ होता है समस्त रोगों का हरण करने वाला। ये शरीर को शुद्ध करने का कार्य करता है। ये फल शरीर को डिटॉक्सिफाई करता है। ये पेट की समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है। त्रिफला का ये तीसरा अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण घटक होता है।
त्रिफला को बनाने की विधि
त्रिफला का चूर्ण आज कल बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाता है। मगर बेहतर ये है कि हम त्रिफला के चूर्ण को घर पर ही बनाएं। इसके लिए हमें त्रिफुला के तीनों मुख्य घटकों को लेकर उनको सुखाकर बारीक पीसकर चूर्ण में बना लेना है। उसके बाद इनको एक अनुपात दो अनुपात तीन के अनुपात में मिला लेना है। एक अनुपात हरण, दो अनुपात बहेड़ा ,तीन अनुपात आंवला, अर्थात 100 ग्राम हरड़ , 200 ग्राम बहेड़ा , और 300 ग्राम आंवला को मिला कर आप त्रिफला का एक आदर्श अनुपात में चूर्ण प्राप्त कर सकते हैं।
त्रिफला के उपयोग की बिधि
त्रिफला के उपयोग की विधि बहुत ही सहज और सरल है वह त्रिफला के चूर्ण को रात्रि में एक चम्मच गुनगुन एज पानी से लेने पर यह हमारे शरीर के भीतर उपस्थित सभी विजातीय द्रव्यों को शरीर से बाहर निकालकर शरीर को शुद्ध करता है पाचन को मजबूत बनाता है कब्ज को दूर करता है
त्रिफुला को सुबह गुनगुने पानी से लेने पर पि यह शरीर को पोषण प्रदान करता है हमारे शरीर के भीतर एंटीऑक्सीडेंट विटामिन मिनरल्स आदि कोई कमी को पूरा करता है
त्रिपुला के उपयोग के समय हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि रात्रि में दिया गया त्रिफला शरीर से रेचक अर्थात शरीर को शुद्ध करने का काम करेगा शरीर के बीच और इतने दूषित तत्व हैं उनको बाहर निकालेगा ओर सुबह सुबह लिया गया त्रिपुला शरीर के लिये पोषक का काम करेगा ये शरीर के अंदर खनीज लवणों की कमी को पूरा करेगा एंटीऑक्सीडेंट प्रोवाइड कराएगा और धीरे धीरे शरीर को पूर्ण रूप से स्वास्थ्य की ओर लेकर जाएगा
निष्कर्ष
आधुनिक समय में प्रत्येक मनुष्य कई प्रकार के रोगों से परेशान है। उसके शरीर में कई प्रकार की पोषक तत्वों और खनिजों की कमी भी है। इन्ही कारणों से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बहुत कमजोर है। प्रायः ऋतु बदलने पर खांसी जुकाम सर्दी आदि जैसे रोग उसे परेशान करते हैं। उसका भोजन सही से पच नहीं पाता ,सही समय से पेट साफ़ नहीं हो पाता है। जिस कारण मनुष्य का शारीरिक ,मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य बहुत अधिक खराब हो जाता है। इन सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान नियमित रूप से त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से प्राप्त हो सकता है। त्रिफला साधारण रूप से कम खर्चे में प्राप्त होने वाला पदार्थ है। जिसका उपयोग मनुष्यों के लिए किसी भी रूप में वरदान से कम नहीं है। इसलिए मनुष्यों को त्रिफला का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए।