टाइफाइड बुखार

टाइफाइड बुखार एक प्रकार का संक्रमण है। साधारण बोलचाल की भाषा में टाइफाइड बुखार को आँतो का बुखार भी कहते हैं।यह एक जीवाणु संक्रमण है। इसके कारण लगभग एक हफ्ते से पांच हफ्ते तक तेज बुखार बना रहता है, शरीर में थकान ,दर्द, उल्टियाँ ,दस्त ,कमज़ोरी ,सर चकराना आदि लक्षण हो सकते हैं।

टाइफाइड बुखार संक्रमित खाने और संक्रमित पानी के माध्यम से फैलता है। अगर टाइफाइड बुखार का इलाज सही तरीके से नहीं किया जाये तो इसकी गंभीर परिणाम होते हैं।

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टाइफाइड बुखार के कारण ।

टाइफाइड बुखार का कारण बैक्टीरिया संक्रमण होता है सेल्मोनेला नामक बैक्टीरिया टाइफाइड बुखार के लिए जिम्मेदार होता है सैलमोनेला बैक्टीरिया किसी खाद्य सामग्री या पानी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। यह वैक्टीरिया खाने और पीने की वस्तुओं में अशुद्धता के कारण होता है। अधिकतर सैलमोनेला बैक्टीरिया से संक्रमित पानी टाइफाइड बुखार का मुख्य कारण होता है।

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किसी ऐसी वस्तु या सामग्री के संपर्क में आना जो पहले से ही सैलमोनेला बैक्टीरिया से संक्रमित हो।

  • किसी ऐसी वस्तु के संपर्क में आना जो सार्वजनिक हो और किसी के द्वारा सैलमोनेला बैक्टीरिया से संक्रमित हो गयी हो।
  • किसी ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना जो सैलमोनेला बैक्टीरिया से संक्रमित हुआ हो।
  • किसी ऐसे पेय पदार्थ को ग्रहण करने से जिसमें सैलमोनेला बैक्टीरिया मौजूद हो।
  • किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा खाद्य पदार्थों का निर्माण हुआ हो जो पहले से ही सैलमोनेला बैक्टीरिया से संक्रमित हो।
  • किसी ऐसे स्थान पर रहना या भ्रमण करना जहाँ पर स्वच्छता ना हो खाने पीने की वस्तुओं में स्वच्छता की कमी और वहाँ सैलमोनेला बैक्टीरिया हो।
  • परिवार के किसी एक सदस्य को सैलमोनेला बैक्टीरिया से टाइफाइड हुआ हो और स्वच्छता की कमी के कारण वह परिवार के अन्य सदस्यों मैं भी फैला हो।
  • किसी व्यक्ति को टाइफाइड हुआ हो मगर उसका उपचार पूर्ण रूप से न हो पाया हो। तब उसका शरीर सैलमोनेला बैक्टीरिया के संक्रमण से पूर्ण रूप से मुक्त न हुआ हो तब भी वः अन्य लोगो में यह रोग फैला सकता है।

टाइफाइड संक्रमण के यह कुछ मुख्य कारण होते हैं जिससे सैलमोनेला बैक्टीरिया फैलता है ,और किसी भी व्यक्ति को टाइफाइड जैसा गम्भीर रोग होता है

टाइफाइड बुखार के लक्षण।

टाइफाइड बुखार एक संक्रमण है जो कि बैक्टीरिया से होता है। टाइफाइड बुखार के लक्षण अलग अलग होते हैं। वह मरीज के अनुसार अलग अलग हो सकते हैं ,प्रायः यह लक्षण धीरे धीरे दिखाई देते हैं इनमें सामान्य और मुख्य लक्षण निम्नलिखित होते हैं।

  • तेज बुखार:- टाइफाइड में बुखार एक मुख्य लक्षण होता है ये बुखार धीरे धीरे बढ़ता है और धीरे धीरे घटता है पुनः बढ़ता है और पुनः घटता है
  • बदन में दर्द:- टाइफाइड बुखार में संपूर्ण शरीर में जोडू में दर्द का अनुभव होता है मांसपेशियों में अकड़न का भी अनुभव होता है
  • थकान:- टाइफाइड बुखार में बेचैनी और अत्यधिक थकान का अनुभव होता है
  • सर दर्द :-टाइफाइड बुखार में सामान्य दें सर में भारीपन और हल्का या तीव्र दर्द बना रहता
  • पेट दर्द:- पेट की निचले यह ऊपरी भाग में लगातार दर्द और ऐंठन का अनुभव होता है
  • उल्टी आना:- टाइफाइड संक्रमण में अत्यधिक असर हमारे पाचन संस्थान पर होता है इसीलिए भोजन ना बचने के कारण बार बार उल्टियाँ आना या उल्टियों का अनुभव होना होता रहता है
  • दस्त आना:- टाइफाइड संक्रमण में कभी कभी 10 त वी आते हैं
  • भूख का अचानक से कम हो जाना टाइफाइड संक्रमण का लक्षण हो सकता है
  • वजन का कम होना अचानक से टाइफाइड संक्रमण की कारण हो सकता है
  • लाल चकत्ते :-टाइफाइड बुखार में शरीर पर लाल चकत्ते हो सकते है। अधिकतर ये चकत्ते सीने के आसपास हो सकते हैं।

उपयुक्त सभी लक्षण टाइफाइड संक्रमण के होते है अगर किसी व्यक्ति में उपयुक्त लक्षण दिखाई दें तो हमको तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लेकर उपचार प्रारंभ करना चाहिए।

टाइफाइड संक्रमण की चिकित्सकीय जांच।

टायफॉइड संक्रमण की चिकित्सकीय जांच द्वारा पुष्टि निम्न जांचों द्वारा की जा सकती है।

  • चिकित्सकीय परीक्षण :-टायफॉइड संक्रमणकी जांच में चिकित्सकीय परीक्षण सबसे पहली जांच होती है। इसमें विशेषज्ञ चिकित्सक टायफॉयड लक्षणों के आधार पर और बुखार को माप कर मरीज की स्थिति के आधार पर यह जांच करता है के मरीज को टाइफाइड है या नहीं।
  • रोगी की जानकारी:-विशेषज्ञ चिकित्सक रोगी के बारे में जानकारी लेता है जैसे रोगी कहा रहता है। आसपास का माहौल स्वच्छ है या नहीं ,परिवार या मित्रों में किसी को टाइफाइड संक्रमण है या नहीं आदि।
  • विशेष परीक्षण:- विशेष परीक्षणों में टाइफाइड संक्रमण के लिए रक्त ,उलटी, आदिका परीक्षण किया जाता है। जिससे रोगी के शरीर में सैलमोनेला बैक्टीरिया की उपस्थिति है या नहीं की जानकारी ली जाती है। इस परीक्षण को टाइफाइड लैब टेस्ट भी कहते हैं।
  • अन्य महत्वपूर्ण परीक्षण टाइफाइड की संक्रमण की जांच के लिए सी आर पी ,टी एस आर ,और व्हाइट ब्लड सेल्स की जांच द्वारा टाइफाइड संक्रमण की पुष्टि की जाती है।

टाइफाइड संक्रमण का उपचार।

टाइफाइड संक्रमण के रोगी के लिए उपचार का निर्धारण विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा किया जाता है चिकित्सक रोगी की स्थिति और रोग की गंभीरता के अनुसार चिकित्सा का निर्णय लेता है। टाइफाइड संक्रमण में निम्न चिकित्सा लाभदायक होती है।

  • आपातकालीन स्थिति :- टाइफाइड संक्रमण बैक्टीरिया द्वारा होने वाला एक रोग है। उचित समय पर उचित उपचार ना मिलने की स्थिति में ये गंभीर रूप ले लेता है। इस अवस्था में रोगी की आंतों में गंभीर घाव हो सकते हैं। जिनका उचित उपचार ना होने पर रोगी के लिए आपातकालीन स्थिति आ सकती है ,और इस अवस्था में रोगी को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है।
  • हाइड्रेशन टॉयफॉइड :-संक्रमण के रोगी मैं पानी की कमी होना घातक होता है इसलिए टाइफाइड रोगी के लिए लगातार द्रव्य पदार्थों का सेवन लाभदायक होता है।
  • आराम :- टायफॉइड संक्रमण के रोगी में अत्यधिक शारीरिक कमजोरी आ जाती है। इसीलिए पर्याप्त आराम करना रोगी के लिए अति आवश्यक होता है। आराम न करने की स्थिति में रोग की तीव्रता अधिक हो जाती है।
  • औषधि :-टायफॉइड संक्रमण के रोगी के लिए आधुनिक चिकित्सा पद्धति सर्वश्रेष्ठ है। इसमें औषधियों का उपयोग कर शरीर में उपस्थित बैक्टीरिया का नाश किया जाता है। और रोगी को संक्रमण मुक्त किया जाताहै।
  • आहार:- टायफॉइड रोगी को समय पर स्वच्छ और सुपाच्य भोजन रोग में बहुत अधिक लाभदायक होता है। हल्का खाना जैसे खिचड़ी दही सुप आदि टाइफाइड संक्रमण के रोगी के लिए विशेष लाभदायक होते हैं।

सावधानियाँ।

टायफॉइड संक्रमण एक बैक्टीरिया से फैलने वाला रोग है। इसीलिए टाइफाइड रोग से ग्रषित व्यक्ति के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों के लिए और स्वयं रोगी के लिए भी कुछ सावधानियां रखना अति आवश्यक है, जो कि इस प्रकार है।

  • स्वच्छ जल :-टाइफाइड संक्रमण रोगी के लिए साफ और शुद्ध जल का प्रयोग करना चाहिए साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए के रोगी किसी भी प्रकार से अन्य व्यक्तियों के पीने के पानी को संक्रिमित ना कर पाए जिससे टाइफाइड संक्रमण का परिवार में विस्तार ना हो पाए।
  • व्यक्तिगत स्वच्छता:- टाइफाइड संक्रमण के रोगी के लिए स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिये मल मूत्र के त्याग उपरान्त और भोजन से पूर्व अपने हाथों को अच्छी तरह से साबुन से धोना चाहिए।
  • स्वच्छ भोजन:- टाइफाइड संक्रमण के रोगी को स्वच्छ और सुरक्षित भोजन देना चाहिए साथ ही सुनिश्चित करना चाहिए कि संक्रमित व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के भोजन के संपर्क में न आएं।
  • व्यक्तिगत सावधानी :- टायफॉइड संक्रमण बैक्टीरिया से प्रसारित होता है, इसीलिए किसी व्यक्ति को टाइफाइड संक्रमण के रोगी से आवश्यक दूरी रखना चाहे चाहिए
  • यात्रा से परहेज :-टायफॉइड संक्रमण के रोगी को सार्वजनिक स्थानों ,घर ,ऑफिस आदि जाने से परहेज करना चाहिए जिससे टायफॉइड संक्रमण का और अधिक प्रसार न हो।

योग उपचार।

टाइफाइड बैक्टीरिया से होने वाला रोग है। इसको साधारण बोलचाल में आंतों का बुखार भी कहते हैं। इस बुखार से शरीर अत्यधिक दुर्बल और कमजोर हो जाता है। इसीलिए रोगी किसी भी प्रकार के शारीरिक श्रम को करने में कमजोर महसूस करता है ,इसलिए किसी भी प्रकार का व्यायाम उसके लिए उचित नहीं होगा। मगर रोग उपचार के उपरांत रोगी को स्वास्थ्य लाभ के लिए योग के प्राणायाम ध्यान और सूक्ष्म व्यायाम स्वास्थ्य लाभ हेतु करने चाहिए। धीरे धीरे शारीरिक दुर्बलता को कम करने के लिए योग आसनों का अभ्यास करना लाभदायक होता है।

निष्कर्ष

टाइफाइड सैलमोनेला नाम के बैक्टीरिया से फैलने वाला रोग है। यह खाने और पीने के माध्यम से स्वस्थ्य व्यक्ति को संक्रमित कर देता है। ये रोगी के पाचन तंत्र को नष्ट करता है ,इसलिए प्रतेक व्यक्ति को खाने और पीने की वस्तुओं की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अगर परिवार में कोई इस रोग से संक्रमित हो जाता है। रोगी को परिवार के अन्य व्यक्तियों से दूर रख कर उसका उचित ध्यान रखना चाहिये और रोग का उचित उपचार कराना चाहिए।