उच्च रक्तचाप।

उच्च रक्तचाप जिसको हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर भी कहते हैं। ये आधुनिक समय में बहुत तेजी से फैलने वाली बिमारी है। आज कल लगभग हर सामान्य व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर का मरीज हैं। इसका कारण आधुनिक समय का तनाव गलत खानपान ,गलत आहार विहार और अव्यवस्थित जीवन शैली है, तो आइये हम जानते हैं के उच्च रक्तचाप क्या है।

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रक्तचाप या ब्लडप्रेशर।

हमारे रक्त द्वारा हमारे शरीर के भीतर धमनियां की दीवार पर डाले जाने वाले दबाव को रक्तचाप कहा जाता है। यह हृदय द्वारा धमनियां में रक्त को भेजने की प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है। ब्लडप्रेशर को दो मापों में नापा जाता है।

  • सिस्टोलिक रक्तचाप:- यह माप एक उच्चतम संख्या होती है ,जो ये बताती है के जब हृदय दमनिया में रक्त को भेजता है तब हृदय द्वारा रक्त भेजे जाने पर धमनियों की दीवारों पर कितना दबाव पड़ता है।
  • डायस्टोलिक रक्तचाप:- यह माप निम्नतम संख्या होती है जो ये बताती है जब हृदय विश्राम अवस्था में होता है तब धमनियों में कितना दबाव होता है।

रक्तचाप की माप।

  • सामान्य रक्तचाप :-120 / 80 यह उससे कम सामान्य रक्तचाप माना जाता है।
  • उच्च रक्तचाप :-140 / 90 यहाँ उससे अधिक उच्च रक्तचाप की माप होती है।
  • निम्न रक्तचाप :- 90 / 60 या इससे कम निम्न रक्तचाप की माप होती है।

उच्च रक्तचाप के कारण।

उच्च रक्तचाप को हाइपरटेंशन भी कहते हैं। सामान्य बोलचाल की भाषा में हाई बी पी भी कहा जाता है। उच्च रक्तचाप की मुख्य कारण इस प्रकार है।

  • भोजन:- अत्यधिक नमक और ज्यादा तला, भुना,और अधिक वसायुक्त भोजन ग्रहण करने से उच्च रक्तचाप की समस्या हो सकती है।
  • तनाव:- आधुनिक जीवन शैली के कारण लगातार लंबे समय तक शारीरिक और मानसिक तनाव रहने के कारण भी उच्च रक्तचाप की समस्या हो सकती है।
  • आनुवांशिकी:- अगर परिवार में उच्च रक्तचाप जी समस्या का इतिहास होता है तो अगली पीढ़ी में भी उच्च रक्तचाप की समस्या हो सकती है।
  • जीवन शैली:-उच्च रक्तचाप एक अव्यवस्थित दिनचर्या और अनियमित जीवनशैली के कारण होने वाली समस्या है. इसमें शारीरिक श्रम की कमी ,खानपान की गलत आदतें, अत्यधिक तंबाकू, ऐलकोहल का सेवन करने के कारण भी उच्च रक्तचाप हो सकता है।
  • स्वास्थ्य स्थिति:- शरीर में किसी प्रकार के रोग होने के कारण भी उच्च रक्तचाप हो सकता है। जैसे मधुमेह या किडनी से संबंधित कोई बिमारी या अन्य किसी प्रकार की बिमारी का होना।

उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन के लक्षण।

उच्च रक्तचाप रोग के निम्नलिखित लक्षण होते हैं।

  • सिर दर्द:- उच्च रक्तचाप की अवस्था में सर मैं अचानक तीव्र दर्द का होना या हल्के दर्द का लगातार बने रहना उच्च रक्तचाप के कारण होता है।
  • सर में भारीपन:- उच्च रक्तचाप की अवस्था में सर मैं जकड़न और भारीपन का अनुभव लगातार बना रहता है, कई बार इस कारण से आंखें खोलने में दिक्क्त अनुभव होती है।
  • थकान:-उच्च रक्तचाप की अवस्था में व्यक्ति को थकान का अनुभव होता है। शरीर के जोड़ों में हल्का हल्का दर्द बना रहता है।
  • सीने में भारीपन :-उच्च रक्तचाप होने पर व्यक्ति के सीने में भारीपन ,हल्का दर्द ओर स्वांस लेने में थोड़ी कठिनाइ का अनुभव होता है।
  • चक्कर आना:- उच्च रक्तचाप की स्थिति में व्यक्ति को कई बार चक्कर आना और बेहोशी आना भी हो सकता है।
  • मितली आना:- उच्च रक्तचाप की अवस्था में व्यक्ति को कई बार उल्टी जैसा प्रतीत होता है, व्यक्ति को सूखी उल्टी भी आ सकती है।

उच्च रक्तचाप के ये सव कुछ सामान्य लक्षण होते हैं। अगर व्यक्ति को ये लक्षण बार बार या लगातार अनुभव हो तो उसको रक्तचाप की जांच कराना चाहिए प्राप्त परिणामों को आधार पर उचित उपचार लेना चाहिए।

उच्च रक्तचाप के दुष्परिणाम।

उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन एक गंभीर समस्या है ,जिसको अगर नियंत्रित नहीं किया जाए तो इसके गंभीर स्वास्थ्य संबंधी परिणाम हो सकते है जो कि इस प्रकार है।

  • हृदय संबंधी रोग :- अत्यधिक रक्तचाप हृदय की धमनियों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाता है। जिसके कारण हृदय पर बहुत अधिक दबाव पड़ता है ,परिणामस्वरूप हार्ट अटैक ,हार्ट फेल्यर, कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा बहुत बढ़ जाता है। परिणाम स्वरुप व्यक्ति के जीवन को भी खतरा होता है।
  • ब्रेन स्ट्रोक:- उच्च रक्तचाप की अवस्था में मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं पर बहुत अधिक दबाव पड़ता है। जिस कारण मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं मैं क्षति हो हो सकती है। जिससे ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। उच्च रक्तचाप के कारण मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं फट सकती है , या मस्तिष्क की महत्वपूर्ण हिस्सों में रक्त का संचार रुक सकता है।
  • किडनी की समस्या:- उच्च रक्तचाप के कारण किडनी की रक्त वाहिकाओं को भी क्षति पहुँच सकती है। जिसके कारण किडनी फेल्यर की संभावना बढ़ जाती है। किडनी फेल्यर की स्थिति मैं शरीर के भीतर विषैली पदार्थ फैल जाते हैं ,और व्यक्ति के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाते है।
  • आंखो की समस्या:- उच्च रक्तचाप का प्रभाव आंखो की रक्त वाहिनियों पर भी पड़ता है। जिसके कारण आंखो की रक्त वाहिनियों में भी क्षति की संभावना बनी रहती है। उच्च रक्तचाप के कारण दृष्टि की हानि या रौशनी का जाना आदि नेत्र संबंधी समस्याएं हो सकती है।
  • मेटाबॉलिक सिंड्रोम:- उच्च रक्तचाप मेटाबॉलिक सिंड्रोम का हिस्सा हो सकता है ,जिसमे मधुमेह, कैलेस्ट्रॉल, मोटापा आदि शामिल होते हैं। यह स्थिति हृदय संबंधी रोगों और मधुमेह जैसी बीमारियों को बढ़ाती है।
  • धमनी का फटना:-उच्च रक्तचाप के कारण धमनी की दीवारों पर बहुत अधिक दबाव पड़ता है। जिस कारण धमनी कमजोर हो जाती है, अधिक दबाव पड़ने के कारण वह फट जाती है। जो कि हमारे जीवन के लिए घातक सिद्ध हो सकती है।
  • मस्तिष्क के कार्य:- अत्यधिक रक्तचाप के कारण मस्तिष्क के भीतर रक्त का प्रवाह असंतुलित हो जाता है। जिससे मस्तिष्क अपना कार्य सही से नहीं कर पाता, जिसकारण याददास की कमी ,ध्यान में कमी और डिमेंशिया जैसी बिमारी का खतरा बढ़ जाता है।

उच्च रक्तचाप के उपयुक्त दुष्परिणाम हमारे स्वास्थ्य पर हो सकते है जो कि किसी भी स्थिति में जानलेवा सिद्ध होते हैं। इसलिए हमको समय समय पर रक्तचाप की जांच कराकर उच्च रक्तचाप की समस्या से स्वयं को सुरक्षित रखना चाहिए अगर उच्च रक्तचाप की समस्या हो तो उसका उचित उपचार कराना चाहिए।

उच्च रक्तचाप का उपचार।

  • आहार में सुधार:- उच्च रक्तचाप की समस्या से आहार में सुधार करके लाभ प्राप्त किया जा सकता है उच्च रक्तचाप के रोगी को कम नमक कम तला भुना कम बसा युक्त भोजन करना चाहिए भोजन में फल सब्जियाँ साबुत अनाज आदि को शामिल करना चाहिए।
  • गतिशील जीवनशैली:- उच्च रक्तचाप के व्यक्ति को नियमित व्यायाम, टहनला, दौड़ना योगाभ्यास आदि अपने जीवन में नियमित रूप से शामिल करना चाहिए।
  • औषधि:-उच्च रक्तचाप के रोगी को चिकित्सक से परामर्श लेकर आवश्यक अनुसार औषधियों का नियम अनुसार सेवन करना चाहिए साथ साथ रक्तचाप का निरीक्षण भी कराते रहना चाहिए।
  • कम तनाव :-उच्च रक्तचाप के रोगी को ध्यान , योग और अन्य तनाव कम करने वाले तारीको का प्रयोग कर तनाव प्रबंधन करना चाहिए।

उपयुक्त परिवर्तन और सुधार करने पर उच्च रक्तचाप के रोगी को बहुत लाभ प्राप्त होता है।इनसे रक्तचाप नियंत्रित रहता है इसलिए हमको इन परिवर्तनों को जरूर अपनाना चाहिए।

उच्च रक्तचाप का योगिक उपचार।

उच्च रक्तचाप एक गलत जीवन शैली से होने वाला रोग है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इस रोग से आराम तो मिल सकता है। मगर पूर्ण रूप से छुटकारा नहीं मिल सकता। अगर हम उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन से पूर्ण रूप से मुक्त होना चाहते हैं तो हमें अपनी जीवन शैली को सुधारना होगा। जिसके लिए योग एक सर्वश्रेष्ठ ओर सर्व उपयोगी विधि है। योग की जीवनशैली को अपनाने से रक्तचाप संबंधी सभी समस्याओं को आसानी से नियंत्रित की जा सकता है।

योगअभ्यास कैसे शुरु करें ? How to start Yoga practice ?

योग अभ्यास को अपने जीवन में शामिल करने से उच्च रक्तचाप को पूर्ण रूप से नियंत्रित किया जा सकता है। अपने भोजन अपनी दिनचर्या, अपने विश्राम को योगिक विधि द्वारा सुधारने से रक्तचाप की समस्या को पूर्ण रूप से समाप्त किया जा सकता है। कुछ विशेष योग अभ्यास रक्तचाप रोग को नियंत्रित करने के लिए इस प्रकार है।

  • शव आसन:-उच्च रक्तचाप की समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए शव आसान बहुत ही लाभदायक होता है। इसको किसी भी समय किया जा सकता है। इसके अभ्यास से जीवन में शारीरिक और मानसिक तनाव कम होता है, चिंता कम होती है, और रक्तचाप नियंत्रित रहता है।
  • विपरीतकर्णी आसन:- इस आसन के अभ्यास से शरीर के सभी हिस्सों में रक्त का संचार होता है। शरीर भीतर से शांत रहता है। शरीर के सभी अंगों में रक्त समान रूप से प्रवाहित होता है।
  • सेतुबंध :-सेतुबंध के अभ्यास से शरीर के तंत्रिका तंत्र को आराम मिलता है। शरीर के सभी हिस्सों में रक्त का संचार सुचारु रूप से होता है। थकान को कम करता है मांसपेशियों को शिथिल करता है।
  • प्राणायाम:- उच्च रक्तचाप में प्राणायाम बहुत ही लाभकारी होता है। अनुलोम विलोम ,नाड़ी शोधन, शीतली ,शीतकारी , भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास शरीर और मन दोनों ही प्रकार के तनाव को कम करने में लाभदायक होते हैं। इनके अभ्यास से शरीर के भीतर रक्त का संचार भी सुचारू रूप से हो पाता है। प्राणायाम का अभ्यास करने से रक्तचाप में बहुत ही लाभ होता है।
  • ध्यान :-उच्च रक्तचाप में ध्यान का उपयोग विशेष प्रकार से लाभदायक होता है। ध्यान करने से तनाव को कम करना आसान होता है। मानसिक शान्ति होती है , जिससे रक्तचाप नियंत्रित रहता है।

योग का नियमित अभ्यास उच्च रक्तचाप में बहुत लाभकारी है। यह रक्तचाप को संतुलित करने में सहायक होता है ,मगर हमको योग अभ्यास किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में करना चाहिए जिससे वह विशेषज्ञ हमारी स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर हमारे लिए विशेष योग अभ्यास का निर्णय करके उचित और लाभदायक आसनों ,प्राणायाम आदि का अभ्यास कराये।

निष्कर्ष :-

उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन आधुनिक समय में एक भयावह रोंग सिद्ध हो रहा है। हाइपरटेंशन के कारण हृदय संबंधी ,मस्तिष्क संबंधी, व व्यवहार संबंधी रोग हो रहे हैं। जो कि अचानक से प्राणघातक सिद्ध हो सकते हैं, इसलिए उच्च रक्तचाप को सामान्य ना समझकर गंभीरतापूर्वक लेना चाहिए और इसका निदान और उपचार अवश्य कराना चाहिए।